नेता किसी भी पार्टी का हो सत्ता मिलते ही वह वहां बैठे भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारी जो एक बार एक दो परीक्षा पास कर घोर भ्रष्ट जाल साज देश की सत्ता में तहसीलों से लेकर राष्ट्रपति कार्यालय तक 35 40 साल तक जमे रहते हैं वह किसी के सगे नहीं होते।
क़ानून उनकी रखैल नेता मुख्य, मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सब उनके लिए कठपुतलियां होते हैं।
वही हाल प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का भी है। उनके सामने उनके हिसाब से नाचना कूदना सभी नेता मंत्री मुख्यमंत्री की मजबूरी होती है। वरना ये घोर मक्कार, महाधूर्त कहां किसको एक झटके में धूल चटा देंगे। मालूम भी नहीं पड़ता। यह पर्दे के पीछे के सबसे बड़े खिलाड़ी जिनके पास कानून की डिग्री ना होने के बावजूद भी तहसीलदार, उप जिलाधीश, सहायक जिलाधीश, जिलाधीश से लेकर आयुक्त तक 400 कानूनों के बिना पढ़े वजन के हिसाब से निर्णय देते रहते हैं। कमलनाथ माफियाओं को साफ करने की बात कर रहे हैं।यथार्थ में पालने वाले भी तो पटवारी गिरदावर तहसीलदार से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक सब यही सत्ता जी श्लोक होते हैं चाहे वह भूमाफिया हो, खनन माफियाओं, कॉलोनी माफियाओं, खाद्य पदार्थ बेचने वाले माफियाओं, शिक्षा माफिया, नशा माफिया, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के तांडव से जनता को बर्बाद करने वाले माफियाओं में सब यही है। देश की सत्ता में ये ही सब जगह है। पर सामने इनके जनता द्वारा चुने कठपुतली नेता हैं। ये कहीं नहीं है। ये कहीं नहीं है पर सब जगह यही हैं।
कमलनाथ की तारीफ के कसीदे पढ़ने वाले कृपा के आकांक्षी पत्रकार भी अच्छी तरह से जानते हैं कि 15 साल से भूखे बैठे यह जो नौटंकी कर रहे हैं केवल और केवल वसूली के लिए सारी नौटंकी चल रही है। अभी भी बड़े असली कॉलोनी माफिया, भू माफिया, खनन माफिया, मिलावट माफिया, शराब, ड्रग माफिया में से 10 छोटी मछलियों को पकड़कर 90 से मोटी वसूली का खेल यथावत जारी है़। इस खेल के असली खिलाड़ी पटवारी, नायब तहसीलदार, तहसीलदार, सहायक, उप, व जिलाधीश स्तर के, गृह एवं ग्राम निवेश, नगर निगम,पालिका, लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल, नजूल अधिकारी, भू अभिलेख अधिकारी, रजिस्ट्रार, चल अचल संपत्ति व अन्य विभागों के अधिकारियों जिन्होंने शासकीय जमीनों पर जानबूझकर सैकड़ों शिकायतें होने के बाद में भी कार्रवाई ना कर भू माफियाओं पर इन्हीं अधिकारियों द्वारा मोटा धन वसूल कर पाला पोसा गया अवैध कालोनियां बहुमंजिला इमारतें बेचे व बिकवाए गए।
जिन्होंने इन सब को पाला। सबसे पहले उनकी गिरफ्तारियां करके ही पूछताछ की जाती कि उन्होंने किस-किस को पाला पर किसी भी गिरदावर से लेकर पटवारी नायब तहसीलदार सहायक उप जिलाधीश जिलाधीश से लेकर आयुक्त तक किसी पर कोई कार्यवाही कोई प्रथम सूचना दर्ज नहीं हुई तो यह सब नौटंकी क्या केवल वसूली के लिए है।
अगर सचमुच कपट नाग में दम है तो ये सत्ता में बैठे इन असली माफिया अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर इन्हीं से माफियाओं की जानकारी लेकर माफिया के साथ इन्हें भी गिरफ्तार कर 120 बी 420 इन सब में केस चलाए जाने चाहिए पर ऐसा कहीं हुआ क्या प्रदेश में।
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