एक वीडियो आया जिसमें, एक फुटपाथ पर बैठा जूस विक्रेता, को एक सरदार, आम्र्र रस स्वीकृत रंग मिलाकर दूध मिश्रित रस बेच रहा था। सरदार जी ने उसको कॉलर पकड़कर बदतमीजी दिखाते डांंटने लगे। उसके सच की मैंने अपने शब्दों में व्याख्या कर दिखा जो आम भारतीय नागरिक के लिए जानना आवश्यक है।
बेशक यह सामने बना रहा है तो आपने इसका कॉलर पकड़ लिया बिल्कुल ठीक। कमजोर पर आपकी दादागिरी चलेगी। परंतु उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने आपकी औकात क्या है जो पिछले 50 साल से इस देश में जहरीले कोका कोला, पेप्सी कोला, मैंगो, फ्रूटी, एप्पल फ्रूट जूस, जैसे सैकड़ों डिब्बाबंद और बोतलों में पेय पदार्थ जिसमें खेती के घातक कीटनाशक ताकि उसमें कीड़े ना पड़े प्रिजर्वेटिव्स ताकि वह खराब ना हो बदबू ना मारे, रासायनिक सिंथेटिक मिठास, सिंथेटिक रंग, और खुशबू मिलाकर आपको आपके बच्चों को परिवार और दोस्तों को आकर्षक पैकिंग में पिलायेे जा रहे हैं।आप टीवी पर विज्ञापन देखकर आपकी 2-5 साल की औलादोंं से लेकर बड़े बूढ़े बड़े शान से बड़ी-बड़ी पार्टियों में खाने के बाद उस जहर को भी सेवन कर रहे हैं। तब आपकी औकात नहीं हुई, आपकी तो क्या सरकार की भी औकात नहीं हुई, कि उन कंपनियों का हजारों करोड़ों के प्रति माह का मोटा कमीशन खा कर उनके खिलाफ बोले, भूखे नंगे नेताओं की सरकार की क्या औकात जो उनके उत्पादन को बंद कर दंडित कर देश सेे बाहर भेजें। सरकार की औकात तो उनसे करोड़ों रुपए का कमिशन खाकर, तो उनके इशारे पर कानून बनाने की है।
सन 2006 में जब सभी शीतल पेय पदार्थों में कीटनाशक पकड़े गए तो उन्होंने कीटनाशक डालना बंद नहीं किया वरन उन्होंने इसके लिए सरकार मैं बैठे भारतीय प्रशासनिक बनाम प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों को और मंत्रियों को खरीद कर कानून ही बनवा लिया की भारत में पदार्थों में कृत्रिम रासायनिक मिठास होने के कारण कीड़े ना पड़ जाए इसलिए इस मात्रा में कीटनाशक मानवीय उपयोग के लिए उचित है जो आपको किडनी लीवर हार्ट अटैक के साथ यौन रोग देकर आप को नपुंसक बना रहा है चर्म रोग देकर आप को खजेला बना रहा है। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने और अनेकों गेर सरकारी संगठनों ने इस बात को उठाया परंतु नक्कारखाने में मीडिया में चौबीसों घंटे चलते विज्ञापनों के सामने उनकी तूती की आवाज बन दब के रह गई। और हमारी पूरी पीढ़ी की पीढ़ी कमजोर बीमार होती चली जा रही है। इसके बारे में न कोई आवाज उठा रहा है। न हीं स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर कार्रवाई कर रहा है।क्योंकि सारा मीडिया दृश्य और श्रव्य उनके हाथों बिका हुआ है। 24 घंटे उनके विज्ञापन हर चैनल पर दिखा रहा है। जबकि दूसरी तरफ सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय पूरे देश में दो से तीन लाख करोड रुपए केवल इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों का डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से उत्पन्न बीमारियों पर जिसमें चर्म रोगों से लेकर, मधुमेह, ह्रदयाघात, लकवा, पक्षाघात, यकृत प्लीहा गुर्दे उदर रोगों पर सरकार को खर्च करना पड़ रहा है। जो उसकी कमाई से ज्यादा बर्बादी की कहानी लिख रहा है।
