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आखिर तालाबंदी का देशभर में जो पाखंड बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए किया गया था। उसका सच सामने आने लगा है। कुल मिलाकर खाद्य व सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 में जैसी व्यवस्था की गई थी। कि सारा व्यापार छोटे सब्जी विक्रेताओं, किराना, दुकानदारों, ठेले वालों से छीन कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपना।
उसकी सच्चाई सामने आने लगी है। जिस रु100 में 5 किलो सब्जी आ जाती है। उसे अब शासन में बैठे जहां सारे गिद्ध कलेक्टर, उपजिलाधीश से लेकर, तहसीलदार, पटवारी, जो अरबों रुपए शासन की योजनाओं में से और जनता को लूट कर खाते, हजम कर जाते हैं। अब इस देश के लगभग 50 लाख सब्जी वालों से वह सब्जी का व्यापार चीन की बहुराष्ट्रीय कंपनियों इसमें जोमैटो के साथ, शासन प्रशासन प्रशासनिक व्यवस्था संभालने की अपेक्षा शासकीय लोगों से डेढ़ सौ रुपए में साडे 3 किलो सब्जी बिकवाने की योजना पर काम कर रहा है। आखिर खेती की जमीन पर लगी सब्जियां 4 महीने खुले में मिट्टी में लगी रहती हैं।क्या मिट्टी को भी सेनेटाइज किया जाएगा पहले जो सब्जी सेंनेटाईज करके बेंचने की तैयारी चल रही है। यह पाखंड क्यों किया जा रहा है। उन 50 लाख लोगों से ज्यादा को बेरोजगार करके, लूटने के लिए जनता को।
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