उज्जैन म प्र जल संसाधन विभाग में मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने की आवश्यकता क्या है?
आखिर उज्जैन म प्र जल संसाधन विभाग में मुख्य अभियंता कार्यालय खोलने की आवश्यकता क्या है? मात्र जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा की इच्छा पूरी करना दूसरी तरफ जब इंदौर के मुख्य अभियंता कार्यालय में मात्र 16 संभाग ही हैं और उसमें 4 अधीक्षण यंत्री बैठे हुए हैं। एक तरफ कपट नाथ सरकार बोलती है खर्चे कम करने की दूसरी तरफ अपनी मनमानी करने के लिए हुकुम कराड़ा मंत्री सीधा पैसा हजम करने के लिए नया मुख्यअभियंता कार्यालय उज्जैन में खोलने जा रहे हैं। जो बात से इंदौर से 55 किमी दूर है। जिसके आदेश निकाले जा चुके हैं मंत्री कराड़ा अपने भ्रष्टाचार के लिए पहले भी चर्चित रहे हैं और अभी भी सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में काम छिंदवाड़ा और शाजापुर में ही किए करवाए जा रहे हैं बाकी पूरे प्रदेश के सभी संभागों को होल्ड पर रखा गया है जो काम चल रहे थे उनमें भी आते देख कम पैसा देकर सारे कार्यों की गति थाम दी है। या मंदा कर दिया गया है। वैसे भी कमलनाथ लाख-लाख ईमानदारी से अच्छा काम किया जा रहा है यथार्थ में सारे मंत्री दोनों हाथ से 15 साल की भूख मिटाने में लूट में जुटे हुए हैं। पूर्व का भ्रष्ट धार का सहा. व का. यंत्री डाबर ने काम कम किए और भ्रष्टाचार ज्यादा खूब लूटा और लुटाया।डफर होने के साथ चूंकि अ. यंत्री व मुख्य अभियंता रहते हुए भी लूटपाट के लिए परियोजना में नहरों बांधों की डिजाइन बदलना, ठेकेदारों को लाभ पहुंचा कर मोटा पैसा हजम कर प्रमुख अभियंता से लेकर प्रमुख सचिव मंत्री और मुख्यमंत्री को बांटने का कार्य करते रहे हैं इसलिए खुश होकर उन्हें वर्तमान में प्रदेश का प्रमुख अभियंता जल संसाधन का प्रभार दे दिया गया है दूसरी तरफ इंदौर में बैठा मुख्य अभियंता वाइसी शर्मा घोर अक्खड़ मिजाज होने के साथ तानाशाही करने के कारण इंदौर मुख्य अभियंता कार्यालय को तोड़कर उज्जैन मुख्यमंत्री कार्यालय बनाने की प्रक्रिया चल रही है जो कि भविष्य में सरकार के लिए स्थापना पर मोटे खर्चे के कारण भारी घाटे का सौदा सिद्ध होगी। जबकि वही कार्य इंदौर से भी सुचारू रूप से चल रहा है अभी तक। मंत्री कराड़ा की पटरी अगर शर्मा से नहीं बैठ पा रही है तो उसको हटाकर भी अपने कार्यों को संपन्न किया जा सकता है। बेशक कराड़ा कि मंशा के पीछे सीधा षड्यंत्र है कि आसानी से अधिकतम काम शाजापुर में करवाने के बहाने 20 से 25% पैसा हर परियोजना का हजम कर लिया जाए जिसकी खबर इंदौर तक ना पहुंचे। परंतु मुख्य अभियंता कार्यालय उज्जैन खोलकर भारी खर्चों को आमंत्रित करना कहीं की भी बुद्धिमानी नहीं होगी।
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