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हरामखोर मीडिया वाले देसी विदेशी इशारों पर नाच कर देश को 5 महीने से बर्बाद कर रहे हैं। यथार्थ में कोई बीमारी थी तो 30 करोड़ गरीब मजदूरों वर्ग, सफाई कर्मी क्यों नहीं मरा? भिखारी क्यों नहीं मरा? अमीर लोग क्यों नहीं मर रहे। कोई जज, आइ एएस, आइपीएस, डॉक्टर इंजीनियर नेता क्यों नहीं मरे। महामारी अगर है देश में तो सभी को मारना चाहिए था ना केवल मनुष्यों को बल्कि जानवरों को पशु पक्षियों पेड़ पौधों सभी को नष्ट होना था। उल्टे ही यह तो देश व दुनिया बंद होने के बाद प्रदूषण कम होने से फल फूल रहे हैं यह कोई नहीं बता रहा?
सारी बीमारी सिर झुका, सरकारी पुलिसिया गुंडे प्रशासनिक डकैतों के हर नियम को सिर आंखों पर ले कर चलने वाले, मानने वाले हिन्दुओं में
निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय पर ही आती है। कितने मुसलमानों को कोरोन्टाइन कर तुम उनकी हत्या कर पा रहे हो। उनकी गली मोहल्ले में पुलिस प्रशासन के गुंडों की औकात नहीं हो रही 3 महीने से घुसने की।
और कितने मरे वह सब पुरानी बीमारियों से मरने वालों को भी जानबूझकर ये हरामखोर, जालसाज, घोर निकम्मे, महानीच और चांडाल अस्पतालों में ले जा ले जा कर कारेन्टाइन करने के नाम पर पुराने मधुमेह उच्च निम्न रक्तचाप, पुरानी लीवर, किडनी, ह्रदय मरीजों को हाइड्रो ऑक्सिक्लोरो क्वीन, बिना बीमारी के साधारण सर्दी खांसी जुखाम के मरीजों को जो युवा वर्ग के हैं जैसी घातक दवाई देकर मार डाल रहे हैं और हत्या करने के बाद उनके लीवर, किडनी, आंखें, अडकोष ह्रदय निकाल कर काली पन्नी में कोरोना का भय दिखाकर स्वयं षड्यंत्र पूर्वक जला देते हैं या जलाने के लिए दे देते हैं।
मृत लोगों के परिजनों ने ऐसी मृत देहों को खोलकर सैंकड़ों विडियो मेरे सच की पुष्टि जो मैं पिछले 4 महीने से लगातार कह रहा हूं कर रहे हैं इसके साथ ही कोरेंटाइन करने के नाम पर मारने के नाम पर मोटा धन और जालसाज अस्पताल जो पहले से ही कई कांडों में लिप्त होकर जेल की सजा काट चुके हैं।
75:25 या 60:40 के अनुपात में मिल बांट कर धन हजम कर रहे हैं बदले में लिवर किडनी आंखें अंडकोष ह्रदय का आदि का सौदा अस्पताल वालों के जिम्मे कर दिया है।
जिसमें सारा का सारा प्रशासनिक व्यवस्थाएं सारे नेता कांग्रेस और भाजपा के विधायक सांसद से लेकर मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक सब हिस्सेदारी कर रहे हैं।
इसलिए किसी को चिंता नहीं देश की देश के बच्चों की और उल्टे ही हरामखोर चांडालोो की फौज वीडियो को पैसा खिलाकर भय फैलाने का काम करती है। जिसके लिए जो 76 अरब डॉलर का विश्व बैंक से और 48 अरब डॉलर का एशियन विकास बैंक से डब्ल्यूएचओ के माध्यम से जो सारा फंड मिला है। केवल उसको हजम करने का पाखंड करने के लिए एक ओर उनको कारंंटाईन कर अस्पतालों में भर्ती करना किया जा रहा है।
