मप्र के मुमं कमलनाथ शीघ्र किसानों को फसल ऋण के लिए वित्तीय संस्थानों को निर्देश देंं।
कमलनाथ सरकार को चाहिए कि इस भारी बरसात से प्रदेश के किसानों की फसलें चौपट हो गई हैं। जो हुआ सो हुआ।मुख्यमंत्री नाथ को चाहिए क‍ि‍ तत्काल केंद्र सरकार से बात कर वित्त मंत्रालय के माध्यम से बैंकों को किसानों को अगला फसल ऋण देने के लिए निर्देश देवें। किसानों की फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें शीघ्र जिन कंपनियों ने किसानों की फसल का बीमा किया था। उनसे उन्हें उनकी फ़सलों की बर्बादी पर बीमा दिलवाया जाए ताकि किसान अपना पुराना कर्ज चुका सकें। वर्तमान में खरीफ की फसल बिगड़ जाने से बेशक किसान नई फसल की बोनी के लिए धन की कमी से खाद बीज नहीं खरीद पा रहा है और यह कांग्रेस सरकार के लिए सबसे बढ़िया वक्त है। जब किसानों भाईयों की फसल बिगड़ने से उत्पन्न वित्तीय संकट के की पीड़ा पर अपने शासकीय प्रयासों से व बोल वचन से लेप लगाकर उनका दिल जीत सकती है। इसलिए आवश्यक है कि वह बैंकों को निर्देश दें कि यदि कोई किसान अपनी पुरानी किस्ते नहीं भर पाया है। तो भी उसे नई बोनी के लिए फसल ऋण उपलब्ध करवाएं। ताकि किसान खाद बीज लेकर, रबी की फसलों की बोनी कर सकें। और पुराने कर्ज़ों को चुकाने के लिए नई फसल तैयार कर सकें। अभी किसान पुरानी फसलों की बर्बादी से और पुराने कर्ज से भारी हैरान-परेशान हैं। कमलनाथ सरकार को चाहिए की बैंक वित्तीय संस्थानों के साथ कृषि विभाग को भी त्वरित निर्देश दें। धनाभाव से यदि किसानों नेे खेतों में रबी की फसल नहीं बोई तो स्वाभाविक सी बात है, क‍ि किसान के खेत सूखे रहने पर, किसान की निराश होने के साथ ही उसी जीवनयापन में तो जो परेशानी आएगी, यदि उसे भुला भी दिया जाए, तो भी कृषि भूमि के सूखा रहने से यह राष्ट्रीय कृषि उत्पादन की क्षति होने के साथ, देश की भी 132 करोड़ जनता को पेट भरने के लिए भी जो अनाज चाहिए उसके ना मिलने से हमें विदेशी आयात पर विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ेगी वह भी राष्ट्रीय क्षति होगी। शासकीय स्तर पर तत्काल प्रयास कर किसानों को वित्तीय संस्थानों से नया कर्ज दिलवाने और उससे नई फसल के बीजों गेहूं, चना, मटर व अन्य रबी की फसलों के लिए खाद बीज की व्यवस्था करने में उन्हें परेशानी ना आए और प्रभु कृपा से क्योंकि पानी अच्छा गिर गया है। जमीन में नमी बनी रहने से रबी की फसलें जो बहुत अच्छी होने की संभावना है। यदि किसानों के खेतों में सही समय पर अर्थात नवंबर में गेहूं चने वाली रबी फसलों की बोहनी हो जाने से, यह फसलें फरवरी तक पक जाएंंगी। फरवरी 20 तक फसलों की कटाई के बाद आसानी से किसान फरवरी-मार्च में अप्रैल-मई तक के लिए गर्मी की फसलें जिसमें मूंग प्याज व सब्जियां आदि की फसलें तैयार कर सकता है। जिससे किसानों का पुराना कर्ज और नया कर्ज चुकाने के साथ किसानों के पास उनकी मेहनत का कुछ धन बच जाएगा। ताकि वह अपना जीवन यापन आसानी और सरलता से कर सकें और उन्हें लगे की कमलनाथ सरकार भले ही कर्जा माफ ना कर पाई हो परंतु वह किसानों का ख्याल रखती है। उसे फसल बोने के लिए बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध अवश्य करवा दिया गया है। इससे क‍िसानों का काम नहीं रुकेगा और वे निराश नहीं होंगे। इस बहाने सरकार उन्हें एहसास करवा सकती है। की बे भी देश का हिस्सा है। सरकार हर कदम उन्हें सहयोग कर रही है। और सरकार उनका भले ही धनाभाव के कारण लोन माफ न कर पाई हो परंतु उनके खाद बीज के लिए अगले लोन की व्यवस्था बैंकों और वित्तीय संस्थानों के माध्यम से करवाई जा रही है। ताकि वे नवंबर दिसंबर में अपनी रवी की फसल की बोहनी पूरे तन मन से कर, नई फसल तैयार कर धन प्राप्ति के साथ पुनः अपने जीवन को पटरी पर लाने में सफल हो। शायद कमलनाथ व उनका मंत्रिमंडल तत्काल इस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रखकर बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थानों को शीघ्र ही दिशा निर्देश जारी करेंगे।
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