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22- 23 मार्च से लगातार लिख रहा हूं।
लोग कोरोना से मरे ना मरे। भूख से जरूर मर जाएंगे प्रशासन प्रशासन से लेकर ऊपर सांसदों संसद और उसका प्रधानमंत्री पाखंडी मोदी को यह बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा।
उसको बस केवल पाखंड और पाखंड और केवल पाखंड करने से फुर्सत ही नहीं है।
हिंदू-मुस्लिम करवा लो राम रहीम करवा लो।
अमेरिका को क्लोरोक्वाइन की आपूर्ति की फर्जी नोकझोंक का प्रचार-प्रसार करवा लो।
उसमें ही मोदी अपनी बहादुरी में पीठ ठोक रहा है।
और जनता के करोड़ों लोग भूख से परेशान हो रहे हैं। वह किसी भांड और भडुवों को नहीं दिख रहा । उल्टे ही सड़क छाप शूकर भूख से मरते लोगों को दूध सब्जियों दाल चावल से हाथ में रोटी ना पहुंच जाए। दूध दाल सब्जी भाजी से भूख न मिट जाए। दूध सब्जी वालों को अपनी बत्तमीजी पूर्ण लेखनी से बिल्कुल बंद करवा चुके हैं।
उन पर भी लाठियां बरसवा कर
पुलिस को प्रशासन को लाठी बरसाने के लिये विवश कर रहे हैं।
हरामखोर जालसाज पत्रकारों को करोड़ों लोग भूख से मर रहे हैं उनकी चिंता नहीं है। उन्हें चिंता है। इन लोगों का पेट न भर जाए उन्हें दूध राशन सब्जी ना मिल जाएं।
धन्य हो। ऐसी पत्रकारिता। जिसे भूख से मरते करोड़ों गरीबों की आंख से आंसू पोंछने से मतलब नहीं।
इन्हें तो मतलब है। कि करोना के पाखंड की आड़ में 10-20 करोड़ों लोग भूख से मरे और यह राक्षसों की औलाद अट्टहास करें और फिर अपने समाचारों में तड़का लगाकर चटपटा बनाकर न्यूज़ चैनल्स में चिल्ला चिल्ला कर लोगों को सुनाएं।
बेशक भ्रष्ट प्रशासन और गागरोनी तोतों को बहुत तकलीफ देगा यह सच।
मेरी सच्चाई भरी कड़वी लेखनी से उत्पन्न कटुता के खाते में यह 2-5 और जोड़ लेना और मृत्यु की कामना करने मेरी या मुझे पकड़वा के जेल में डलवा देना।
फिर भी मेरा उद्देश्य है कि शासन-प्रशासन समझें और ऐसा ना हो भूख से मरते लोग सड़कों पर उतर कर सारा नियंत्रण व्यवस्थाओं को तार2 बिखेर दें। अनावश्यक रक्त पात हिंसा भड़क उठे।
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