बसपा और सपा का अपनी लाइन बड़ी व पार्टी को मजबूत करने के लिए जिस प्रकार से हिंदुओं में सवर्णों और दलितों को अलग करने वैमनस्यता फैलाकर समाज को बांटने का षड्यंत्र रच कर मुसलमानों को साथ में लॉकर सत़्ता हथियाने का षड्यंत्र वर्षों से चल रहा है।
इस यथार्थ को समझने के साथ हम हिंदुओं में केवल सकल हिंदु हैं। समाज को ऊंच-नीच में बांटकर सत्ता पर दीर्घ अवधि तक राज्य करने का यह षड्यंत्र ईसाई संगठनों और अंग्रेजों की चाल थी।
इस षड्यंत्र का सूत्रपात तो अंग्रेजों ने 1680 के बाद से ही वैदिक संस्कृति की श्रेष्ठता को नष्ट करने और उस पर अपना आधिपत्य स्थापित कर ईसाइयत की श्रेष्ठता स्थापित करने के लिए 200 साल पहले से ही कर दिया था।
उसी के दम पर उन्होंने हमारी गुरुकुल की वैदिक शिक्षा पद्धति संस्कृत भाषा व अन्य सभी विषयों की शिक्षा पद्धति को नष्ट करने से पहले ऊंच-नीच का बीज बोकर सबसे पहले हिंदुओं में हिंदुओं को बांटा।
बाद में १० लाख से ज्यादा गुरुकुलों के पंडितों का कत्लेआम करवाने से लेकर सीधा आग में झोंक कर नष्ट किया गया। बाद में अट्ठारह सौ 40 में गुरुकुल को अवैध घोषित कर मैकाले ने अपनी शिक्षा पद्धति थोप कर देश की जनता को तरीके से अंग्रेजों का भाषाई मानसिक व शारीरिक रूप से गुलाम बनाने का षड्यंत्र रचा।
कैसे सवर्ण कैसे दलित का भेद। सब एक ओंकार स्वरूप को मानने वाले सभी हिंदू हैं।
सभी हिंदुओं को चाहिए वेश सुरेंद्र को बेनकाब करें और एकत्रित होकर समाज को मजबूत बनाकर राष्ट्र में और किस में अपनी श्रेष्ठता स्थापित करें।
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