आयकर, फेरा, इडी के छापे आईएएस, आईपीएस, आईएफएस पर छापे क्यों नहीं
कभी-कभी केंद्र सरकार के आयकर सीजीएसटी कस्टम और एक्साइज सतर्कता विभाग के साथ फेरा ( फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट और हवाला कांड की जांच मैं मोटे रोकड़े को यहां से वहां भेजना आदि की जांच और उसके छापे) प्रर्वतन न‍िदेशालय ने जिले में पदस्थ कलेक्टर, कमिश्नर, एसडीएम, एडीएम के साथ एसपी, आईजी, डीएसपी और सत्ता मैं बैठे मंत्रियों, मंत्रियों, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिवों, संचालकों, आयुक्तों पर भी छापे आदि की कार्यवाही करके यह भी देखना चाहिए। क‍ि सत्ता धीश दल को केंद्र और राज्यों के कि उनके भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी भारतीय अपराध सरंक्षण सेवा के अधिकारी भारतीय वन सेवा के अधिकारियों के साथ राज्यों के प्रशासनिक बनाम प्रताडना सेवा के अधिकारी, पर भी छापे डलवा कर उनके भी घरों की निवास स्थान की जांच की जानी चाहिए ताकि केंद्र व राज्यों की सरकारों को यह मालूम पड़ सके कि उनके नीचे कार्यरत यह आई आईएएस आईपीएस आईएफएस एस ए एस अधिकारी कितना कैसा और कहां पर भ्रष्टाचार से जनता को शासन को चूना लगाकर लूटने में लगे हुए हैं। अभी वर्तमान में भी यह पदोन्नत भारतीय प्रताड़ना सेवा का घर मक्कार भ्रष्ट जालसाज इंदौरी कलेक्टर मनीष सिंह और वाणिज्य कर आयुक्त राघवेंद्र सिंह पर पर भी छापा डलवा यह जांच की जानी चाहिए कि जिन जिम्मेदार अधिकारियों ने भरे लाकडाउन के समय में कलेक्टर ने हीं 180 कॉल किशोर वाधवानी को लगाए और लंबी 5 से 15 मिनट की बात की़। वही हाल राघवेंद्र सिंह ने भी अट्ठारह कॉल लगाकर किशोर वाधवानी से बात की तो कितनी वसूली में कितना रोकड़ा लिया और किस प्रकार से लाभ पहुंचाकर जनता को और शासन को मूर्ख बना कर मोटी कमाई की साथ ही कितने शासकीय करों की चोरी करवाने में अपनी भूमिका अदा की। क्या सारा दोषी किशोर वाधवानी ही था या केवल व्यापारी छोटा कर्मचारी व अधिकारी ही होता है। जो उसके यहाँ छापे डालकर गिरफ्तारी कर प्रताड़ित किया जाता है। आखिर जिस मनीष सिंह ने उसकी कर चोरी करवाने में उसको अरबों की कमाई में साथ दिया। उसे अभी तक न तो और की कलेक्ट्री से हटाया ना उसकी जांच की न घरों को छापे मारे ना ही उसकी गिरफ्तारी की गई। जबकि सबसे बड़ा दोषी तो वहीं था। वैसे तो कांग्रेस की सरकार गिरा, सत्ता हथियाते ही इंदौर में घोर भ्रष्ट जालसाज मनीष सिंह को पदस्थ करने का मूल उद्देश्य अपने चुनाव के और मोटी रायल्टी की वसूली से धन वसूली ही था। पर उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। जबकि बलि का बकरा बना छोटे भ्रष्ट बीबीएस तोमर पर कार्यवाही कर उसे खिसका दिया। आखिर क्यों? महीना भर गुजर गया? केन्द्रीय दल ने जांच भी मनीष सिंह की भूमिका पर आपत्ति व्यक्त की थी। क्या महामारी महालूट के अवसर में बदल अरबों की कमाई की जा रही है।
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