जिस स्वास्थ्य विभाग की खरीदी में 70% कमीशन हजम करने की तैयारी रहती हो वहां की सारी खरीदी में, जिसमें अस्पतालों की सामग्री, मशीनें, वहां की दवाइयां सब निम्न स्तर की, फिर वहां के डॉक्टर 25% नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने के बाद में भी 90% डॉक्टर तकनीकी कर्मचारी दूसरे अस्पतालों में मोटी कमाई के लिए अपनी सेवाएं सरकारी अस्पताल से गायब हो कर देने के बाद में भी वहां बैठे इंनटर्नी डॉक्टरों व अन्य के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में आए मरीजों को मोटे कमीशन के लिए इस शहर के साढे 500 अस्पतालों 300 से ज्यादा पैथोलॉजिकल प्रयोगशालाओं 300 से ज्यादा रक्त बैंकों में मरीजों को भेजकर करोड़ों रुपए का कमीशन कमाया जाता हो।
WHO की बहुराष्ट्रीय विदेशी कंपनियों की जानबूझकर दवाई लिखकर उनका औषधि परीक्षण आम साधारण गंभीर बीमारियों के मरीजों पर किया जाकर विदेशों में यात्राएं की जाती हों। मोटी मोटी भेंटो में कार बंगले व अन्य कीमती हीरे के आभूषण घड़ियां आदि सामग्री ग्रहण की जाती हो। 6 अप्रैल 2004 से अंबु मणिराम दास कांग्रेश के स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे देश में विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की औषधि परीक्षण को खुली छूट बिना किसी आज्ञा सूचना के दे रखी हो।
सच्चाई यह है कि सभी सरकारी अस्पतालों निजी अस्पतालों से निकलने वाली 40% गंभीर मरीजों क केशव डक्टाइल के शिकार होकर अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं यह सन 2008 में मैंने देश और दुनिया को बताया तब मालूम पड़ा कि हर साल 10 लाख से ज्यादा बीमार केवल भारत में ड्रग ट्रायल से कसाई डॉक्टरों द्वारा अपनी मोटी कमाई के लिए मार दिया जाता है।
उस देश के स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों में जहां कदम कदम वार्ड बाॅय से लेकर लैब टेक्नीशियन से लेकर हर डाक्टर व डीन तक हर वक्त मोटी कमाई के लिए लार टपकती रहती हो। जहां मरीज कमाई का साधन हो। उस पर से फिर पूरे देश में यह महामारी के तांडव की आड़ में देश बंदी करके भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की मोटी कमाई करवाना ही उद्देश्य हो।
क्या हो रहा है। जहां के सभी राजनीतिक दल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर हजारों को हजम कर चाहे वह सूअर अरविंद केजरीवाल, बंगालन ममता हो पंजाब का मुख्यमंत्री हो और चाहे हमारे भेड़िया झुंड पार्टी का मध्यप्रदेश का शिवराज हो सब नतमस्तक हो। सारे राजनीतिक नेता बहुराष्ट्रीय कंपनियों के टुकड़ खोर पाले हुए श्वानों का गिरोह मोटी कमाई के चलते सब नेता जंगली सियार की भांति हुआ हुआ कर जनता में भय पैदा कर अपनी लूट के कुकर्मो को छुपा रहे हैं।
देश की 100 करोड़ जनता को भूख से मारने में उसकी आड़ में सभी नेताओं अधिकारियों की मोटी कमाई करने में कोई शर्म महसूस नहीं होती कभी भी। आमजन जितना रोएगा चीखेगा चिल्लाएगा उतनी मोटी कमाई के काम आएगा।
समझा जा सकता है। महामारी की आड़ में केवल लूट का पाखंड हर जगह चल रहा है।
जापानी बायोलॉजिकल वैक्सीन साइंटिस्ट यह है कि जिस दिन का तापमान भारत में रहता है वहां कोरोना जैसी कोई बीमारी नहीं फैल सकती है इसके बाद में भी जबकि वर्तमान में दिल्ली से लेकर नीचे तक सभी प्रदेशों में तापमान 37 38 से लेकर ज्ञानी तक चल रहा है और ना नाम की बीमारी ना है ना हो सकती है।
सरकार के बहुराष्ट्रीय कंपनियों की गुलाम और कठपुतली है के आदेश पर अब डॉक्टर किसी भी बीमारी के बीमार को कोरोना के नाम पर ले जाकर किसी को भी भर्ती करके अंदर जहां किसी को जाने की छूट नहीं रहती है इस पाखंड की आड़ में कौन सी दवाई दे रहे हैं कौन सा रिकॉर्ड रख रहे हैं वह कौन सा मेडिको लीगल केस बनेगा इस समय जो मन में आया अंदर ले जाकर करो निजी वाले तो उसकी आड़ में भी लाखों रुपए लूटकर 5-7 दिन तक यह भी नहीं बता रहे हैं। कि जिंदा है या मर गया। बस वसूली का मीटर घूम रहा है।
जैसा कि जोशी का वीडियो मैंने कुछ घंटे पहले ही अपने व्हाट्सएप पर भेजा था।
महामारी की आड़ में देश को बंद कर सभी अधिकारी व नेता बहुविध तरीके से आनंद और मोटी कमाई कर रहे हैं।
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