1910-20 अमेरिकी और यूरोप की दवा निर्माता और स्वास्थ्य संबंधी मशीनों उपकरणों के निर्माता व निर्माता व्यापारीयों की व्यवसाय संवर्धन संगठन कंपनी है।
यह जो यथार्थ में जिसे स्वास्थ से संबंधित औषधियों इंजेक्शन उपकरणों को बेचने के लिए इस संगठन का पूरे विश्व में दहशत फैलाकर अपने चिकित्सा औषधियां और उपकरण बेचने दुनिया की जनता को उसका आदि बनाने और सतत कमाई करने का साधन है।
जैसा कि मधुमेह, ह्रदय, किडनी, लीवर, कैंसर, थैलेसेमिया, हैपेटाइटिस, एच आई वी, एड्स आदि फिर उसके भी कई प्रकार बना कर दुनिया की 800 करोड़ की आबादी में इन जालसाजों ने 400 करोड़ को मानसिक दहशत का बीमार बना जीवन पर्यंत लूटने का खेल चल रहा है। जिसमें एलोपैथी के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की तरह से हर देश के संगठन वहां की सरकारों और स्वास्थ्य मंत्रालय को खरीद मोटा कमीशन बांट कर एक तरफ जनता को बीमार बनाकर उनके एजेंट डॉक्टर अनापशनाप और अन्ट शन्ट तरीके से लूटते हैं। तो दूसरी तरफ सरकारों में बैठकर वहां के मंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को मोटा कमीशन देकर अपने तरह से मीडिया को खरीद बीमारियों का भय फैलाकर मोतों का डर बताकर लाखों-करोड़ों की उन कंपनियों के माध्यम से करोड़ों का कमीशन बाट हजारों करोड़ का कमीशन पर खरीदी करवाते हैं। जैसा की पिछले 20 सालों में स्वाइन फ्लू, टेमी फ्लू, बर्ड फ्लू, सार्स, निपाह, सार्स आदि का भय फैलाकर मोटी कमाई की गई।
अब उस संगठन पर चीनी सचिव का कब्जा हे स्वभाविक सी बात है जो कार्य आज से 5 वर्ष पूर्व यूरोप की अमेरिका की कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए कर रही थी। अब वही कार्य चीन कोरोना की दहशत फैला कर रहा है।
अभी तक कोराना के संबंध में जो लक्षण बतायें गये हैं। कुछ नहीं निमोनिया के ही लक्षण हैं।
जो ज्यादा समय तक सर्दी खासी के बाद कफ जम जाने से सांस लेने में परेशानी करते हैं। जुखाम सर्दी खासी भी साधरण तौर पर छुआछूत का रोग ही माना जाता है।जो लंबे समय तक रहने पर क्षय रोग या टयुबर क्लोरोसिस कहलाता है। इसमें भी सांस लेने की ही परेशानी होती और दम घुंटता है।
ज्यादा लंबे समय तक रहने पर रोगी ढांचा बन मर जाता है।
परंतु उस पर अब लगभग नियंत्रण रहता है। फिर भी 3से 5 लाख हर वर्ष मर जाते हैं। जवाहर नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की मृत्यु इसी से इलाज न होने के कारण हो गई थी।
जो ठंडे प्रदेश और ठंड में लोगों ज्यादा बढता है। तो कोरोना की इतनी दहशतगर्दी पूरी दुनिया में केवल सेनेटाइजर व दवाई बेंचने के आलावा क्या है? यही हाल कोरोना का है।
जहां तक अमेरिका की किसको आवादी में हर दिन 15000 बच्चें पैदा होते हैं। तो स्वाभाविक सी बात है प्राकृतिक और बीमारियों से भी 2 से 3 हजार मरते भी हैं। मौत के इस आंकड़े में से केवल 1.5 सो की मृत्यु कोरोना से दिखा दी तो नया क्या हो गया।
वही हाल इंदौर का लेवें तो 40 लाख की आबादी में मान ले औसतन 2हजार बच्चों का जन्म होता है। तो 1000 मरते भी हैं।
अब 100 की मौत निमोनिया, टीबी के स्थान पर कोरोना कह दिया तो नया क्या हो गया। तो 3.5 लाख की आबादी हर साल नयी बढ रही है।
वही हाल इटली, ईरान, व अन्य देशों के संबंध में औसतन मृत्यु क्या नियमित हो रही हैं। से 5 से 10गुना ज्यादा मृत्यु किसी भी देश में भारत, अमेरिका, ईरान इटली व अन्य कहीं पर हो माना जा सकता है यह इस बीमारी की महामारी का परिणाम है। अन्यथा पूरी बकवास और दवा कंपनी व अपने आका पूंजीपति के लाभ के लिए रचा गया। पूरा नाटक।
स्वास्थ्य के नाम पर चल रहे हैं निजी कसाईखाने रुपी अस्पतालो में जो की यथार्थ में पूरी नौटंकी मोटी कमाई के लिए की जा रही है जैसा कि 110 सालों में अमेरिका व युरोप की दुनिया में अपना व्यापार फैलाने के लिए विश्व व्यापार संगठन रूपेण राक्षसों कि यह टीम कंपनियों का मोटी कमीशन के लिए पिछले आधी शताब्दी से यह खेल व खिलाई जा रही है।
खंड एक।
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