केशलोष जोशी कोरोना से नहीं मरे। वो डायलिसिस के लियें एम वाय गये। वहां से भगा दिया। तो बेचारे बांबे हास्पीटल गये। वहां से भी मना कर दिया। तो चींथराम गये। उनके घर वालों से दो लाख वसूला गया। रू1.96 लाख और मांगे गये। जबकि उसके पहले उनकी मृत्यु हो चुकी थी।
इतनी उम्र हो जाने पर भी आप यह जानने के विपरीत की सभी पुराने बीमारियों के शिकार लोगों को दहशत फैलाने जानबूझकर निपटाया जा रहा है। आप महीने भर से सरकारी लूट और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पाखंड को समझकर भी समूह के सदस्यों को भारी भयाक्रांत कर रहे हैं। जबकि मैं सच्चाई लगातार मरने वालों और मोदी के पाखंड बता रहा हूँ।
कितने मर गये। 135 करोड़ की आबादी में 31 दिन में यदि जैसी सरकारी नौटंकी चल रही है। 2-5 करोड़ साफ हो जाने चाहिए थे।
जबकि सभी मरने वालों में पुराने बीमारियों के जानबूझकर चीनी किटों से गलत परिणामों पर ड्रग ट्रायल में मारे जा रहे हैं।
6 वर्षों से उसके हर पाखंड और बर्बादी को झेल भी सियारों की तरह हुआ हुआ चिल्लाने वाले अंधभक्तों श्वानों की तरह सारी बर्बादी देख कर अगर अक्लों पर जमी धूल साफ नहीँ कर सकते, सच्चाई नहीं समझता तो सदस्यों को मनोबल मत तोड़ो।
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