बेशक सड़क पर, छोटे दुकानदारों, ठेले पर बैठे हुए विक्रेता को ना केवल आप, बरन सरकार के, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, शॉपिंग मॉल आदि बड़े पूंजीपतियों के सारे बिकाऊ भ्रष्ट भड़वे जिले के जिलाधीश , उप व सहायक जिलाधीश, खाद्य सुरक्षा अधिकारी से लेकर, नगर निगम की सफाई कर्मी से लेकर निगमायुक्त तक सभी उसको लूटने नष्ट करने पर तुले हुए हैं ताकि इ कंपनियों का 10 से 100 गुना मुनाफा जनता को लूट कर मिलने लगे। सभी कुछ उसी से बोलिए, क्योंकि वह कमजोर है। कॉलर पकड़कर मारिए। उसकी दुकान उठा कर फेंक दीजिए।
क्योंकि वह अकेला जिंदगी की जद्दोजहद में बेचारा कमजोर है। गरीब है। अपनी और परिवार की दो वक्त की रोटी के लिए आपकी आंखों को और आपकी चटोरी बेलगाम जीभ को अच्छा लगे, इच्छा अनुसार उस पर रंग मिठास रसायन और बर्फ डाल रहा है। जबकि वह सब कुछ आपके सामने कर रहा है।
आप को फलों का रस पीना है। बनाने से पहले साफ बोलिए कि भाई इसमें बर्फ शक्कर और कोई भी रंग मत डालना वह नहीं डालेगा। वह वसूलेगा रू 10 से 20, 30, 40/- मात्र उसमें भी आप उससे झिक झिक करेंगे उसके कीमत को लेकर परंतु वही माल बड़ी दुकानों मेेंं जोकि महीनों पुराना घातक रसायनों युक्त होता है़। चुपचाप उसकी कीमत रु100 से ₹200 देकर चुपचाप स्वयं और अपने बच्चों को पिलाना अपनी शान समझते हैं। परंतु आपकी या सरकार की औकात है कि कंपनियों को बोल दे कि इसमें रासायनिक रंग, जहरीले कीटनाशक मिठास और सुगंध ना डालें।
सड़क पर बैठे विक्रेता से आप सब कुछ कह सकते हैं परंतु बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सामने आप तिनके की औकात रखते हैं । वहां बड़े शॉपिंग मॉल, बड़ी होटलों, ऑनलाइन खरीदी के समय वह मनचाहा स्तर हीन सड़ा गला माल, पुराना समय बाधित बेचकर भी मनचाही कीमत कई गुना ज्यादा वसूूूलता है और आपका मुंह नहीं खुलता वहां पर। क्योंकि आपने वहां कुछ बोला तो वहां खड़े हुए कंपनियों के पाले हुए लठैत आपके हाथ पर तोड़ कर बाहर उठा कर फेंक देंगे। पूरे देश में शॉपिंग मॉल में रोज ऐसे हजारों कांड होते हैं। पर पुलिस भी उनकी बिक्री होने के कारण ना तो रिपोर्ट लिखती है और ना मिडियाा छापता है।
उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कोशिश है सारेे 5 करोड़ से ज्यादा छोटे दुकानदार, एक करोड़ से ज्यादा फुटपाथ पर सब्जी, जूस, फल फ्रूट बेचने वाले, 10 करोड़ से ज्यादा किसान परेशान होकर जमीन बेचकर भाग जाए और खत्म हो जाए। जो देश के 50 करोड़ परिवारों को भोजन पानी शिक्षा और जीवन देते हैं। तो आसानी से देश के 132 करोड़ लोगों को अपना सड़ा गला घातक रसायनों युक्त खाद्य पदार्थ, माल आसानी से 10 से 50 गुना कीमत पर बेचकर देश को कंगाल कर गुलाम बनाकर मोटा लाखों-करोड़ों का धन लाभ विदेश ले जाएं।
समझिए सोचिए जानिए और सबको बताइए।
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