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हमारे चारों तरफ नगर प्रदेश देश और दुनिया में पिछले 50 सालों में बढ़ते प्लास्टिक के उपयोग से हुई बर्बादी के बारे में चारों तरफ हाय तोवा मचाई जा रही है। बेशक सही है। भविष्य के लिये अत़्यंंत आवश्यक है।
और यह हाय तौबा मचाने वाली वही बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं। जिसमें कोकोकोला जिसने अपने पेय पदार्थों को बेचने के लिए 88000 टन प्लास्टिक का उपयोग 2018 में किया और उसका अधिकतम प्लास्टिक भी 30000 टन भी रीसायकल नहीं हुआ।
दूसरी तरफ दुनिया की जानी-मानी बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिसमें यूनीलीवर बनाम पुरानी हिंदुस्तान लीवर भारत में वॉलमार्ट जिसका दुनिया के लगभग 100 देशों से ज्यादा में फूड पैकेजिंग करके खाद्य सामग्री को प्लास्टिक पैकेट में बेचने का काम जो हमारे ही किसानों उत्पादकों से 10 -20% की कीमत पर लेकर 100 से 500% तक की कीमत पर बेचता है।
हम सब इस धरती के निवासी जो इन कंपनियों की निगाहों में मात्र खरीददार उपभोक्ता है और जिन का शोषण करना छोटे लोगों को दबाने के लिए प्लास्टिक का उपयोग प्रतिबंधित करना और स्वयं प्लास्टिक का उपयोग पैकेजिंग ब्रांडेड के नाम पर कर माल को कई गुना कीमत ज्यादा पर भेजना और मोटा लाभ कमाना।
बेशक हम सब उपभोक्ता है।
हम धरती पर निवास करते हैं। हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम जल, जंगल, जमीन, जानवरों, जलवायु को प्लास्टिक से बचाते हुए कसम खाते हैं कि हम किसी भी प्लास्टिक पैकेज, पॉलीथिन मैं रखें और पैकेज किए हुए जिसमें कोल्ड ड्रिंक कोको कोला, पेप्सी, थम्सअप, चॉकलेट, बिस्कुट व सभी अनाज व अन्य खाद्य सामग्री के साथ शॉपिंग मॉल में रखें सभी प्रकार के मटेरियल का खाद्य सामग्री का कोल्ड ड्रिंक का टीन के डब्बे, व अन्य जिसमें प्लास्टिक कोटिंग आदि होती है।
ना खरीदेंगे, ना उपयोग करेंगे, ना उसमें रखी सामग्री को खाएंगे पिएंगे, न छुयेंगे।
हम ही हैं जो इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ब्रांडेड के नाम पर जबकि वह पूरी रासायनिक वस्तुओं से, जानवरों की चर्बी, बसा, रक्त, अस्थि चूर्ण आदि का प्रयोग कर अपनी खाद्य सामग्री तैयार करके स्वादिष्ट बनाती हैं। लंबे समय तक वह खराब ना हो उसमें कीटनाशक के प्रयोग से लेकर अन्य घातक रसायनों का मिश्रण करती हैं।
जो हमारे हिंदू धर्म की आस्था के बिल्कुल विपरीत होता है और हमें शाकाहारी और स्वादिष्ट के नाम पर चिप्स, बार, चॉकलेट, बिस्कुट, चिंगम, कुरकुरे, स्पंजी बड़ी आकर्षित प्लास्टिक पैकिंग में एक कागज में जिसमें प्लास्टिक कोटिंग होती है हमें बेचकर मोटा लाभ कम आती हैं हमारी शाकाहारी आस्थाओं को खंड खंड बिखेरती हैं।
इसलिए भी हमको इन्हें छूना नहीं चाहिए।
ऐसे सभी विज्ञापनों को टीवी पर आते समय हम टीवी के चैनल बदल देंगे ताकि ना हम देखे ना हमारे बच्चे देखें और ना हमारे बच्चे उसको खाने पीने की जिद करें।
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