दिवंगत जूनी इंदौर टीआई देवेंद्र चंद्रवंशी और उज्जैन के नीलबड़ थाने के टी आई की अरबिंदो हास्पीटल व मेडिकल कालेज में मृत्यु कोरोनावायरस की आड़ में पुरानी बीमारियों में घातक हायड्राक्सीक्लोरोक्विन देने से मृत्यु या चिकित्सीय दुराशय से हत्या,
डा विनोद भंडारी पुराना व्यापम कांड का आरोपी, तीन साल भोपाल कारागृह के आतिथ्य में रहा है। फिर इस महामारी की आड़ में कौन सा डाक्टर, सरकारी अधिकारी, नेता, मंत्री जो सब सैकड़ों भ्रष्टाचार, जालसाजियों, ड्रग ट्रायल कांड, बच्चों की आक्सीजन के अभाव में मृत्यु, खरीद में, निर्माण आदि में जांचों में लिप्त रहते हैं। जिनकी जांच इन पुलिस के उपनिरीक्षकों, थाना निरीक्षकों के पास लंबित होने के न्यायालय में इन भ्रष्टों, जालसाजियों के प्रकरणों में महत्वपूर्ण गवाही ब्यानो, जांचों के हिस्से होते हैं। आसानी से इस महामारी की आड़ में निपटा दिये गए।
ना टीआई रहेगा ना गवाही देगा जांचों की व्याख्या करेगा और अपराधियों को सजा दिलवा पाएगा।
इसकी जांच मेरे पत्रकार बंधुओं और पुलिस को पर्दे के पीछे रहकर करनी ही चाहिए।
न केवल इन दोनों की वरन् पूरे देश में मरे ऐसे सभी पुलिस कर्मियों के साथ अन्य की जो कोरोना के अन्य बीमारियों के नाम अस्पतालों में मृत्यु हुई या आदतन इन चिकित्सीय औषधियों के परीक्षण, प्रशिक्षण, प्रयोग, मोटी कमाई, के लिये अनावश्यक शल्य क्रिया करने में कर दी जाती हैं। फिर मरने के या मार डालने के बाद भी मोटा धन भी चिकित्सा व्यय के नाम वसूला जाता है। जिसके 99% एलो पैथिक डाक्टर अपराधी होते हैं। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा था। निजी चिकित्सालय कसाईयों के अड्डे और वहां के डाक्टर कसाईयों का गिरोह है।
सूक्ष्म जांच होनी चाहिए।दिवंगत जूनी इंदौर टीआई देवेंद्र चंद्रवंशी और उज्जैन के नीलबड़ थाने के टी आई की अरबिंदो हास्पीटल व मेडिकल कालेज में मृत्यु कोरोनावायरस की आड़ में पुरानी बीमारियों में घातक हायड्राक्सीक्लोरोक्विन देने से मृत्यु या चिकित्सीय दुराशय से हत्या,
डा विनोद भंडारी पुराना व्यापम कांड का आरोपी, तीन साल भोपाल कारागृह के आतिथ्य में रहा है। फिर इस महामारी की आड़ में कौन सा डाक्टर, सरकारी अधिकारी, नेता, मंत्री जो सब सैकड़ों भ्रष्टाचार, जालसाजियों, ड्रग ट्रायल कांड, बच्चों की आक्सीजन के अभाव में मृत्यु, खरीद में, निर्माण आदि में जांचों में लिप्त रहते हैं। जिनकी जांच इन पुलिस के उपनिरीक्षकों, थाना निरीक्षकों के पास लंबित होने के न्यायालय में इन भ्रष्टों, जालसाजियों के प्रकरणों में महत्वपूर्ण गवाही ब्यानो, जांचों के हिस्से होते हैं। आसानी से इस महामारी की आड़ में निपटा दिये गए।
ना टीआई रहेगा ना गवाही देगा जांचों की व्याख्या करेगा और अपराधियों को सजा दिलवा पाएगा।
इसकी जांच मेरे पत्रकार बंधुओं और पुलिस को पर्दे के पीछे रहकर करनी ही चाहिए।
न केवल इन दोनों की वरन् पूरे देश में मरे ऐसे सभी पुलिस कर्मियों के साथ अन्य की जो कोरोना के अन्य बीमारियों के नाम अस्पतालों में मृत्यु हुई या आदतन इन चिकित्सीय औषधियों के परीक्षण, प्रशिक्षण, प्रयोग, मोटी कमाई, के लिये अनावश्यक शल्य क्रिया करने में कर दी जाती हैं। फिर मरने के या मार डालने के बाद भी मोटा धन भी चिकित्सा व्यय के नाम वसूला जाता है। जिसके 99% एलो पैथिक डाक्टर अपराधी होते हैं। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने कहा था। निजी चिकित्सालय कसाईयों के अड्डे और वहां के डाक्टर कसाईयों का गिरोह है।
सूक्ष्म जांच होनी चाहिए।
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