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कहां है?
वह सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जो आतंकियों हत्यारों अपराधियों के लिए रात में दो दो तीन 3:00 बजे कोर्ट खोल कर जमानत देते थे।
अब देश के 100 करोड़ गरीब 18 दिन से भूख से परेशान है। और वह अच्छी तरह से जानता है। कि यह सब पाखंड देश के अंदर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों रूपी पाखंडीयों ऐलोपैथिक डाक्टर जो पूरे देश अरबों रू प्रतिदिन डायबीटीज, किडनी, ह्रदयाघात, व अन्य सैकड़ों बीमारियों का भय फैला कर लूटने में अमेरिकी व युरोपियन कंपनियों ने फैला रखा है। कोरोना में पिछले 20 दिनों में 300 आदमी भी नहीं मरे। इसके विपरीत लाखोंं आदमी भूख से मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुके हैं। या मर चुके हैं। जो न तो मिडिया दिखा रहा है। और ना ही सर्वोच्च न्यायालय को ख्याल आ रहा है। जबकि सारा खेल पूंजीपतियों के इशारे पर उस पाखंडी मोदी और उसके मक्कार नीच गिद्ध सलाहकार भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी उसको देकर पूरे देश को तबाह करवा रहे हैं।
क्या यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपने आकाओं की सेवा में आकाओं के गुणगान करने और उनके इशारे पर नाच कर देश की जनता को तबाह करने के लिए बैठे हुए हैं।
यदि उनकी आत्मा जीवित हो और देश में न्याय नाम की कोई प्रणाली बची हो।
तो कम से कम अब सुनवाई करके यह सरकार से पूछे कि अभी तक 18 दिन में करो ना फिर कितने लोग मर गए।
हर दिन सर्दी खांसी जंय सांस अस्थमा, मलेरिया, बुखार, फ्लू वायरल टीबी से पिछले 5 सालों में औसतन कितने आदमी फरवरी-मार्च अप्रैल में और सितंबर अक्टूबर-नवंबर में मरते हैं।
अब सीधे करोना से कितने लोग जो पुरानी किसी बीमारी के शिकार नहीं थे। और मर गये। जिसे अब महामारी मान कर पूरा देश बंदी की नौबत आ गई।
फिर देश बंदी के बाद जब 18 दिन हो गये। कितने लोग भूख से मर चुके हैं।
करोड़ों लोग भूख से परेशान हो रहे हैं। जहां 30 करोड़ मजदूरों को रोज कमाने खाने वाले होकर अपने परिवार मुश्किल से पालते हों। उनकी देश भर में क्या व्यवस्था की जा रही है।
सर्वोच्च न्यायालय देश की 135 करोड़ जनता का विश्वास जीतने अपनी सर्वोच्चता का परिचय देते हुए सरकार के प्रधानमंत्री व उनके प्रधान सचिव से न्यायालय में बुलाकर पूंछताछ कर जनता को बताये।
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