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भाजपा मोदी-- 4-5 का विकास, बाकी सबका विनाश
भाजपा ने 1998 से 2003 तक पहली बार देश की सत्ता संभाली। जिसमें उनके विनिवेश मंत्री अरुण शौरी ने अपने मोटे कमीशन के चलते देश के सारे बड़ी नवरत्न कंपनियों से लेकर अन्य भारत सरकार के उपक्रमों को जिसमें भारत संचार निगम लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, चारों भारतीय तेल कंपनियां भारत पैट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल कारपोरेशन, ओएनजीसी, गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया से लेकर अधिकांश कोयले की खदानें, रेलवे, बीमा कंपनियां, सरकारी बैंक जिसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लेकर 20 से ज्यादा बैंक आदि के शेयर मार्केट में बेचने के साथ उनमें स्थाई कर्मचारियों को रखने की अपेक्षा बहुत सारे कामों को निजी हाथों में अपने खास पूंजीपति ठेकेदारों को सौंप दिया गया। वहीं भाजपा थी जिसने 2000 में निजी मोबाइल कंपनियों को जिसमें रिलायंस, आइडिया, भारती एयरटेल, टाटा आदि को लाइसेंस लेकर उसी भारत संचार निगम लिमिटेड के एक्सचेंज का उपयोग करते हुए देश में पहली बार मोबाइल सेवाओं को उतारा गया। परंतु उस समय भी भारत संचार निगम लिमिटेड को मोबाइल चलाने के लिए ना तो आज्ञा दी गई और ना ही उसे मोबाइल के लिए लाइसेंस दिए गए। जबकि किसी भी कंपनी के पास आज तक अपने खुद के एक्सचेंज नहीं हैं। वो सारे एक्सचेंज, जनता के धन से डाली गई, केवल ऑप्टिकल फाइबर लाइने, टावर्स जो भारत संचार निगम लिमिटेड ने हीं 50 साल की मेहनत से उनके इंजीनियरों ने खड़े किए थे। उन सब पर निजी मोबाइल कंपनियां सैकड़ों करोड़ रुपए प्रतिदिन की कमाई करती रही और धन बाहर भेजती रही। परंतु भारत संचार को उसकी सेवाओं का उचित मूल्य और किराया तक मोटा कमीशन खाकर नहीं दिया गया। बदले में दूरसंचार नियामक आयोग और दूरसंचार मंत्रालय में बैठे मंत्री से लेकर गिद्ध भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों को करोड़ों रुपए प्रतिमाह के टुकड़े डालकर उनका मुंह बंद रखा गया। जबकि अगर समय पर सारी कंपनियां निर्धारित मानदंडों के अनुसार उनकी सेवाओं को शुल्क का भुगतान कर देती। तो आज भारत संचार निगम लि. का यह हाल नहीं होता उसको किराया जो हजारों करोड़ में था अपने आका पूंजी पतियों को जिसमें टाटा, बिरला, अंबानी, भारती आदि हैं। उनको पूरी सुविधाएं देकर भारत संचार निगम लि. को डुबोने और लूटने की पूरी छूट दी गई।
भारत संचार निगम लिमिटेड की वर्तमान स्थिति सबके सामने है। उसको अपना अस्तित्व बचाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। और गुजराती भूखे मोदी , अमित शाह सरकार की गिद्ध निगाहें उसके भवनो, भूमियों और संपत्तियों को किराये पर देकर बैचकर उसके पूंजीपति आकाओं का पेट भरने की तैयारी चल रही है। यही हाल बैंकों में जनता के जमा लाखों-करोड़ों की धनराशि मैं वहां बैठे महाप्रबंधक संचालकों आदि ने अपना मोटा कमीशन खाकर इन पूंजी पतियों को जानबूझकर की परिसंपत्तियों का अधिक मूल्यांकन कर जो लाखों करोड़ का उधार दिया। उसके समय पर पुर्न वापसी ना होने पर ऋणों के विरुद्ध रहन रखी गई संपत्तियों को बेचकर वसूली करने की अपेक्षा इन इन गुजराती धूर्त गिद्धों ने उन ऋणों की माफी देकर बदले में रिजर्व बैंक से उन बैंकों की कर्ज़ों की भरपाई का कुछ हिस्सा पूरा किया।
अब वर्तमान में मोदी सरकार भी यही हाल रेलवे का कर रही है। जहां पर निजी क्षेत्रों में रेलवे की सरकारी पटरियों पर निजी पूंजीपति आकाओं की ट्रेन दौड़ लगाएंगे। अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि उन पूंजीपति नीच गिद्धों को इस मोदी सरकार ने सैकड़ों करोड़ के कमीशन के बदले में जो ट्रेन दौड़ाने का जिसमें एक इंदौर उज्जैन से काशी तक महाकाल एक्सप्रेस चलाने की बात कही जा रही है। क्या पटरियों पर उन निजी पूंजीपतियों की खरीदी हुई ट्रेन डिब्बे चलेंगे या ट्रेन उसका इंजन डब्बे भी रेलवे के ही हैं। पर उसकी कमाई अपने पूंजीपति आकाओं को दिलवाई जाएगी। मोटा कमीशन रेलवे मंत्री वित्त मंत्री गृह मंत्री प्रधानमंत्री का हिस्सा विदेशों में जमा होगा जो सब लेंगे। जबकि ट्रेन को इंजन को दौड़ाने से लेकर हर बोगी के कंपार्टमेंट में टीटीइ से लेकर सभी कर्मचारी इंजीनियर एग्जामिनर सब रेलवे के ही होंगे। परंतु उसकी आय उसके पूंजीपति बापों को पहुंचेगी। यह पूंजीपति अपनी ट्रेन को सबसे तेज दौड़ाने, बिना कहीं रुके़ किसी रुकावट और परेशानी के गंतव्य से लेकर चलेगा और गंतव्य तक पहुंच समय पर पहुंच आएगा। इस प्रकार की निजी ट्रेनें भारत में चलेंगी। तो वह पूरा रेलवे की अधोसंरचना को खोखला कर देंगी। बदले में मोटी कमाई पूंजीपति ले जाएगा। मोदी अमित शाह यह दोनों गुजराती भूखे भेड़िए पूरे देश की हर शासकीय परिसंपत्तियों को बेचकर गिरवी करके लूट कर खाने में लगे हुए हैं। जिसमें संचार, बैंक, बीमा, तेल कंपनियां, धातु कंपनियां, जिसमें स्टील अथॉरिटी, ताम्र, एलुमिनियम, जिंक, अभ्रक, अन्य धातुओं की जिसमें यूरेनियम तक है। देश की हजारों खदानों से अयस्क निकालकर परिशोधन करके बिक्री करने वाली कंपनियां भी अपने पूंजीपति आकाओं को देकर इस देश का विधाता बना देगा
कर रही है। जितना लूट सके तो लूट अंत काल पछतायेगा सत्ता की गद्दी जाएगी छूट
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