आखिर इतनी आपातकालीन स्िथति में भी भेड़िया झुंड पार्टी के मुख्यमंत्री माई के लाल शिवराज ने आते ही अपने झुंड के माफियाओं की सुरक्षा के लिए, अपनी मोटी कमाई, भविष्य में होने वाले बागी विधानसभा सदस्यों के चुनाव, नगर निगम के चुनाव के लिए जानबूझकर मोटी रॉयल्टी और ईएमआई चुकाने वाले राज्यसेवा के पदोन्नत मनीष सिंह और हरिनारायण चारी को पुनः इंदौर में अचानक पदस्थ नहीं किया।जैसा कि भास्कर ने लिखा। इस घटना को कि जिलाधीश के पद पर मनीष सिंह अब पदस्थ होने वाले हैं। 4 दिन पूर्व भी मैंने अपने इस समूह में डाल दिया था।
आप यह तो 15 साल का मंजा हुआ खिलाड़ी ईएमआई और रॉयल्टी वसूल करने के लिए करेगा ही कमलनाथ ने भी आते ही यही किया था।
राज्य प्रताड़ना सेवा से पदोन्नति प्राप्त अधिकारी ज्यादा कानून नहीं दिखाता।
जो कहो व आदेश दो वह तत्काल यस सर कह मान लेता है। इसके लिए वह सब कानून बलाये ताक रख अपने आका का हुकुम पूरा करता है।
सदैव मंत्रियों मुख्यमंत्री का एहसानमंद रहता है। क्योंकि वह अपने आका की मंजूरी और प्रशंसा से ही भारतीय प्रताड़ना सेवा का अधिकारी बन भारतीय प्रताड़ना सेवा के स्तर का अधिकारी कहलाता है। जो हर एस ए एस अधिकारी का सबसे बड़ा सपना होता है।
ये मनीष सिंह ही थे ना, जब सबसे ज्यादा सैकडों भाजपा नेताओं, भू माफियाओं की कॉलोनी काटी गई जिसमें शिवराज की होशंगाबाद की रेती का निर्माण में उपयोग हुआ।
जबकि भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी कोई भी गैर कानूनी कार्य तत्काल बिना सोचे समझे नहीं करते।
फिर कौन सा नेता ऐसा है जो अपनी बलन के और मोटी रकम देने वाले अधिकारी को अपनी पसंद के स्थान पर पदस्थ करना नहीं चाहता। फिर इंदौर तो प्रदेश की सबसे बडी व्यावसायिक नगरी है। जहां करोडों की मोटी कमाई भू माफियाओं, शराब माफियाओं, कॉलोनी माफियाओं शिक्षा माफियाओं स्वास्थ्य माफियाओं कसाई हॉस्पिटल माफियाओं जो अधघायलों को भी बेहोशी का इंजेक्शन लगा कामा में पहुंचा, मां बाप को बहला फुसला कोरे कागजों पर अंगदान के हस्ताक्षर करवा ह्रदय, लीवर, किडनी, आंखों को निकाल करोड़ो रू में सौदा कर शासन की मदद से ग्रीन कारीडोर का नाटक कर अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई व अन्य शहरों में पहुंचाने में भूमिका निभाने वालों के माध्यम से की जाती है।
उसकी वसूली इमानदारी से पहुंचती रहनी चाहिए इसका ख्याल तो रखना ही पड़ेगा ना।
बहाना भले ही करो ना का हो। पर पावन उद्देश्य तो करोड़ो रू की वसूली ही है। फिर स्थानांतरण वसूली आदि के ये सारे मौखिक आदेश कि चन से आते हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय में तैयार होकर मामा से अंगुठा लगवा कर जारी होते ही पालन प्रतिवेदन देखता है़।
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