मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है। सारे मंत्री अपने विभाग के अधिकारियों को कठपुतली की तरह नचाते हैं।
उन्हें अपने ऑफिस में काम ही नहीं करने देते हैं। और बस अपने पीछे घुमाना अपने पीछे कार्यक्रमों में ले जाना, उनके टेंट तंबू लगवाने से लेकर, उनकी और उनके पट्टों की गाड़ियों में डीजल, पेट्रोल भरवानेे से लेकर उनके भोजन पानी सूरा सुंदरी आदि तक की व्यवस्थाओं के लिए येे घोर बदतमीज विधायक मंत्री अधिकारी कर्मचारियों से दवाब देकर करवाते है। अन्यथा चमकाना, धमकाना। यह हर विभाग में ही देखा जा रहा है। इंदौर संभाग में वन मंत्री उमंग सिंगार, ने पूरे वन विभाग को अपनी जागीर मान, इंदौर वन विभाग के विश्रामगृह के सारे कमरों पर कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग के रेजीडेंसी स्थित ओल्ड रेस्ट हाउस के भी 6 में से 3 कमरे उमंग सिंगार ने और तीन कमरे तुलसी सिलावट ने जब से मंत्री बने तब से कब्जे में ले रखे हैं उनके खाने-पीने का सारा भोजन व्यवस्था लोकमान विभाग के अधिकारियों को जेब से करनी पड़ रही है यह उनकी बदतमीजी की पराकाष्ठा का छोटा सा नमूना है़। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट शुद्ध वसूली का युद्ध मिलावट के नाम पर यहां के महाधूर्त, मक्कार, 10 सालों से ज्यादा समय से बैठे खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनीष स्वामी, स्वास्थ्य अधिकारी जडिया के साथ मिलकर करोड़ों की वसूली नकली पान मसाला किशोर वाधवानी के साथ की जा रही है। नमूने भरकर छापे मारेे जाते हैं। बाद में मनीष स्वामी सेटिंग करके सरकारी प्रयोगशाला में सारे नमूने बदल बदलवाता है जिसमें सुभाष खेड़कर यह भी 10 साल से बैठा है नमूना सहायक सुधाकर जो पिछले 25 सालों से इंदौर में बैठकर करोड़ों कमा चुका है और बड़ा वसूली का दलाल है। इसके लिए मनीष स्वामी दहशत फैलाने वसूली करने के लिए और बाबू को भी लाख रुपए महीना पत्रकारों को भी बांटता है।
लोक निर्माण हो, जल संसाधन हो, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी हो, महिला बाल विकास, परिवहन, स्वास्थ्य आबकारी शिक्षा, आदि सभी विभागों में जिस क्षेत्र का अधिकारी है। वह कठपुतली बनकर आगे आगे पीछे श्वानों की तरह घूमाया जाता रहता है। यह प्रवृत्ति मंत्रियों को त्यागनी होगी।
यदि उन्होंने यह सब नहीं छोड़ा। तो भविष्य काफी दुखदाई हो सकता है। यदि उनके पास में विभाग का एक अधिकारी विशेष कार्य कर्तव्य अधिकारी इसीलिए पदस्थ किया जाता है।
ताकि उनके सारे कामों को विभागीय स्तर पर देखता रहे। पर शायद मंत्रियों का इससे पेट नहीं भरता।
क्षेत्रीय विभागीय कर्मचारी अधिकारियों को अपनी कठपुतली बनाकर अपने खर्चों आदि के लिए उसको मोहरा बनाकर नचाते रहते हैं।
इससे जनता में बहुत गलत संदेश जा रहा है। और वह विभागीय अधिकारी अपने पद पर रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पाता। उससे भी सरकार की बदनामी होती है।
|