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टुकड़ खोर मीडिया कांग्रेस की सरकार की झूठी प्रशंसा में बर्बाद कर रहा प्रदेश, कमलनाथ सरकार पूर्णता रही असफल
मध्य प्रदेश सरकार के कमलनाथ का आज दिनांक 17 .12 .19 को 1 वर्ष पूरा हो गया। इस खुशी में सरकार ने लगभग एक ही दिन में रु 50 करोड़ से ज्यादा के विज्ञापन अखबारों को और लगभग 50 करोड से ज्यादा के विज्ञापन भारत की टीवी चैनलों को बांट दिए गए यह क्रम पिछले 1 महीने से अपनी हर जगह असफलता की कहानी को छुपाने के लिए चारों तरफ मीडिया में अरबों रुपए के विज्ञापन बांट दिए गए। जब यही काम भाजपा करती थी तब कांग्रेश उसके विरोध में प्रदर्शन करके सरकार को विज्ञापनों पर खर्च किए जाने वाले धन को शासन की फिजूलखर्ची बताती थी। बेशक अगर आपने काम अच्छा किया है। तो जनता के सामने हैं। विज्ञापनों पर जन धन से लूटा गया अरबों रुपए खर्च करने का कोई औचित्य भी नहीं। वर्तमान में एक तरफ कॉन्ग्रेस 1 वर्ष गुजर जाने के बाद में भी ना तो किसानों का रुपए दो लाख तक का कर्जा माफ कर पाई ना ही पूर्व में भाजपा के सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए कार्यों को जो जल संसाधन विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, लोक निर्माण विभाग, नर्मदा घाटी, ग्रामीण यांत्रिकी आदि में चल रहे थे। सबको छिंदवाड़ा जिले को छोड़कर बंद कर दिया गया है। सरकार हमेशा रोती रहती है। उसके पास पैसा नहीं है। पैसा चारों तरफ से जनता से पेट्रोल डीजल गैस पंजीयन परिवहन विभाग शराब मैं कई गुना ज्यादा लूटा जा रहा है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार जो पैसा देती है। उसका भी भरपूर सदुपयोग छिंदवाड़ा के संसदीय जहां से कमलनाथ का बेटा नकुल नाथ सांसद है के विकास में ही खर्च किया जा रहा है। सत्ता में आने के बाद सरकार ने वहां 40 से ज्यादा जल संसाधन विभाग के तालाबों नेहरू बांध वादी पर स्वीकृति देकर काम शुरू करवा दिया यही हाल वहां के छोटे-छोटे गांव में को शहरों से जोड़ने के लिए 50 से ज्यादा सड़कें लोक निर्माण विभाग ग्रामीण सड़क विकास निगम ग्रामीण यांत्रिकी और रोड डकैत निगम को स्वीकृत कर दी हैं जो केंद्रीय सड़क निधि मंडी शुल्क शासन के लोक निर्माण विभाग के शुल्क और केंद्रीय ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के द्वारा निर्मित की जायेंगी वहां पर सत्ता संभालते ही कमलनाथ ने चिकित्सा महाविद्यालय कृषि और उद्यानिकी महाविद्यालय के लिए लगभग 10000 करोड रुपए की व्यवस्था कर दी है। अर्थात पूरे मध्यप्रदेश से लूटो और छिंदवाड़ा का विकास करो। क्योंकि वहां पर उसकी अनेकों फैक्ट्रियां और उसके फैक्ट्रियों के कर्मचारियों के विकास का सवाल है।।
बाकी पूरे मध्य प्रदेश के 51 जिले सभी प्रकार के विकास कार्यों से वंचित किए जा रहे हैं एक तरफ बड़े समाचार पत्रों को भरपूर विज्ञापन बैठकर अपनी नाकामियों को छुपाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है तो दूसरी तरफ छोटे समाचार पत्रों साप्ताहिक ओ पक्षी को को मासिक समाचार पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन दिए ही नहीं जा रहे हैं और अगर उन्होंने जोड़-तोड़ से विज्ञापन ले भी लिए तो उन्हें भुगतान नहीं दिया जा रहा है हर बात में रोना रोया जाता है कि सरकार के पास धन नहीं है इसके साथ ही सरकार ने सत्ता में आने से पूर्व जो वादा किया था कि वह सभी संविदा कर्मियों को जो लगभग एक लाख के आसपास हो चुके हैं। और वर्षों से शासकीय विभागों में कंप्यूटर ऑपरेटर, शिक्षा, स्वास्थ्य, वाहन चालक, बाबू से जो की दैनिक मजदूरी की दर पर या उससे भी कम पर 8 से 10 घंटे प्रतिदिन काम करते हैं से लेकर डॉक्टर इंजीनियर के पदों पर काम कर रहे हैं। सब को नियमित कर दिया जाएगा अभी तक उनके नियमितीकरण की कोई भी प्रक्रिया सरकार ने सोची तक नहीं इसके विपरीत अधिकांश विभागों में अब यह सभी तकनीकी और उच्च शिक्षित कर्मचारियों को ठेके की प्रथा पर काम लेने का सरकार ने एक नया तरीका विकसित कर दिया है जहां पर ठेकेदार उनकी ₹2000 प्रति माह से 5000 प्रतिमाह