प्रसार माध्यमों सच्चाई को जानो, प्रशासन मेंं हर कदम घोर भ्रष्टाचार, 10 आई ए एस स्वास्थ्य विभाग के भोपाल मुख्यालय में केवल भ्रष्टाचार से मोटी कमाई के ल‍िये ही
किसी भी समाचार को चलाते व लिखते और बनाते समय मेरे भाइयों उसकी जड़ और उसके अंतिम छोर को देख लिया करो। और उसका आंकलन करके उस घटना का विश्लेषण करके उसके बाद अगर प्रकाश‍ि‍त करोगे तो आपकेे नाम और सिक्के दूर तक और ठोस रूप से चलेंगे। कड़वी सच्चाईयां को सीधे नहीं तो भी सच्चाई को समाचार में बेहिचक अवश्य प्रकाश‍ि‍त करो। तो भी सच्चाई को सामने रखकर थोड़ी हल्की भाषा में यथार्थ को अवश्य प्रकाश‍ि‍त करो। अभी जो तेजी से इंदोर, भोपाल के साथ पूरे प्रदेश में संख्या बढ़ती जा रही है। पूरे शहर और प्रदेश जो बदनाम हो रहा है। पूरी दुनिया में, जबकि सफाई में इदोर 4 बार एक नंबर था। तो क्या वो पाखंड था। या ये पाखंड हो रहा है। आखिर इंदौर में 10 आइ ए एस और32 डाक्टर इसीलिए भेजे गये हैं। कि नियंत्रण की अपेक्षा बढती हुई संख्या दिखा अपनी पदस्थी का औचित्य सिद्ध करो। और सुविधाओं के नाम पर मोटी खरीदी में 70% कमीशन जो कि स्वास्थ्य विभाग की सच्चाई है। आखिर 10 आई ए एस स्वास्थ्य विभाग के भोपाल मुख्यालय में क्यों बैठाये गये हैं। या ये सब लाक डाउन को 30 जून तक खींचने का आधार तैयार कर दो। सरकारी अस्पतालों में 30 साल से भर्ती नहीं की गई डॉक्टरों की, प्रयोगशाला विशेषज्ञों और सहायकों की। फिर 90% डॉक्टर 25% नॉन प्रैक्टिस अलाउंस लेने के बाद में भी निजी तौर पर निजी अस्पतालों मैं जाते हैं। प्रयोगशाला और अस्पतालों की अधिकांश जांट मशीनें वेंटिलेटर खराब पड़े रहते हैं। सरकारी अस्पतालों में भारी भ्रष्टाचार के चलते जाने वाले मरीजों को कमीशन के लिए दूसरे अस्पतालों में जांचो के नाम पर इलाज के नाम पर भेजा जाता हो। जहां 90% डाक्टरों पर पूर्व से ही अनेकों ड्रग ट्रायल की व अन्य जांचे लंबित हों। आक्सीजन की कमी से 24 बच्चों की मृत्यु हो चुकी हो। फिर लाक डाउन के चलते हजारों ह्रदय, लीवर, किडनी,केंसर, पेट, आदि से होने वाली नियमित मौतों के साथ बदलते मौसम में होने वाले सर्दी खांसी बुखार जन्य बीमारियों जिसमें डेंगू, चिकन गुनिया, माता, वायरल, फ्लू, मलेरिया, अस्थमा, टीबी, की नियमित मौतों और उसके मरीज सब कहाँ गायब हो गये। क्या यमराज के यहाँ भी इन बीमारियों से मरने वालों को छूट देकर जीवन दान दे दिया। लाक डाउन चलने तक। वहां अचानक महामारी घोषित होते ही सब कुछ ठीक होकर मरीजों की जांच सुविधाएं इतनी बेहतरीन कैसे हो गई। नकरात्मक और धनात्मक रिपोर्टों की सुविधाओं में तत्काल इतनी तेजी कैसे आ गई। यह विचारणीय प्रश्न है। उस पर भी आप लोगों को अध्ययन और जांच करनी चाहिए।
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