वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति घोर झूठा ट्रंप पहले से ही लंपट, अय्याश, प्लेबॉय की भूमिका निभाता रहा है। अब चूंकि वह अमेरिका का राष्ट्रपति है। तो स्वाभाविक है उसका यह श्रेष्ठता का पाखंड और अहंकार सातवें आसमान पर है। पिछले सवा तीन सालों में लगातार हर पल भारत को नीचा दिखाने के लिए यहां तक कि जब मोदी अमेरिका में उसके साथ हावडी मोदी की नौटंकी कर रहा था। तब भी किसी भी क्षण वह मोदी को नीचा दिखाने से नहीं चूका और काश्मीर पर समझौता का राग अलापता रहा। अब जब कि वह भारत आ रहा है।
स्वाभाविक सी बात है अपनी श्रेष्ठता को सिद्ध करने और अहंकार का प्रदर्शन करने भारत में आकर मोदी के मुंह पर ही मुस्लिमों के, धार्मिसक समानता की नौटंकी, कश्मीर के पक्ष में भी कुछ ना कुछ बोल कर पूरे देश को नीचा दिखाएगा। हिंदुओं का अपमान करेगा। जानता है। मुस्लिमों के खिलाफ बोलने में पूरे देश और दुनिया के मुस्लिम उसके खिलाफ खड़े होकर पूरी दुनिया में उस के खिलाफ भोकेंगे।
अब जबकि भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति का मिलन भारत की धरती पर हो रहा है। जिनका सबसे बड़ा शत्रु हर क्षेत्र चाहे वह व्यापार हो, देश की जनता, शासकीय कार्यो से लेकर, रक्षा संस्थानों तक की जासूसी, रक्षा आदि में फिर पाकिस्तान को आतंकवाद में सहयोग देने हर समय अपने व्यवसायिक पिट्ठू पाकिस्तान का बचाव करने में चीन हीं दोनो के विरुद्ध खड़ा रहता है।
दूसरी तरफ चीन में कोरोना विषाणु का कहर बरपा हुआ है। जिससे उसकी क्षमता हर क्षेत्र में आधी हो चुकी है। उसके सस्ते माल के कारण दुनिया के सभी देशों में छोटे-बड़े उद्योगों को भारी नुकसान पहुंचा है। न केवल भारत और अमेरिका में वरन दुनिया में चारों तरफ बेरोजगारी का एक कारण चीन का सस्ता माल भी है। बेहतर होगा दोनों देश मिलकर इस महत्वपूर्ण 50 साल में मिले पहले अवसर का भरपूर फायदा एक दूसरे के यहां उद्योगों को सहयोग देकर आयात निर्यात बढ़ा कर किया जाना चाहिए। जोकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की यात्रा को यादगार बनाने के साथ दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने एक दूसरे के देशों में व्यापार व्यवसाय और आयात निर्यात बढ़ाने के साथ, आतंकवाद से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को नियंत्रित करने, रक्षा के क्षेत्र में बड़े लड़ाकू विमानों को बनाने से लेकर जंगी जहाजों पनडुब्बियों को बनाने उत्पादन और निर्यात में एक दूसरे को सहयोग देकर पूरे विश्व के लिए एक मिसाल दे सकते हैं।
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