मप्र, कृषि विभाग में झाबुआ में खाद उत्पादकों पर, छापे मारकर, नमूने लेकर जांच किये जाने पर उन फैक्ट्रियों को बंद की जाने की कार्रवाई की गई। पिछले 20 वर्षों से वही घोर भ्रष्ट अधिकारी संयुक्त संचालक उपसंचालक और सहायक संचालक के कुंडली मार कर मारकर बैठे वह है जिन्होंने मोटी वसूली का इन सब को लाइसेंस दिए थे।
शुद्ध के लिए युद्ध अभी शुरू हुआ उसके पहले तो वसूली जारी थी। जबकि शुद्ध का नौटंकी का युद्ध के साथ जिन लोगों ने इस वसूली का वर्षों से युद्ध किया है उनकी भी जांच की जानी चाहिए आकर वह हरामखोर जाल साज भी लपेटे में आए आंख मीच कर इन सब उर्वरक कीटनाशक और बीज कंपनियों को इस तरह मिलावटी और नकली माल किसानों को बैच कर पूरी फसलें बर्बाद करने के साथ किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर कर रहे थे जिन्होंने प्रदेश की कृषि को बर्बाद किया अखिलेश ऐसे उपसंचालक को सहायक संचालकों से लेकर प्रधान सचिव राजेश राजौरा तक सब खा पी कर पिछाड़ी हाथ बांधकर कैसे मौज मस्ती में घूम रहे हैं कांग्रेस के आने से यह उम्मीद थी कि भ्रष्ट और जालसाजी को पकड़ कर पर्याप्त सजा देगी और जनता को राहत दिलाएगी परंतु यह सब भी शामिल होकर लूटने में लगे हुए हैं सच तो यह शुद्ध के युद्ध के नाम पर केवल वसूली का युद्ध चल रहा है सैंपल लिए जाते हैं मोटा पैसा लेकर बदल दिए जाते हैं और उनकी जांच रिपोर्ट भी बदल जाती है पर भी पर्याप्त सूक्ष्मता से निगरानी की जा कर दोषियों को जिन्होंने ऐसे जाल साज लोगों को पाला पोसा बड़ा किया उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।
मध्य प्रदेश के 51 जिलों के अधिकांश उप संचालक कृषि और संबंधित उप संचालकों ने जिसमें पूर्व के आलोक मीणा और वर्तमान विजय चौरसिया ऐसे लोगों ने इंदौर में रहकर ऐसे फर्जी उत्पादकों को पाला पोसा बड़ा किया और मोटा कमीशन हजम कर उस समय के प्रधान सचिव राजेश राजौरा तक को पहुंचाया। वर्तमान में भी विजय चौरसिया 2-3 स्थानांतरित होने के बाद लौट कर आया।
मोटी वसूली के बाद बांट कर ही तो यहां जमा हुआ है।
ऐसे अधिकारियों ने जो रोल अदा किया है।
उसकी भी गहनता से जांच की जा कर दोषियों को पर्याप्त दंड दिया जाना चाहिए।
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