80 करोड़ लोगों को मुफ्त आटा, मध्यम वर्गीय लोगो के घरों में रखे सोने और बैंको में रखे धन को लूटने की तैयारी
80 करोड़ लोगों को जैसा उस पाखंडी जाहिल पूंजी पतियों की रखैल मोदी ने बताया अगले 4 महीने तक मुफ्त आटा जो पूंजीपतियों के गोदामों में लटों और इल्लियों युक्त खराब हो चुका होगा। वैसे शास्त्रों में पिसे हुए आटे की केवल 8दिन आयु होती है। पर आटा मिलें उस में कीड़े न पड़े उसमें हल्के कीटनाशकों डीडीटी व अन्य घातक रसायन मिलाती हैं। ताकि 3 माह तक उसमें कीड़े न पड़े। पहुंचाए जाता रहेगा। और 70 करोड़ गरीबी रेखा से ऊपर मध्यम और उच्च मध्यम वर्गीय उनके बाप अमेरिकी वालमार्ट, चीनी जोमेटो व स्विीग्गी जिनसे लाखों करोड़ कमीशन हजम किया है। वालमार्ट, अंबानी, टाटा बिरला मित्तल के व अन्य के शापिंग माल्स से आनलाईन खरीदी कर इन भूखे भेड़ियों मंत्रियों, कलेक्टर कमिश्नर और पुलिस को मोटा कमीशन हर महीने पहुंचाते रहें।
अर्थात रेलवे को पूरी तरह से तबाह कर आसानी से व अन्य सभी विद्युत, तेल, वित्तीय, सरकारी कंपनियों, विभागों व निजी फैक्टरीयों, मिलों उद्योगों को पूरी तरह से बर्बाद करने का षड़यंत्र चल रहा है। 75 करोड़ लोगों की बैंकों में जमा पूंजी, घरों में रखे संपत्तियों आभूषणों, सोने, जमीनें, मकान आदि को हज़म करने के लिये उच्च स्तरीय षडयंत्र को बेरोजगार कर कंगाल बनाने का खेल चल रहा है। उस गुजराती घोर निम्न मानसिकता मोदी की निगाहें मध्यम वर्गीय लोगो के घरों में रखे सोने और बैंको में रखे धन को लूटने पर लगी हैं।
बेशक अंधभक्त दूसरा विधवा विलाप करते हुए उस चांडाल मोदी की तारीफ में ही अपना जीवन धन्य समझते हैं। लगे रहना चाहिए कुछ ऐसे अंध भक्तों को जो विधवा प्रलाप करते हुए 6 साल में देश की हर तरह की तबाही देख कर भी गुणगान में स्वामी भक्त श्वानों की भांति पूंछ मटका रहे हैं।
प्रिंट और दृश्य मिडिया के भडुवो मोदी की छल कपट पूर्ण भक्तों की फौज वैसे तो देशबंदी के पाखंड में व्याव सायिक विज्ञापनों के अभाव में काफी सिकुड़ चुकी है। कब तक दम भर के टिकी रहेगी?
महामारी के देशबंदी के पाखंड में तन से, मन से, धन से कौन मरा? और पुलिस ने, प्रशासन ने, डाक्टरों ने किसको मारा?
महामारी के पाखंड में अधिकांश मध्यम वर्गीय ने जन के साथ धन भी गंवाया और अपने ही अड़ोसी-पड़ोसी के रिश्तेंदारों के बीच अनावश्यक घृणा, उपहास और उपेक्षा के शिकार हुये।
वही हिंदुओं के छोटे व्यापारियों, उद्योगों, निजी नौकरी पेशा, निम्न और मध्य मध्यमवर्गीयों की ही बर्बादी और शोषण हुआ। जो मोदी के अंधभक्त टिड्डों की फौज थी। जो घोर भ्रमित अतिज्ञानी हैं।
जो मक्खियों को लोंग और ** को हलुवा बता प्रस्तुत करते हैं।
गरीबों ने तो लाईन में या नेताओं की जी हजूरी कर मुफ्त का राशन सहायता प्राप्त कर ही ली और कर लेंगे। जो चुनाव के समय भी शराब के पौऐ लेकर वोट डालते हैं।
80करोड़ वोटर को मुफ्त राशन बांटकर मौत तो हिन्दू मध्यम वर्गीयो विधवा विलापी अंधभक्तों की ही होनी है।
फिर वही कहानी याद आती है।
की कुल्हाड़ी जंगल काट रही थी और जंगल के अंधभक्त वृक्ष इस से ही खुश थे कि उसके हत्थे में लगी लकड़ी तो हमारे जंगल की ही है।
जब तक प्रभु प्रेरित कर, देश बचाने में उपयोग कर रहा है।
तब तक जागृति लाने का प्रयास करना ही पड़ेगा।
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