मिर्जापुर तेजाजी नगर इंदौर की अशोक वाधवानी की कत्था फैक्ट्री पिछले 30 सालों से चल रही है सब का महीना बंधा हुआ है और उसमें खाद्य एवं औषधि वाले भी शामिल हैं।
उनका सबसे ज्यादा मोटा महीना है।अभी क्यों याद आ रही है।
पत्रकार भी वहां से वसूली करते हैं। ऐसे इंदौर में २००० से ज्यादा सैकड़ों मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन और बिक्री करने वाले हैं। आखिर जो खाद्य निरीक्षक तीस लाख रुपए देकर अपना स्थानांतरण रुकवा कर 10 साल से कुंडली मारे 5 से ज्यादा खाद्य निरीक्षक मोटा महीना देकर यहां बैठे हैं। और पूरे मध्यप्रदेश में 265 खाद्य निरीक्षकों में से लगभग 140 निरीक्षक 10 साल से ज्यादा समय से इन्हीं मिलावटीयों के दम पर मोटी वसूली कर ना केवल मंत्री, हर जिले के कलेक्टर, डेप्युटी कलेक्टर, सीएमओ, नियंत्रक सचिव स्वास्थ्य प्रधान सचिव स्वास्थ्य को बांट कर ही तो बैठे हैं। आखिर उनका स्थानांतरण क्यों नहीं होता और क्यों यह नौटंकी मचा कर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट उसके बेटों और दलालों ने अरबों की वसूली कर ली है तो इन्हीं मिलावटी खाद्य पदार्थों का उत्पादन और बिक्री करने वालों के दम पर ही।
आखिर खाद्य व औषधि , पुलिस, नौटंकी शुद्ध का युद्ध की आड़ में विशुध्द वसूली का युद्ध चल रहा है चारों तरफ।
आखिर बेचारे 15 साल से भूखे बैठे हुए थे अपने इकट्ठे किए हुए धन की आग जलाकर सत्ता की शीतलता में भी राजनीति करते तापते हुए 15 साल गुजारे हैं उन्होंने।
तो दोनों हाथों से अपने बेटों दलालों और चेलों के माध्यम से वसूली में जुटे हुए हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि ना जाने कब सकता हाथ से निकल जाए और फिर ना जाने कब तक सड़कों पर धूल फाकनी पड़ जाएगी इसलिए यह नौटंकी चल रही है। अन्यथा तो जनता बेचारी एक तरफ स्वादिष्ट जहर खाती है। तो दूसरी तरफ अपने कमाए हुए धन को डॉक्टरों पर लुटाती है। फिर छोटी मोटी फैक्ट्रियां पकड़ कर काम तो बेशक अच्छा कर रहे हैं आप परंतु जो बहुराष्ट्रीय कंपनियां हर चीज में मानव शरीर घातक रसायनों का प्रयोग करती हैं उनसे तो पहले ही से महीना मिलना शुरू हो चुका है। उन्हीं के इशारों पर उन्हीं के फायदे के लिए उनकी मोटी कृपा पाने के लिए यह नौटंकी करना तो आवश्यक है वरना तो सांची और अमूल भी यूरिया का दूध पिला ही रहे हैं जनता को।
कांग्रेसी अंग्रेजी संकर देसी नस्ल के नेताओं को बड़ी मुश्किल से सत्ता मिली है पर हर पल 24 घंटे सातों दिन 12 महीने से यह डर सटाता रहता है।
लूट सके तो लूट अंत काल पछतायेगा सत्ता जाएगी छूट।
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