पं. एस के भारध्दवाज की कलम से
विगत 22 मार्च 2020 से पूरे मध्यप्रदेश के सभी नागरिक लॉक डाउन के आदेश से अपने घरों के अंदर बंद हैै ,वह भी देश के प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के एक आह्वान पर बंद है नागरिक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हर राजनेता, प्रशासक के हर आदेश का शब्दशः पालन कर रहे हैं। कोरोना वायरस से पीड़ित हो अथवा प्रथम , द्वितीय स्टेज का मरीज हो जैसे ही मिलता है हमारे जांबाज चिकित्सक और उनका दल तत्काल उसके उपचार में लग जाते है। महामारी की इस विषम परिस्थिति में सहयोग के लिए अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी तन, मन,धन,से खुले दिल से सहयोग कर रही है। दूसरी ओर सरकार के लॉक डाउन के आदेशानुसार कोई भी नागरिक अपने घर से बाहर न निकल जाए अपने दल बल और डंडे के साथ पुलिस पूरी मुस्तैदी से काम कर रही है । इस समय कोई नागरिक अगर किसी भी परिस्थिति में बाहर निकलता भी है तो उसे पुलिस के सेवादार पुट्ठे, सुजाने, घुटने तोड़ने में बिल्कुल भी विलंब नहीं करती है। यह व्यवस्था सीधे मुख्य सचिव संभाल रहे हैं,इस लॉक डाउन व्यवस्था को निरंतर चलते हुए लगभग 3 हफ्ते होने जा रहे हैं। माननीय मुख्यमंत्री जगत मामा श्री चौहान,जिले के सभी कलेक्टर, पुलिस अधिकारी सभी का लॉक डाउन को सफल बनाने पर ही जोर है। स्पष्ट देखा जा रहा है कि सरकार ने डंडे के दम पर जनता को घरों के अंदर बंद कर दिया है, और घरों के अंदर जो भी कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज मिलता है ,उसे उठाकर डॉक्टरों के हवाले कर रहे हैं डॉक्टर अपनी क्षमता अनुभव और योग्यता के अनुसार बिना किसी स्पेसिफिक दवाई और उपकरणों के ही और बिना किसी वैक्सीन के उत्पाद के उपलब्ध नहीं होने के बावजूद अपनी जान जोखिम में डालते हुए उपचार सेवा में लगे हुए हैं। मगर बड़ी विडंबना है कि राज्य सरकार अपना कोई भी दायित्व नहीं निभा रही है।
पूरी दुनिया में किए जा रहे वैज्ञानिक विधि से किए जा रहे प्रयासों का भी अनुसरण नहीं कर रही है ,शायद अभी सरकार पूर्णतः बनी नहीं है। निर्णय लेने में मुख्यमंत्री अभी अनभिज्ञ है, अथवा अधिकारियों की झपिनुमा गोली से नींद में हैं।
इतिहास साक्षी है और प्रारंभिक उपचार का नैसर्गिक सिद्धांत है कि एक सामान्य तौर पर महामारी के समय उपचार की नीतिगत व्यवस्था होती है। जिसमें वायरस के पनपने के स्थान अथवा मिलने के संभावित स्थानों, सार्वजनिक स्थलों,बस स्टैण्ड, रेलवे ,बस परिवहन क्षेत्र सार्वजनिक भवनों सार्वजनिक उपयोग के वाहनों, शासकीय भवनों, अदालत, थाने, बाज़ार आदि स्थानों को रासायनिक दवाओं से छिड़काव करके कीटाणु ,जीवाणु मुक्त किया जाता है।जिसे सरकारी लोग अपनी भाषा में सैनिटाइजेशन करना कहते हैं। बड़े खेद का विषय है कि यह काम आज तक शुरू भी नहीं हुआ है । जिन घरों में ,जिन बस्तियों में, मरीज मिल रहे है ,पुलिस और डॉक्टर उन्हें उठाकर अस्पताल में ले जा रहे हैं, उनका उपचार जो भी सरकार की व्यवस्था है उस तरह से हो रहा है। किस प्रकार हो रहा है ,वही जानते हैं ,मगर जहां पूरे वातावरण को सैनिटाइजेशन करके कीटाणु मुक्त किया जाना चाहिए ,उसमें रत्ती भर भी काम न किया गया है , और न ही अभी सरकार की ऐसी कोई योजना है । यह स्पष्टीकरण मुख्यमंत्री के सचिव एवं नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के आयुक्त श्री पी नरहरि ने स्वयं ने दिया है।इस विषय में चर्चा की तो यह भी स्पष्ट हुआ है कि सरकार की मंशा है कि वातावरण में जब तक वायरस अपने आप कमजोर नहीं हो जाता, और वायरस से पीड़ित पेशेंट मिलना बंद नहीं हो जाते,तब तक सरकार केवल लॉक डाउन ही करेगी । वायरस का कुछ भी और उपचार किए जाने का प्रावधान नहीं है । इस वायरस के हवा में मारने के लिए सरकार के पास कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। और पूरे सामाजिक क्षेत्र को सैनिटाइजेशन कराने का कोई उद्देश्य भी नहीं है। हां यदि जिन क्षेत्रों में ,जिन घरों में कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जाएंगे केवल उन्हीं क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन किया जाएगा। इससे स्पष्ट है सरकार की मंशा केवल मरीजों की गिनती करने के लिए है । अग्रिम रूप से कोई भी उपचार करने का साधन है न मनसा है।
अतः इस राष्ट्र व्यापी महामारी के संदर्भ में मेरा सभी नागरिकों से, बुद्धिजीवी वर्ग से, न्यायविदों से,भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों से, विपक्ष के सक्षम लोगों से विनम्र आग्रह है कि सरकार से निवेदन करें ,आग्रह करें, ज़िद करें, सभी सार्वजनिक स्थानों पर ,बस स्टैंड , रेलवे स्टेशन, मजदूरों की बस्ती हो, चाहे अमीरों की कॉलोनियां हो चाहे बाजार हो ,चाहे पार्क हो सभी स्थानों को सैनिटाइजेशन कराने के लिए सरकार को मजबूर करें,
सरकार के पास हजारों गैलन केमिकल है लाखों वाहन है कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग का अमला, प्रत्येक जिला में जिला मलेरिया कार्यालय, नगर निगम ,नगर पालिका ,नगर पंचायत ,नगर परिषद आपदा प्रबंधन में लगी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां सहित भारत सरकार द्वारा दिया हुआ अरबों रुपया मौजूद हैं । किसी भी वस्तु की ,सरकारी तंत्र की कोई कमी नहीं है कमी हैै केवल मुख्यमंत्री की इच्छाशक्ति और नीयत की है ,उनके सलाहकार मंडल की इच्छाशक्ति और प्रतिष्ठा की है ।
आज प्रदेश , देश के हर नागरिक को केवल कोरोना वायरस का भय सता रहा है। घरों में बंद हैं ,इस महामारी के वातावरण में भय और चिंता कम करने के लिए लोगों को स्वस्थ जीवन देने के लिए -
ज़िद करें - जिद करे और केवल ज़िद करें - *मुख्यमंत्री को मजबूर करें* *
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