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भारत में राष्ट्रवादी होना अर्थात अक्ल हीन श्वानों की भांति लात जूते खाने के, भूखे मरने, बेरोजगारी 100 दिन के पाखंड में घरों में कैद करने के बाद भी लफ्फाजों की पुचकार सुनते ही पूंछ हिलाकर चरणों में लोट लगाने से वफादारी सिद्ध की जाती है। वो लफ्फाज चाहे स्वंय चीन को सब्जी भाजी तक 2 करोड़ किसानों और गरीबों से छीन कर चीनी जोमेटो को ही सौंपने का षड़यंत्र क्यों न रच दें।
आप सबने देखा मैने एक माइक और मोबाइल के कैमरे से उनको बचाने का अभियान न चलाया होता तो शायद न केवल इंदौर, उज्जैन, भोपाल, ग्वालियर के साथ पूरे प्रदेश और देश में रू150/- में 3.5 किलो सड़ी पुरानी सब्जी भेजने का निगम के बाद चीनी जोमेटो को हजारों करोड़ हजम कर, चोरी छुपे सब्जी भाजी बेंचने वालों को पुलिस और निगम के घोर भ्रष्ट भूखे भेड़ियों से कुटवा पिटवा, वसूली कर जेलों में डाल और उनकी बस्तियों को कोरोना ग्रस्त बना कर चारों तरफ से बंद कर, आज भी इंदोर का नेहरू नगर पूरा पैक है। सौंपने का षड़यंत्र जनता के साथ छल कर इसी शिवराज और मोदी ने देश की जनता को गिरवी कर गुलाम बनाने का आदेश दे दिया था। अभी भी तैयार भोजन को घरों तक पहुंचाने और मोटा कमीशन हजम करने का ठेका उसी के पास है। जो 2013-14 में जाते जाते मनमोहन सिंग, सोनिया और राहुल, पूर्व मु मं कमल नाथ ने दिया था।
अंधभक्तों अपने मास्क लगे शूकर बनाये चेहरों की अपने खरीदे चीनी मोबाईल से टिक टाक पर सेल्फ़ी लेकर झांक लिया करो अपने अंदर कितने बड़े राष्ट्र भक्त हो या तडी पार पाखंडियों के भक्त हो?
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