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भारत का गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाला देश की जनता का जन्म मरण, किसानी, खेती से लेकर, मजदूरों, व्यवसाय, व्यापार, उद्योग व्यवसाय,रोजगार, बिजली की खपत, आम गरीब आदमी की खपत भोजन की अनाज दाल साग सब्जी आदि वस्तुओं के थोक व खुदरा मूल्य सूचकांक, महंगाई, सूचकांक का सांख्यिकी विभाग ही आंकड़ों का संकलन कर निर्धारण करता है। मैंने काफी देर तक अध्ययन किया उसकी साइट डाटा डॉट इन पर भी गया वहां पर भी अंतिम आंकड़ों का सन 20 11-13 के दिए हुए थे। जिसका स्क्रीनशॉट संलग्न है। मृत्यु के आंकड़ों पर उसने 404 दिखाकर इतिश्री कर ली और लिखा। यहां पर उपलब्ध नहीं।
उसका भी स्क्रीनशॉट इस लेख के साथ सलग्न हैैै।गूगल की अनेकों साईट को तलाशा मैंने। परंतु जो आंकड़े पहले गूगल दिखा रहा था। वो भी अभी तक नहीं मिल सके हैं।
निजी अस्पतालों में मरने वालों की ड्रग ट्राइल से बीमारियों से जिसमें खासतौर पर हृदयाघात, यकृत, प्लीहा, प्रसव के साथ ही हमारी जीवन शैली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पैकेज्डड खाद्य पदार्थों केे जिसमें कीटनाशक व अन्य रसायन उसको सुरक्षित व स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। उनसे उत्पन्न वायु विकारों बीमारियों जिसमें हृदय में पीड़ा होने पर निजी वाले हृदयाघात की संभावना बताकर ऑपरेशन तक कर देते हैं। साथ ही वही उनका वायु विकार जन्य पेट की बीमारियों में अनावश्यक शल्य क्रिया से मोटी कमाई की जाती है। और इस बीच में औषधि परीक्षण के चलते अनेकों मौत हो जाती है। उन सब के आंकड़े भी सही रूप से यह निजी चिकित्सालय जानबूझकर उपलब्ध नहीं करवाते हैं। ताकि उनकी बदनामी ना हो। इसलिए सही सही आंकड़े भारत में बीमारी जन्य मृत्यु के ज्ञात करना बहुत मुश्किल है। और भारत सरकार का सभी राज्य सरकारों के सांख्यिकी विभाग द्वारा संकलित सांख्यिकी विश्वास करने योग्य भी नहीं रहती है।
फिर भी मोटे अनुमानों के अनुसार प्रतिवर्ष 21 लाख कर्क्ट या कैंसर रोग से मर जाते हैं। जिसमें वर्तमान में सबसे ज्यादा मृत्यु कीटनाशकों के खेती में प्रयोग के कारण किसानों की होती है।
निसंदेह अधिकांश बीमारियां जिसमें सभी प्रकार के कर्कट, हृदयाघात, यकृत, प्लीहा, गुरुदे आदि बीमारियों से लेकर स्वांंस, अस्थमा, क्षय रोग आदि से औसतन कर्क्ट रोग से 7000 मौतें प्रतिदिन होती है। ह्रदयाघात से23 लाख प्रतिवर्ष सर्दी खांसी जुखाम बुखार जन्य मलेरिया वायरल फ्लुुु, अस्थमा, टीवी, स्वांंस जन्यय बीमारियों से वर्तमान में भी प्रतिदिन लगभग 3000 लोग मर जाते हैं। इसके साथ सामान्य स्थिति में 5000 से ज्यादा मौतें केवल हर उम्र के लोगों की भूख और कुपोषण से 80%नवजात से लेकर 5 वर्ष और 60 वर्ष से ऊपर के लोगों की भारत में होती हैं।
पैदा होने वालों की संख्या प्रतिदिन भारत में जनसंख्या की सांख्यिकी अनुसार लगभग डेढ़ लाख बच्चे भारत में जन्म लेते हैं। उसका एक तिहाई प्रतिदिन लगभग 50हजार की मृत्यु होना देशभर में स्वाभाविक सी प्रक्रिया है। जिसमें भी लगभग 3.60करोड़ आबादी प्रतिवर्ष देश में बढ़ जाती है। यह सन 2010 के बाद से औसत आबादी की वृध्दि के सामान्य समंक हैं। तो देश के तोतु मिडिया पिछले 18 दिन में करोना के नाम 200 के मरने पर विश्व स्वास्थ्य (बिगाड़ो) संगठन के चीनी कम्यूनिस्टों के कहने पर जो चीन हमारी अर्थव्यवस्था को चौपट करने पिछले 18 दिन से कोरोना के भय की देशबंदी से करवा रहा है। वर्तमान में भूख और कुपोषण से हो रही हजारों मौतें कोई भी मिडिया के भांडो के चैनल नहीं दिखा रहे।
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