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भारत चीन सीमा पर युध्द का खेल चल रहा है। ताकि दोनों देश की जनता को युध्दोन्माद में उलझा कर अपनी नाकामियों को छुपाया जा सके। भारत में चीन के सामानों पर ज्ञान बांटने वालों मंद और गागरौनी बुद्धि के तोतों यह मोदी और जिनपिंग की नूरा कुश्ती में बेचारे सैनिकों को शहीद करवाया जा रहा है।
सच यह है कि दोनों ही अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए जनता और देश के प्रसार माध्यमों का ध्यान परिवर्तित करने के लिए यह युद्ध लड़वा रहे हैं। दोनों ही हरामखोर जालसाज सूअरों मोदी और जिनपिंग थोड़े ही युद्ध लड़ रहे हैं। युद्ध तो सैनिक लड़ रहे हैं। ना दोनों के।
यह तो बस सत्ता में बैठकर जनता को भ्रमित करने अपनी नाकामियों को छुपाने प्रचार माध्यमों को शिगूफा देने का कार्य कर रहे हैं। यह सब कुछ तो सितंबर की चीनी जिनपिंग की भारत यात्रा में ही खुसर पुसर हो चुकी थी़। दोनों गल बहियां डालकर बैठे हुए थे। सामान आयात की छूट कौन देता है भारत का वाणिज्य मंत्रालय ही छूट देता है। ना। यदि सचमुच युद्ध करना होता। तो युद्ध के पहले दूतावास खाली करवाए जाते हैं सारे अपने नागरिकों को बुलाया जाता है सारे काम धंधे बंद किए जाते हैं जो एक दूसरे के देशों में चल रहे हैं चीनी फैक्ट्रियां भारत में काम कर रही हैं और भारत के पूंजी पतियों की अनेकों फैक्ट्रियां चीन में चल रही है स्वाभाविक है यह सब कुछ नहीं हुआ मोदी जाहिल गवार व मूर्ख है पर चीनी जिनपिंग महा धूर्त और शातिर बुद्धि का उसको मालूम है कि दुनिया के सारे कचरे माल को जो दुनिया में समय बाधित खराब बेकार और बकवास समझा जाता है। वह भारत में आसानी से बिक जाता है। बिना किसी को हर ले और काट छांट मीन मेख निकालें। कोई कानूनी उलझन, नहीं झमेला नहीं वह हल्ला नहीं। चाहे वह चप्पे-चप्पे पर अपने मोबाइल फोनों से लेकर कंप्यूटर की हार्ड डिस्क से लेकर प्रोसेसर तक भारत में उसी का उपयोग होता है। सबसे वह जासूसी करता है और चप्पे-चप्पे की खबर रखता है। भारत से बढ़िया कोई बेहतर बाजार नहीं मिल सकता। यदि वह युद्ध लड़ेगा। तो स्वाभाविक सी बात है। उसकी पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। जितना भुगतान चीनी आयात के बदले में भारत से प्राप्त होता है उतना दुनिया के किसी भी देश से प्राप्त नहीं होता। इसलिए वह युद्ध नहीं लड़ेगा। यह सब कुछ चल रहा है यह जनता को अपने अंधभक्त मूर्खों को अपनी बहादुरी दिखाने और मोदी की 6 साल की नाकामियों को छुपाने क्योंकि कोरोना की कोई बीमारी भारत में नहीं थी जितने मारे गए अस्पतालों में ले जा ले जा कर जानबूझकर मारे जा रहे हैं और यह ठीक करके भेजा जा रहा है यथार्थ माने तो कोरोना नाम की कोई संक्रमक बीमारी वैसे भी नहीं थी। जिसका वीडियो मैंने इसमें पूर्व में भेजा था जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन की महिला प्रवक्ता ने स्वयं कहा यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है इसके विपरीत अकेले इंदौर में चार से पांच करो रुपए के हाथ साफ करने के सैनिटाइजर और उसकी मशीनें बिक गई अकेले इंदौर में ही 10 लाख से ज्यादा मास्क बिक चुके हैं जो सब चीन की थी तो भी बीमारी की आड़ में फायदा तो चीन का ही हुआ फिर आखिर साडे 27 टन यह सारी सामग्रियां जो महामारी से संबंधित थी मोदी ने चीन से ही क्यों खरीद कर मंगवाई वह स्वयं चीन का फायदा करवा रहा है देश के उद्योग धंधे को चौपट कर दिया है 6 साल में उसने साफ-सफाई नोटबंदी जीएसटी में सबसे ज्यादा फायदा भारतीय पूंजी पतियों के पहले और बाद में चीन की कंपनियों का ही हुआ ना।
दूसरी तरफ जांच करने की किट, पीपीई किट, 50 करोड़ से ज्यादा मास्क, तापमान नापने की 2करोड़ से ज्यादा हाथ की मशीन, वह सब चीन की ही है। और इस पर हो रहे जब मनुष्य का तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट होता है। तो वह 93, 94 तापमान दिखाने पर भी तापमान लेने वालों को खुश तो कर रहा है। यह किसी मूर्ख को समझ में नहीं आ रहा। अर्थात वह तापमान नापने वाली हैंड गन ही खराब है। यह नौटंकी किसी को समझ में नहीं आ रही। अकेले इंदौर में वह सो रु50/- की मशीन रु2000्- में लगभग 10000 सरकारी व निजी कार्यालयों, दुकानों, उद्योगों विभागों में ही खरीद ली गई है तो भी फायदा चीन हीं का हो रहा है।
यह अंध भक्तों को समझ में नहीं आएगा। सत्ता और पूंजी पतियों की रखैल वेश्या मीडिया और 20 करोड़ भूखेरे मिडिया में 24घंटो चल रही विपणन एजेंसियों के झूठे फरेब के बांटे जा रहे पाखंड पूर्ण प्रसार में पगे छिछोर बुद्धि के घोरज्ञानी अंधभक्तों को हुआ हुआ करने के लिये कोई न कोई शिगूफा चाहिए। चाहे वह जाहिल गवार इन कटोरा हाथ में देकर चौराहे पर खड़े कर इनको गोबर ही क्यों ना दे पर उसे यह उसे भी मिठाई समझकर खाएंगे और चिल्लाएंगे ।
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