शरीर को स्वस्थ रखने और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए।

हर क‍िसी को सुबह उठते ही दो कच्चे लहसुन की कलियां चबाकर खाने के जिसमें बहुत थोड़ी सी असली घर की कुटी पीसी हल्दी, और थोड़ा सा अदरक किसकर गर्म पानी में उवालकर एक गिलास गर्म पानी में पीना शुरू कर दें। शाम 6:00 बजे के बाद हल्का भोजन दलिया खिचड़ी सलाद या इच्छा अनुसार चपाती मूंग की दाल के साथ भोजन करें। 6:00 बजे के बाद केला नींबू खट्टे पदार्थ खट्टे फल, दही, उड़द की दाल आदि का गरिष्ठ भोजन बरसात होने तक ना खाएं। जैनों की तरह दिन ढलने से पहले रात्रि का भोजन कर ले ताकि आसानी से दो-तीन बार पानी पीकर आप भोजन को अच्छी तरह की से पचा सकें और आपका शरीर स्वस्थ रहे। रात में सोते समय हल्का कुनकुना अदरक काली मिर्ची का दूध पीकर सोवे। ताकि कफ और खांसी ना हो और अगर हो गया हो तो सारा कफ पेट में उतर जाए और सांस नली साफ रहे। जुखाम वह खांसी होने पर घरेलू स्तर पर तत्काल अदरक लहसुन को पीसकर शहद के साथ चाटने छोटे बच्चों को कम मात्रा में वयस्कों को आधी चम्मच अदरक लहसुन में आधी चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन चार बार चाटेगे तो सर्दी खासी वह कफ साफ हो जाएगी। पपीते का सेवन नियमित्त करें। भोजन में ककड़ी खीरा टमाटर व अन्य हरी पत्तियों का सलाद आदि कुल भोजन का 25% कम से कम खाएं या आधा भोजन आधा सलाद खाएं। ताकि पाचन तंत्र बना रहे और बीमारियां किसी प्रकार की भी ना घेरें। ताकि पाचन के साथ आपका लीवर मजबूती से काम करता रहे पाचन अच्छा हो ताकि आपका किडनी और हृदय भी स्वस्थ रहें। आप स्वस्थ रहेंगे आपको सर्दी खासी बुखार नहीं होगा तो डॉक्टर छूने की हिम्मत नहीं करेंगे। किसी भी प्रकार की ठंडी पर बाजा रूप बोतलों में पैक फल आदि का रस पिज्जा बर्गर बिस्कुट, बाजारु पैक्ड आटा जिसमें डीडीटी का प्रयोग किया जाता है ताकि कीड़े ना पड़े इसी प्रकार सभी मसाले पिसे हुए पैकेट वाले भी प्रयोग ना करें बेहतर होगा कि आप आयोडीन नमक और सोयाबीन का रिफाइंड तेल यथार्थ में सोयाबीन में तेल होता ही नहीं हुआ है शुद्ध पामोलिन होता है जिसे रसायनों से इस तरीके से तरल बना के रखा जाता है यह सबसे बड़ी बीमारी के घर हैं इनको जितना जल्दी हो सके त्याग दें। व अन्य बाजरु पैक्ढ खाद्य वस्तुओं का सेवन बिल्कुल भी ना करें। जिन को लंबे समय तक खाने योग्य बनाए रखने के लिए अनेकों रसायनों व रंगों का प्रयोग होता है। इसलिए 5 साल के बच्चों तक इन सब चीजों को दिखाएं भी ना क्योंकि वह शीघ्र बीमारी का शिकार हो जाते हैं। यह सारा न केवल आप अपने घर में बल्कि अड़ोस पड़ोस में और कार्यस्थल पर भी सब को बता कर स्वस्थ रखने का प्रयास करें क्योंकि घर में किसी के बीमार होने पर पूरे सदस्यों को उठाने का पाखंड किया जाता है अड़ोस पड़ोस में भी लोगों का ध्यान रखें ताकि वह सब चीजों का सेवन कर स्वस्थ रहें स्वयं भी बीमार में अपने घर के लोगों को भी बार ना बनाएं और आसपास के लोग भी स्वस्थ रहें क्योंकि एक के संक्रमित होने पर पूरे परिवार के साथ साथ मोहल्ले के लोगों को भी परेशान होना पड़ता है इसलिए इन सब बातों का विशेष ध्यान रखकर सब को यह सलाह दें। निवेदक व लेखक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर www.samaymaya.com मैंने आयुर्वेद रत्न की तीन बार परीक्षा दी और तीनों बार फेल कर दिया गया क्योंकि वह ₹100 देने पर बिना परीक्षा दिए सर्टिफिकेट दे रहा था और मैं ₹35 की परीक्षा फीस देकर डेढ़ सौ की किताब से 3 बार पढ़ पढ़ कर पूरे प्रश्नो को सही जवाब देने पर भी अनुत्तीर्ण अवश्य रहा पर तीन तीन बार आयुर्वेद में घोंटा मारा और शायद मेरी वहीं पढ़ा ई अब काम आ रही है पूरे जीवन भर से अगर ₹100 में सर्टिफिकेट ले लेता तो कागज का टुकड़ा किस काम आता।
Other Sections - Organisations
 
Home | About Us | Organisations | Districts In M.P. | Divisions In M.P. | Local Bodies In M.P. | Universities | Advertise with us | Disclaimer | Contact Us | Feedback | Admin
Copyright © 2011-12 samay maya all rights reserved.