वह टीवी पर भेड़िया चिल्ला रहा है 96000 बच्चे स्कूलों में संक्रमित हो गए हैं अमेरिका में हुए ना। तेरे पास खबर कहां से आई? दिखाओ खबर को।
सारे हरामखोर गरीबों को मार डालने में तुले हैं। जबकि इन हरामखोर सूअर के पिल्लों को मीडिया से लेकर मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री अमेरिका के राष्ट्रपति चीन रूस के साथ युरोप की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के चांडालों को यह समझ में नहीं आ रहा, कि अगर गरीब नहीं रहेंगे तो तुम्हारा बाप खेतों में काम करेगा, मजदूरी करने जाएगा। फैक्ट्रियों में, सरकारी विभागों में सड़कों पर, भवन निर्माण आदि में 7000 -8000 रुपए महीने में10- 12 घंटे काम करेगा। तुम्हारे घर के बर्तन मांजने से लेकर साफ-सफाई लिपाई पुताई सड़कों पर झाड़ू लगाने से लेकर हर छोटे काम जिनके दम पर तुम शान शौकत कि जिंदगी जीते हो। 10 ₹20 किलो की सब्जियां खाते हो 12 ₹15 किलो का गेहूं खाते हो। उन गरीबों की मजदूरी मेहनत के दम पर ही हराम के पिल्लों, घोर भ्रष्ट जालसाज महान नीच चांडाल नेता, मंत्री, अधिकारी व सभी करोड़पति उच्च वर्ग के लोग, मौज मस्ती कर रहे हो यह क्यों समझ में नहीं आया।
ग्रहों का भय दिखाकर, 35 कोड बच्चों युवाओं का भविष्य बर्बाद करने वालों 10 लाख शिक्षकों को 5 महीने से बेरोजगार करने वालों, 100 करोड़ लोगों के मुंह से मोटी छीनने वाले पाखंडी चांडालों अपनी अकाल मृत्यु को दावत मत दो। क्योंकि 100 करोड़ लोगों की बद्दुआ तुम्हें बिस्तरों में सढ़ा देगी। ना जीने में रहोगे ना मरने में रहोगे। यह याद रखना यह डाक्टरों की चांडाल कॉम किसी की सगी नहीं होती।
अरविंदो के मालिक विनोद भंडारी ने ही अपने बाप का भी दाह संस्कार नहीं किया। उसने उसकी भी मृत देह को अपने मेडिकल कॉलेज में एनाटॉमी में उपयोग कर लिया। और सब को कह दिया कि मेरे बाप ने वसीयत में लिखा था मेरा दाह संस्कार नहीं करना। ऐसे जालसाज पाखंडी भेड़िए से यह उम्मीद करना कि दूसरे लोगों को छोड़ देगा कदापि संभव नहीं।
मीडिया की छिछोरी बुद्धि के पत्रकारों टीवी चैनल वालों यथार्थ में तुम घोर नीच मानसिकता, अनपढ़ जाहिलों की प्रकृति के धन के पीछे घूमने वाले भूखे भेड़ियों की फौज हो।।
तुम्हें जनता को अपने दर्शकों को जोश, ऊर्जा, जिंदगी में हर मोर्चे पर लड़कर सफल होने की शिक्षा देने की अपेक्षा तुम उन्हें पिछले 5 महीने से मौत का भय दिखा कर डरा डरा कर अपनी टीआरपी भले ही बढ़ा लो। जिंदगी की टीआरपी नहीं बढ़ेगी।
यह याद रखना। और आने वाली पीढ़ी तुम्हारे नाम से भी नफरत करेगी तुम्हारे घर में भी तुम्हें मान सम्मान तो मिलना दूर तुम्हारे उस काले धन से तुम्हारी बीवी बच्चे तुम्हारे ही मौत का कारण बन जाएंगे।
निवेदक व लेखक
प्रवीण अजमेरा
समय माया समाचार पत्र इंदोर
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