इंदोर में महामारी के बीमारों की बढती संख्या, मरने वाले अधिकतर पुराने बीमार, लापरवाह सरकारी डाक्र्टर बच रहे, प्रशिक्षु डाक्टर मन से कर रहे इलाज
इंदोर में सरकारी अस्पतालों के डाक्टर क्या अपनी बहादुरी दिखाने आखिर जितने भी इस महामारी के प्रकोप के शिकार बीमारों को एमवाई में भर्ती किया जा रहा है़। भर्ती करने और सरकारी अस्पतालों में लाने से पहले आखिर उसकी पुरानी बीमारियों के इतिहास की जानकारी क्यों नहीं ली जा रही फिर दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्तर पर और प्रदेश स्तर पर इसको महामारी माना जा रहा है। तो ऐसे बीमारों की देखरेख सांस और सीने की बीमारियों के विशेषज्ञ सलाहकार अधिष्ठाता प्राध्यापकों की सेवाएं वहां पर 24 घंटे क्यों नहीं लगाई जा रही। वे केवल दूर से बातूनी और कागजी जमा खर्च कर रहे है। परंतु सीधे ही ऐसे बीमारों की जांच, चिकित्सा, देखरेख क्यों नहीं कर रहे।
वे सारे बीमार जो भर्ती है। इस बीमारी के नाम से, उनको जो चिकित्सा प्रशिक्षु विद्यार्थियों के हवाले क्यों कर दिया गया है।
जबकि वो चिकित्सा प्रशिक्षु छात्र हैं वह अपने मन से ही यह ब्लड टेस्ट करवा वह बार2 टेस्ट कर पूरे बदन को छेद मारते हैं।
जैसा कि मेरे पास एम वाई हॉस्पिटल के अंदर से सूचना प्राप्त हो रही है। आखिर ये वरिष्ठ डॉक्टर एम वाय चिकित्सालय व चिकित्सा महाविद्यालय के ऐसे बीमारों पर सीधी जाकर जांच व चिकित्सा कब करेंगे? दूसरी तरफ जब अरविंदो हॉस्पिटल से जिसमें बड़े-बड़े सेवानिवृत्त अधिकारियों, मंत्रियों, नेताओं का पैसा लगा हुआ है।
बहुत सारे इस महामारी के बीमारी से शिकार लोग ठीक ठाक करके छुट्टी भी दी जा रही है।जैसा कि कुछ अखबारों में प्रकाशित हुआ है। फिर सरकारी चिकित्सक संसाधनो के अभाव और बिगड़े होने या जानबूझकर बिगाड़े जाने से पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं। तो बेहतर है कि सारे इस महामारी के शिकार और बीमारों को अरविंदो में ही भर्ती करवाकर स्वास्थ्य किया जा सके।
साथ ही अरविंदो के डॉक्टरों से मालूम करें कि वे इसकी चिकित्सा में कौन-कौन सी औषधियों का उपयोग किस किस स्तर पर कर रहे हैं। ताकि वही औषधियों का प्रयोग व परीक्षण कर इंदोर के साथ पूरे देश में सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को भी शीघ्र स्वास्थ्य कर छुट्टी दे दी जा सके।
फिर सफाई में चार बार शीर्ष स्थान पर रहने के बाद में चिकित्सा में भी इंदौर शीर्ष स्थान पर रह व बन सके।
ताकि इंदौर के सरकारी व निजी अस्पतालों की इज्जत बची रह सके।
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