चीन से नफरत का पाखंड।
फिर भी सारी अस्पतालों में महामारी की आड़ में अर्थहीन बकवास चीनी किट व अन्य चिकित्सा सामग्री की खरीदी मोटे कमीशन पर। के बाद पूरी चीन की गुलाम के खेतों से लेकर सभी घरों तक चीनी कब्जे के लिये उतावले स्टेशन पर चाय बेंचने की जेबकटी, यात्रियों का सामान छीनने वाले बाप बेटे, में बाप के पास यात्री का चोरी पर्स पकड़ जाने पर 16 माह की जेल की हवा खाने वाले, देशभक्ति का रा राग अलापना वाले पाखंडी ने
क्यों चीन की जोमैटो कंपनी के लोग किसानों को लागत से भी कम कीमत पर सब्जियों को खरीद, मनमानी कीमतों पर एकाधिकारी दरों पर बेंच जनता को लूट कर मोटा कमीशन कलेक्टर, कमिश्नर, एस पी डीएसपी, महापौर, नेताओं को भी बांटेगा/ मिलेगा। इसलिये देशबंदी में ही जिलाधीश व पुलिस अधीक्षक जनता को पीट रहे़।
सभी शहरों में बाकी हजारों गरीब सब्ज़ी बेंचने वालों से रोजगार छीनना, इसलिये आवश्यक है। कि उनसे कोई कमीशन नही मिलता।
उनसे मुफ्त की सब्जी केवल पुलिस वाले और नगर निगम वाले ही छोटे कर्मचारी खाते हैं। जो पूर्व से सब्जी भाजी फुटपाथ पर ठेलो पर न्यूनतम भावों में जनता को उपलब्ध करवा रहे हैं। वह उनको हजम नहीं हो रहा।
और सारी महामारी के पाखंड की कहानी तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ही सारा व्यापार सौपना है। सभी छोटे दुकानदारों सब्जी विक्रेताओं को नष्ट करने का षड्यंत्र है। यह महामारी का पाखंड।
1 महीने से देश को इस महामारी के पाखंड की आड़ में इसलिए बंद किया गया है ना।
खाने-पीने सब्जी दाल राशन किराने का सब्जी भाजी बालों से शासन मैं बड़े अधिकारियों नेताओं को कुछ नहीं मिलता है जबकि यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन सारे सत्ता में बैठे इन नेताओं अधिकारियों को भी टुकड़े डालकर पालेंगे। इनकी तो बहुत भूख हैं यह पूरी दुनिया को बेरोजगार बनाकर सबका धन रोजगार हडप जाएंगे तो भी इन हरामखोरों का पेट नहीं भरेगा।
इन्हीं गिद्धों की लूट के ढंग से तो स्विट्जरलैंड की बैंक के मालामाल हो रही हैं।
फिर जिस चीन को गाली बकते थे उस चीन की कंपनियों को सारे देश की सब्जी भाजी का ठेका क्यों दिया जा रहा है।
देश में केवल वही सब्जी क्यों बेचेगा? करोड़ों किसानों की सब्जियां जो बेचारे छोटे सब्जी वाले मंडियों से खरीद कर ला कर बेचते हैं। अपनी रोजी रोटी कैसे चलाएंगे तुम्हारा बाप देगा मोदी इनको रोज़ी रोटी और मोदी चुरकट व भेढ़िया झुंड पार्टी के जानवरों कांग्रेश पार्टी के जानवरों।
अब तो मोदी के अंध भक्तों से लेकर सभी को सारी स्थिति स्पष्ट हो गई होगी। कि किस प्रकार से इस महामारी के पाखंड की आड़ में सारा व्यवसाय बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सौंपना था।
जिसके बारे में मैं लगातार कई सालों से लिख रहा हूं।
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