तक प्रति कर्मचारी हड़प जाता है जिसमें अधिकारियों का भी हिस्सा होता है उन्हें चार चार माह तक वेतन नहीं दिया जाता और वह हर महीने उस धन को हड़प कर अपने पास रख लेता है इसके साथ ही जो नियमित 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी अधिकारी बाबू से लेकर इंजीनियर डॉक्टर तक शासकीय विभागों में कार्यरत है उन्हें उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी पदोन्नति नहीं दी जा रही और अधिकांश कर्मचारी अधिकारी जो सन 1990 के पहले भर्ती हुए थे सेवानिवृत्ति की कगार पर आ चुके हैं बार-बार सरकार शासकीय कर्मियों को भ्रमित करने के लिए प्रक्रिया चल रही है। काम हो रहा है शीघ्र पदोन्नति दी जाएगी 1 वर्ष गुजर जाने के बाद आज तक किसी भी विभाग में किसी भी पद की भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों को छोड़कर पदोन्नति के लिए कोई हलचल या विभागीय पदोन्नति समिति की कोई बैठक तक नहीं बुलाई गई है। जबकि इसके विपरीत सरकार के सभी मंत्रालयों में बैठे मंत्रियों ने कनिष्ठ कर्मचारियों और अधिकारियों को वरिष्ठ पदों पर बैठाकर उनसे कमाई का एक नया तरीका विकसित कर लिया है बैठाने के लिए पहले एक एकमुश्त मोटी राशि और मासिक पट्टे का धन हर कनिष्ठ अधिकारी को वरिष्ठ पद पर बैठा कर करोड़ों रुपए में पूरे प्रदेश में वसूला जा रहा है।
यही कारण है कि उन्हें पदोन्नति भी नहीं दी जा रही पदोन्नति देने के बाद उनसे ना नीलामी का धन मिलेगा और ना पट्टे की मासिक रॉयल्टी मिलेगी जानबूझकर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए किसी को भी पदोन्नति देने का सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ और उसके मंत्रियों का कोई इरादा भी नहीं है।
दूसरी तरफ सरकार कर्मचारियों अधिकारियों से लेकर तकनीकी डॉक्टर्स इंजिनियर्स कृषि उद्यान की वैज्ञानिकों से लेकर सभी विद्यालयों महाविद्यालयों में शिक्षकों व्याख्याताओं कि लगभग 30% से ज्यादा की कमी से विभागीय स्तर पर जूझ रही है इसके साथ ही लगभग मार्च 20 के बाद हर वर्ष 30 से 40,000 कर्मचारी और अधिकारी सेवानिवृत्ति की कगार पर खड़े हुए हैं उन्हें न्यूनतम 15लाख से लेकर डेढ़ करोड़ रुपए तक का भुगतान करना है। लगभग प्रतिवर्ष रु 15हजार करोड़ से ज्यादा होगा।
उसके लिए भी सरकार के पास पैसा नहीं है। इसलिए वह सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष करने जा रही है। जबकि 90% अधिकारी कर्मचारी 60- 62 की उम्र के बाद काम करने के इच्छुक नहीं है। वे चाहते हैं की सरकारों ने सेवानिवृत्त करें और लगभग दो लाख से ज्यादा कर्मचारियों और अधिकारियों की शीघ्र भर्ती कर नए युवा शिक्षित लोगों को रोजगार प्रदान करें उनका कहना है। जितने में एक अधिकारी को वेतन दिया जा रहा है जो अब काम करने के योग्य ही नहीं है और मजबूरी व वेतन के खातिर कार्यालयों में जाकर काम करने की अपेक्षा यहां वहां समय व्यतीत कर घर चले जाते हैं।
इससे बेहतर होगा उनकी दिए जाने वाले वेतन के बदले में 4 नए युवा कंप्यूटर शिक्षित कर्मचारी अधिकारी रखे जा सकते हैं। पर इस क्षेत्र में भी सरकार ने पिछले 1 वर्ष में कुछ भी नहीं किया केवल बातों का जमा खर्च व काग्जी घोड़े हवा में दौड़ रहे हैं।
इस सब पाखंड को बंद कर सरकार मुफ्त में पैसा विज्ञापनों में और झूठी वाहवाही लुटने की अपेक्षा वास्तविकता के धरातल पर पूरे मध्य प्रदेश के हर जिले का विकास का ठोस कार्य कर जनता का दिल जीतना आवश्यक है। क्योंकि कॉन्ग्रेस के विधायक हर जिले से जीतकर पहुंचे हैं तब कमलनाथ और कॉन्ग्रेस के विधायकों के साथ अन्य विधायकों का समर्थन मिलने पर मुख्यमंत्री बना है ना कि केवल छिंदवाड़ा जीतकर छिंदवाड़ा का मुख्यमंत्री बना है इस पर ध्यान देना होगा अन्यथा कांग्रेस के अन्य विधायकों को स्वयं ही कमलनाथ से है सवाल करना चाहिए क्योंकि उन्हें भी अगली बार अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ना पड़ेगा और वहां अगर जनता को कोई विकास कार्य नहीं दिखा तो विधायकों की विधायकी खतरे में पड़ जाएगी।
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