मप्र सामान्य प्रशासन विभाग केे भ्रष्ट टुकड़खोर, भ्रष्टाचार को संरक्षण दे, सूचना अधिकार अधिनियम को बना रहेे भोथरा अपने पर‍ि‍पत्रों से
मुख्यमंत्री मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग में बैठे सुकरो की फौज अपनी मोटी वसूली और् भ्रष्टाचार को संरक्षण देने के लिए के लिए पिछले 14 सालों में सूचना के अधिकार अधिनियम का मजाक बनाते हुए इस अधिनियम की धारा 19 का उल्लंघन करते हुए पंचायत और इसके ग्रामीण यांत्रिकीय, उद्यान‍ि‍की, महिला एवं बाल विकास, कोष एवं लेखा, आदिम जाति, प‍िछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक, खन‍ि‍ज, शिक्षा विभाग, कृषि, पंचायत विभाग आद‍ि‍ में जिला अधिकारी को लोक सूचना अधिकारी होना चाहिए था, उनके वरिष्ठ को अपीलीय अधिकारी होना चाहिए था। परंतु कानून की धज्जियां ब‍िखेरते हुए लूट और भ्रष्टाचार के ल‍ि‍ये अपनी मनमर्जी से सूचना अधिकारी को ही अपीलीय अधिकारी बना दिया गया तो कहीं ज‍िलाधीशों और मुख्य कार्यपालन अध‍ि‍कारी को अपीलीय अध‍ि‍कारी बना द‍िया। पंचायत विभाग मैं प्रधान सचिव और मंत्री से लेकर सरपंच और सचिव सबसे ज्यादा और सबसे बड़े भ्रष्टाचारी होते हैं। मेरी यह बात और लेखन जो पिछले 20 वर्षों से पंचायत के बारे में लिख रहा हूं, मैं।जिसे मैंने काफी निकट से समझा और देखा है। देपालपुर में पड़े सचिव दुबे के ऊपर लोकायुक्त छापे ने सिद्ध कर दी।यहां पर भी ग्राम पंचायतों से लेकर जनपदों, जिला पंचायतों जहां संविदा कर्मियों में महिलाओं का खुलकर यौन शोषण किया जाता है। खुलकर हनी ट्रैपिंग होती है। तब ही महिलाओं की समयवृध्दि और वेतन मिलता है। यहां पर भी 20 -20, 25- 25 साल तक बैठे रहने वाले बाबू सहायकों लेखाकार व अन्य सभी स्टाफ भारी भ्रष्ट और जाल साज होते हैं हर योजनाओं में धन वितरण अनुदान आदि में खुलकर भ्रष्टाचार का तांडव होता है। इसलिए यहां बैठा हुआ भारती प्रताणना सेवा का अधिकारी किसी को भी सूचना के अधिकार में जानकारी नहीं देता और यह जालसाज अपनी अपील स्वयं सुनने का पात्र होता है। इसलिए वह अपील रद्द कर दी जाती हैं। मध्यप्रदेश का सामान्य प्रशासन विभाग जो सारे प्रदेश के भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों की उंगलियों और इशारों पर उनके टुकड़ों पर पलता है। वहां बैठे गिद्धों की फौज, टुकड़ी खाकर नए-नए परिपत्र जारी करती है जिसमें इन हरामखोर सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों ने जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को जो कि लोक सूचना अधिकारी है धारा 19 सूचना के अधिकार अधिनियम की को ही जिसे संसद में पास किया गया था उसकी धज्जियां बिखेरते हुए इन हराम खोरो, अपने मन से ही अपनी जालसाजीयों व भ्रष्टाचार को छुपाने परिपत्र जारी कर दिए। इन जालसाजों ने परिपत्र जारी कर उसको उसका अपीलीय अधिकारी बना दिया ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के कार्यपालन यंत्री जो कि लोक सूचना अधिकारी है। वहां उपयंत्री सहायक यंत्री को लोक सूचना अधिकारी और कार्यपालन यंत्री को उसका अपीलीय अधिकारी बना दिया। यही हाल इन हरामखोर सामान्य प्रशासन विभाग के लोगों ने उप संचालक कृषि को उसका अपीलीय अधिकारी बना दिया। साथ में उप संचालक उद्यानिकी का, शिक्षा विभाग का अपीलीय अधिकारी भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को बना दिया गया। जबकि कानूनन उसी विभाग का वरिष्ठ अधिकारी लोक सूचना अधिकारी होना चाहिए था जिसमें गले के उद्यान की के उपसंचालक का अपीलीय अधिकारी संयुक्त संचालक होना चाहिए था वही हाल शिक्षा विभाग में उनका वरिष्ठ अधिकारी संभागीय स्तर का संयुक्त संचालक होना चाहिए था उसी प्रकार कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी का वरिष्ठ अधिकारी अधीक्षण यंत्री होना चाहिए था़। खनिज विभाग का, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, महिला बाल विकास का, कोष एवं लेखा का, परिवहन का भी अपीलीय अधिकारी जिलाधीश को बना दिया गया है। जबकि उनका वरिष्ठ संयुक्त संचालक या क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी होना चाहिए था। जिलाधीशों को जिनमें अपीलीय अधिकारी बनाया गया है। वह हरामखोर भी अपने आपको जिले का मालिक समझते हुए अपील जैसे छोटे से काम को जिसमें कोई कमाई नहीं होना है। छोटे जिलों में सहायक जिलाधीश को सौंप देते हैं और वह सहायक जिलाधीश आराम से उन अधिकारियों से महीना खाता है। इसलिए वह जालसाअ मक्कार वह सारी अपीलें रद्द कर देता है। इस प्रकार से सामान्य प्रशासन विभाग पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार को पालता पोसता और जालसाजियों को फैलाने में मदद करता है। हाल ही में सामान्य प्रशासन विभाग ने जालसाजी पूर्ण तरीके से धारा 6(3) को भोथरा बना दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने एक परिपत्र क्रमांक/ 667/1056/2016 दिनांक 08:09:19 जारी किया है। यथार्थ में सत्ताधीशों जो अपने आप को खुदा मान लेते हैं। जबकि यह सूकरों की फौज भी कानून से कानून का पालन करने के लिए जन धन से वेतन लेते हैं। पर यह गिद्धों की फौज अपनी लूट खसोंट भ्रष्टाचार और जल साजियों को बरकरार रखने अपने मन से ही कानून की धज्जियां बिखेरते हुए परिपत्र जारी करते रहते हैं और यही कारण है की पंचायत का एक अदना सा सचिव भी इन चुरकटों की सह पर चुरकटों को टुकड़े डालकर करोड़पति हो जाता है। बदले में जनता से नेता अधिकारी करों से, शासकीय सेवाओं की शुल्क वृद्धि से दोनों हाथ से लूटकर अपनी लूट का तांडव करते रहते हैं।
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