आखिर मोदी, सरकार को अपने पाखंड के सच से इतना डर क्यों? सभी सोशल साइट्स पर प्रत‍िबंध क्यों?
आखिर मोदी व उसकी सरकार को अपने पाखंड के सच से इतना डर क्यों लग रहा है। जबकि सारे न्यूज़ चैनल सारे दैनिक अखबार सरकार के सुर में सुर मिलाकर पूरे देश को तबाह करने में लगे हुए हैं। जो सच लिख रहे हैं। व्हाट्सएप फेसबुक ट्वीटर आदि पर उनके संदेशों को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है। 1बार मेें 1संंदेश से ज्यादा भेजने पर बार बार प्रत‍िबंध क्यों लगाया जाता है़ उनको बार-बार रोका जा रहा है। टि्वटर फेसबुक और व्हाट्सएप बार-बार रुक रहे हैं। संदेश आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। आखिर सरकार अपनी नौटंकी की सच्चाई देख कर इतना भयभीत क्यों है? यदि आपने सचमुच अच्छा काम किया है। तो आपको अपनी सच्चाई पर अडिग रहना चाहिए। पर यहां तो मोदी ने 6 साल में देश को अपनी पूंजी पतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए बर्बादी के अलावा कुछ दिया ही नहीं सारे वित्तीय संस्थानों को लाखों करोड छीन व लूट लूट कर खोखला करने के साथ मोदी उसकी वित्त मंत्री सीतारमण ने विदेशों से भी लाखों करोड़ का ऋण लिया। सारा पैसा आखिर गया कहां? महामारी का पाखंड फैला कर दानदाताओं से प्रधानमंत्री राहत कोष से भी पीएम केयर्स के नाम से अलग खाते में हजारों करोड़ जमा करवाकर तीनों गृहमंत्री प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने मिलकर वह भी हजारों करोड़ हजम कर लिया गया या जायेगा। आज करोड़ों लोग इस पाखंड मुड़कर भूख से मर रहे हैं रेल, मेल, जेल को जो कभी बंद नहीं होते थे। रेल और मेल को भी बंद कर दिया गया है। महामारी से मरने वाला एक भी नहीं सभी पुरानी बीमारियों से मर रहे हैं। पर पुरानी बीमारियों से मरने वालों को भी जानबूझकर महामारी का शिकार बता कर अस्पतालों में भर्ती कर जानबूझकर हाइड्रो ऑक्सिक्लोरो क्वीन का हाई डोज देकर जानबूझकर निपटा कर भय पैदा किया जा रहा है। जैसा कि इंदौर में टीआई देवेंद्र चंद्रवंशी के साथ एम वाय के सरकारी अस्पताल में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की दवा के कारण मौत हुई। आखिर उसका सच ना तो क‍िसी समाचार पत्र ने छापा और ना ही मैं बात किसी टीवी न्यूज़ चैनल पर आई कि उससे सरकार की सच्चाई की पोल खुल जाती। इसलिए जो सच लिख रहा है उनको डराया धमकाया परेशान किया जा रहा है उनके व्हाट्सएप के अकाउंट बार-बार बंद किए जा रहे हैं। क्यों आखिर अपने पाखंड से सत्ता ओं को प्रशासनिक अधिकारियों को इतना भयभीत होना पड़ रहा है। इसलिए स्वाभाविक है कि वे साप्ताहिक समाचार पत्रों वेब न्यूज़ चैनल को डरा धमका कर बंद करने पर तुले हुए हैं जबकि अभी यदि सचमुच महामारी चल रही है। उस को नियंत्रित करने और खत्म करने के बाद देश को खोलने की अपेक्षा वह मीडिया कर्मियों को धमका रहे हैं। उससे सरकार का भय और पाखंड स्पष्ट हो रहा है। जनता और मीडिया कर्मी इस सच्चाई को समझें और बिना किसी भय के भूख से मरती जनता का और सरकार के सभी पाखंडों का सच देश की और दुनिया की जनता को बतायें।
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