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आईएएस बनाम भारतीय प्रताड़ना सेवा बनाम घोर भ्रष्ट जालसाज सेवा अधिकारियों की जो संपत्ति सामने आई है वह खोपड़ी के बाल का सौ वां हिस्सा भी नहीं। 99% भारतीय प्रताणना सेवा के अधिकारियों के पास अरबों रुपए की बेनामी संपत्ति है। राजेश राजौरा पिछले कई सालों से कृषि विभाग में कुंडली मारे बैठा रहा। उसकी संपत्ति नीमच वास के आस-पास के गांव में है। राजेश बहुगुणा उनकी संपत्ति नैनीताल और उसके आसपास के क्षेत्रों में हैं। भोपाल के 200 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 25% से ज्यादा संपत्तियां कृषि भूमि आदि इन्हीं आईएएस अधिकारियों की है वैसे तो इनकी संपत्ति महानगरों से लेकर विदेशों तक में फैली हुई है भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों की संपत्तियां और धन होटलों बहुमंजिला इमारतों, आभूषण निर्माताओं उद्योगों मैं, बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल्स, पूरे देश की अधिकांश बड़ी कंपनियों में 25% पैसा इन्हीं देश भर के और प्रदेश के, देशभर के महानगरों से लेकर विदेशों में, विदेशी बैंकों मलेशिया थाईलैंड मॉरीशस पनामा जो कर मुक्त व्यापारिक देश हैं उन्हें भी फैला हुआ है यथार्थ में यही कारण है कि विदेशों से काला धन लाने का मंसूबा असफल करने में इन्हीं चांडाल घोर पाखंडी जलसा देशभर के भारती प्रसारण सेवा के अधिकारियों का पूरा हाथ है। मंत्रालयों में बैठे हुए अधिकांश ऑफिसर्स के लैपटॉप और कंप्यूटर उसकी जांच करने पर उनके कार्य समय का 30% समय केवल काले धन को वे नियोजित करने और उसके प्रबंधन में खर्च हो जाता है। यह कड़वा सच पूरे देश के भारती प्रसारण सेवा के अधिकारियों का है वही सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार करना सीखते हैं तो एडीएम एसडीएम और जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहते हुए। प्रमोटी आईएएस आशुतोष अवस्थी जो वर्तमान में श्रम आयुक्त है की नीचता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आप उसको वहां पर ज्यादा धन खाने का मौका नहीं मिलता तो वह दिल्ली जाने की बहाने अपने ही घोर भ्रष्ट उपायुक्त से सरकारी टूर के नाम पर अपने परिवार के साथ 2-4 टिकट जहाज से बुक करवाता है। और फिर बहाने बनाकर टिकट रद्द करवा कर पैसा जेब में रख लेता है और अगर वास्तविकता में जाता भी है तो उसकी क्षतिपूर्ति सत्संग से वसूल कर लेता है। भोपाल की कोलार डैम के आसपास की भूमि पर बनी हुई कालोनियां सारे क्लब रिसॉर्ट बहुमंजिला इमारतें होटल यादी सभी इन आईएएस अधिकारियों की ही है सबसे ज्यादा नजूल की वन भूमि व अन्य शासकीय भूमि पर अपने प्रभाव का उपयोग कर कब्जा करने में भी इनका कोई सानी नहीं। 8890 से सबसे ज्यादा ऐसे ही जालसू जो नहीं अरुण सहलोत जिसने यह राज रेजीडेंसी मिनल रेजिडेंसी इंदौर भोपाल व अन्य ने को शहरों में देश में और प्रदेश में बनाई, व अन्य अनेकों बिल्डरों को अपने काले धन से भोपाल में पाला पोसा और खड़ा किया। बेशक मुख्यमंत्रियों मंत्रियों के साथ इनका भी काला धन अनेकों मेडिकल कॉलेजों इंजीनियरिंग कॉलेजों, बड़े स्कूलों आदि में लगा हुआ है जो पकड़े गए हैं वे तो बेचारे छोटे मोहरे हैं। सन 80 के बाद से भोपाल के, प्रदेश के उद्योग क्षेत्रों बड़े जिलों में और शहरों में बड़ी कॉलोनी काटने में विकास में, हर नए बाईपास पर कालोनियों काटने बहुमंजिला इमारतें, होटलों को खड़ी करने, उद्योग खड़े करने, शॉपिंग मॉल्स इंजीनियरिंग कॉलेज मेडिकल कॉलेज फार्मेसी शिक्षा कॉलेज प्रबंधन कंप्यूटर कॉलेज आदि में इन्हीं के काले धन से प्रदेश फला फूला और बढ़ा। आईपीएस और आईएएस अधिकारी थोड़े से ही पीछे होंगे इनसे उनका भी काला धन चारों तरफ प्रदेश में और देश में फैला हुआ है इसीलिए जनता के नाम पर बनाई गई योजनाओं का मोटा हजारों करोड़ का फायदा, मौज मस्ती अय्याशी जन धन का दुरुपयोग करने में 30, 35, 40 साल तक सत्ता में बैठकर यही लेते हैं।
बाकी बेचारे मंत्री संत्री मुख्य प्रधान मंत्री तो आनी जानी माया होती है।
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