नकली चीनी किट से क्या नकारात्मक और क्या सकारात्मक। सब
जहां 70% कमीशन खाकर अस्पताल के रसायन दवाएं, जांच सामग्री मशीनें, प्रयोगशाला सामग्री, जांच की मशीनें, खरीदी जाती हों।
व्यापम कांड से मोटे करोड़ों रुपए के चंदे से, 0% से 25% अंकों पर चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश होता हो। परीक्षा में मोटी रिश्वत दे कर जिन्हें ढंग से हिंदी इंग्लिश पढ़नी और लिखनी नहीं आती हो। ऐसे डॉक्टर लैब टेक्नीशियन बनकर भर्ती होकर डॉक्टर पैथो लैब तैयार हो कार्य कर रहे हैं। जहां बीमारी कोई और हो और इलाज कुछ होता हो। आप्रेशन में में औजार, कपड़े, आदि शरीर में छोड़ तकलीफ होने पर फिर आप्रेशन के पैसा वसूला जाता हो।
जहां 90% प्रशिक्षु डॉक्टर जो आरक्षण के दम पर परीक्षा पास कर भर्ती होकर आते हों। जिन सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर 90% दलाली करते हो और निजी चिकित्सालय में अपनी सेवाएं देते हो। मोटी कमाई के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के इशारे पर ड्रग ट्रायल करते हो।
जहां के 90% डॉक्टरों पर अनेकों भ्रष्टाचार जालसाजी लापरवाही से मौत के अनेकों प्रकरण लंबित हों।
इसी इंदौर के मेदांता, अरबिंदो, चौइथराम बनाम चींथराम व अन्य चिकित्सालयों में जिंदा अधघायलों को बेहोशी का इंजेक्शन लगा कामा में दिखा पहुंचाकर मां बाप पत्नी को डरा धमका बहला फुसला कर अंगदान के लिये अंगदान की सहमति पर हस्ताक्षर करवा डाक्टर रूपी ये कसाई आंख, किडनी, लीवर, ह्रदय, रक्त, अस्थिमज्जा तक और जो भी अंग काम आ सकते हों निकालकर करोड़ों रू में बेंच कलेक्टर, कमिश्नर, मिडिया तक को टुकड़े डाल ग्रीन कारीडोर का पाखंड कर समाचार पत्रों और मिडिया में वाहवाही करवाते हों
ऐसे कसाई खानों में क्या हो रहा है और क्या होगा?
गंभीर सोच समझ वाले ही समझ सकते हैं।
जहाँ चिकित्सा सेवा नहीं सफेदपोश अप्रिन के गिद्धों के अंधी लूट और डकैतों का व्यवसाय बन चुकी हो।
वहां नरभक्षी खुदा जो न कर दें सब कम है।
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