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मध्य प्रदेश में मुम कमलनाथ की सरकार पिछले 10 महीने में वित्तीय प्रबंधन मैं हर मोर्चे पर असफल रही़। इसके विपरीत अपनी नाकामियों को छुपाने, शराब, वाहन पंजीयन, पेट्रोल डीजल और गैस पर भारी भरकम वसूली के बाद में भी कमलनाथ ने भी पूर्व की सरकारों की तरह भारी पैसा दृश्य और श्रव्य प्रचार प्रसार माध्यमों जिसमें सभी टीवी चैनल्स, दैनिक समाचार पत्रों में लगातार भारी लंबाई चौड़ाई और बड़े विज्ञापन दिए जाते रहे, जबकि वह हर मोर्चे पर असफल होती रही। यहां तक की शासन के अधिकांश विभागों में समय पर वेतन नहीं मिल रहा और सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं तो दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मी जो वर्षों ठेेकोंं पर काम करके, कार की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं। जिन्हें 4-4 माह तक वेतन नहीं मिल रहा। पिछले 4 महीने से वन विभाग की नर्सरी ओं में लगभग 30000 मजदूरों को भुगतान नहीं दिया गया।
इसके विपरीत कमलनाथ सरकार प्रदेश में सारा एकत्रित हुआ धन शराब पेट्रोल डीजल पंजीयन परिवहन विभाग बिजली विभाग और संपत्तियों के पंजीयन के अरबों रुपए के प्राप्त धन को पूरी तरीके से मध्य प्रदेश से एकत्रित कर छिंदवाड़ा में, सिंचाई, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय, महिला बाल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस आदि सभी विभागों में अनेेको नई योजनाओ मैं काम के साथ,नये मेडिकल कॉलेज रु 1500 करोड़ से बन रहा है। वह हर विभाग में भारी भुगतान कर अपने क्षेत्र का विकास में लगा हुआ है। आखिर कालिया नाग मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री है। या केवल छिंदवाड़ा का, और फिर पैसा पूरे मध्यप्रदेश से मोटा धन वसूला अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर कानूनी माध्यम से लूटा जाएगा।
खर्च केवल छिंदवाड़ा जिले में ही किया जाएगा जहां उसकी सैकड़ों फैक्ट्रियां हैं। तो वहां के लोगों और वहां के अपनी फैक्ट्री के मजदूरों को फायदा दिलवाने के लिए सारा धन अपनी फैक्ट्रियों को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा रहा है। यह घाघ अपने बेटे के लिए अभी से प्रदेश की जनता से लूटे धन से जीवन पर्यंत अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए छिंदवाड़ा के विकास में लगा हुआ है।
तो जनधन अपने बाप की जागीर समझ ली क्या कमलनाथ ने प्रदेश के जनता से लूटे हुए धन को।
प्रदेश के सभी वन विभाग की नर्सरीयों व 11 अनुसंधान एवं विस्तार वृत्त की नर्सरीयों, के साथ ही कृषि विभाग उद्यानिकी विभाग लोक निर्माण जल संसाधन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय आदि सभी विभागों के सभी संविदा एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का तत्काल भुगतान किया जाना चाहिए और उसके साथ ही अपने चुनावी वादे के अनुसार सभी संविदा एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से नियमित किया जाना चाहिए।
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