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व्यापारी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने, कबाड़ी मोदी को हथियारों का कबाड़ा बेच ही गया, 3 अरब डॉलर का
आखिर मसखरा व्यापारी अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भारत में आकर कबाड़ी मोदी को रक्षा जरूरतों के नाम पर 3 अरब डॉलर का जो भारतीय रु72x 3=21600करोड में समय बाधित, अनुपयोगी, चलन से बाहर हो चुके जल, थल, नभ सेनाओं के हथियारों का कबाड़ा भी बेच ही गया।
दोनों ही नौटंकीबाज जनता को अपनी महानता की खोखली नौटंकी दिखा, दिखा कर खुश हो रहे थे।
जबकि मोदी और ट्रंप को अपने दृश्य और अदृश्य शत्रु चीन को इस नाजुक समय में पटखनी देने, भारत और अमेरिका चीन के सस्ते माल के चक्कर में बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को मजबूत करने नई उत्पादन इकाइयां शुरू कर अपने करोडों लोगों को रोजगार देने का का बढ़िया वक्त था।
दोनों को मिलकर चीन के सस्ते माल के चक्कर में पिछले 30 सालो मेें अपने यहां की बर्बाद हुई, बंद पड़ी सभी प्रकार के सामानों की फैक्ट्रियों, उत्पादन इकाइयों को पुनः शुरू करने की तैयारी करनी चाहिए थी। पर इस वक्त चीन में फैले कोरोना वायरस के कारण बर्बाद हुई चीन की उत्पादन इकाइयों की वास्तविक महत्वपूर्ण आवश्यकता को समझ तुरंत कार्यवाही करने और दुनिया के सभी देशों को चीन के माल से मुक्ति दिलवाने व्यापार बढ़ाने का बेहतरीन मौका है। इसका उपयोग नहीं किया गया। अभी भी वक्त है जरूरी नहीं है कि आमने सामने बैठकर ही बात हो।
यह बातें विदेश मंत्रालय उद्योग और व्यापार मंत्रालय मिलकर वीडियो कॉलिंग आदि पर भी तुरंत निश्चित करने में सक्षम है जिसे समझा जाना चाहिए।
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