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इंदौर उज्जैन भोपाल में क्या जालसाजी पूर्व नियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत सबसे ज्यादा मरीज बताए जा रहे हैं।
जबकि कोरोना में बताये मृत व संक्रमित व्यक्ति पूर्व से ही अनेकों गंभीर बीमारियों के शिकार थे व हैं।
ताकि इनको बंद रखकर यह तीनों व्यापार के बड़े अड्डे जहां पर बड़े बड़े पूंजीपतियों के बड़े शॉपिंग मॉल हैं।
और इंदौर उज्जैन जो कि प्रदेश के सबसे बड़े काली मिट्टी के उपजाऊ जमीनों के क्षेत्र हैं जहां सबसे ज्यादा कृषि उत्पादन होता है पूरे प्रदेश में यहां की हजारों टन सब्जियां फल फ्रूट हर दिन पिछले 17 दिनों से इसलिए बर्बाद करवाई जा रही हैं।
ताकि इंदौर उज्जैन के 50 लाख से ज्यादा छोटे-बड़े किसानों की कमर आर्थिक रूप से टूट जाए और वह अपना माल अंत में उन्हें औने पौने, बड़े-बड़े इन शॉपिंग मॉल के पूंजी राक्षसों को बैंच दें। ज्यादा घाटा लगने पर अपनी अपनी जमीनें भी इन पूंजी राक्षस पूंजी पतियों को लीज पट्टे पर सौंप दें। या बेच दें और सड़क पर आकर इनके खेतों में नौकरी करने लगी।
जिसके लिये देशी विदेशी पूंजीराक्षसों की तैयारी 1970 से चल रही थी और सन 2006 में लगभग रू5लाख करोड़ लेकर जिसमें हर सांसद को न्यूनतम रू 500 करोड़ देकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम पास करवाने अंगूठे लगवा बिना जनता को कानों कान बताये इसी षड्यंत्र के तहत इस देश पर लाद दिया गया था।
और यह पूजी राक्षस शॉपिंग माल वाले इसको बाद में यहां से सस्ती कीमतों में खरीद कर पूरे देश में अपनी मनमानी कीमतों पर बैंच सकें।
इन्हीं पूंजीपतियों ने जो विनाश पुरुष मोदी के खास मित्र हैं।
जिनके कारण उसने बैंक बीमा कंपनिओं के बर्बाद करने रेलवे बीएसएनएल ओएनजीसी आइओसीएल बीपीसीएल एचपीसीएल आदि को इन के हवाले कर दिया। शेयर बेचने के नाम पर एलआईसी जैसी देश की लाभ देने वाली बड़ी पूंजी वाली कंपनी को के शेयर बेंच दिए।
फिर तालाबंदी करवा शेयर मार्केट को गड्ढे में उतार लाखों करोड़ के शेयर अपनी लूट के पैसे से खरीदवा दिये।
इन सभी नाकामियों, जालसाजीयों और षड्यंत्र को छुपाने देश की तालाबंदी कर पूरा व्यवसाय बंद कर दिया। दूसरी तरफ 90करोड़ लोगों को भूख से तड़प2 कर मरने लावारिश छोड़ दिया।
शायद इसीलिए 21 दिनों की तालाबंदी कर दी।
मोदी के अंध भक्त व तोतू मीडिया इस सच को समझेंगे और बताएंगे। प्रसारित करेंगे। कदापि नहीं।
क्योंकि डेढ़ सौ चैनल व अधिकांश बड़े प्रकाशक देश के अंदर अंबानी के खरीदे हुए हैं।
बस एक कम और मंदबुद्धि लावारिस पत्रकार हूं। जो सच्चाई के लिये, सिर पर कफन बांध कर, लिख व बयान कर रहा हूं।
शायद मेरे कमजोर दिमाग का यही सच है।
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