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जब ट्रक वाले हड़ताल पर चले ही गए हैं।
तो केवल डीजल पेट्रोल की कीमतें कम करवाने से काम नहीं चलेगा। मध्यप्रदेश में पेट्रोल डीजल गैस पर 32% वेट वसूलने के साथ जो वसूली शिवराज सरकार ने प्रति लीटर रु5/- पेट्रोल और रु4/- डीजल वसूल रही थी। को बढ़ाकर रु8/-- और रुु6/- कर दिया। जिससे पेट्रोल की कीमत रु84 से लेकर रु88/-- तक डीजल की कीमत रु75 से रु78 तक हो गई। पेट्रोल डीजल पर इतनी लूट करने के बाद में भी नई गाड़ियों की खरीदी पर भी रोड टैक्स बढ़ा दिया गया।
अब उन्हें चाहिए नई गाड़ी की खरीद पर 1 साल का ही बीमा हो। जो अभी 5 साल का कर दिया गया है उस 5 साल के बीमे में बदमाशी है कि 4 साल का कंप्रेन्हसिव नहीं होगा और 1 साल का ही बीमा दुर्घटना और चोरी में ही काम आएगा।
बाद में आदमी यह सोचेगा कि उसने जो वाहन खरीदा है उसे 5 साल का बीमा है। जबकि वह 1 साल का ही बीमा रहेगा 4 साल की प्रीमियम बस वसूला जायेगा। उनका केबल कंप्रेहसिव बीमा नहीं होगा।
गाड़ी चोरी जाने दुर्घटना हो जाने पर उसमें कंपनी की कोई चार साल जिम्मेदारी नहीं रहेगी। जबकि गाड़ी की नई खरीदी पर 5 साल की बीमा प्रीमियम वसूलना अनिवार्य कर दिया गया है।
कमलनाथ सरकार ने सभी प्रकार के नए वाहन खरीदी पर जो 7% रोड टैक्स लिया जाता था। उसे 10 से 20% कर दिया है।
हड़ताल में इस टैक्स को वापस 7% पर लाने की मांग की जानी चाहिए।
पुराने वाहनों की खरीद पर जो 1% वाहन की कीमत का स्थानांतरण शुल्क शिवराज सरकार ने कर दिया था।
कांग्रेस के भूखे भेड़ियों ने 2 से 3% कर दिया उसे भी वापस लेने की इस हड़ताल में मांग की जानी चाहिए।
इसके साथ ही जब हडताल शुरू हो ही गई है।और सफलता के साथ चल रही है़। तो जो केंद्र सरकार के घोर भूखेरे अय्याश हत्यारे आपराधिक गिद्ध मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं के लिए धन इकट्ठा करने और पुलिस के माध्यम से उस तड़ीपार गिद्ध अमित शाह ने पुलिस के माध्यम से कानूनी तरीके से जनता पर सामने से डकैती डालने जनता को लूटने, नुचवाने, न्यायालयीन कार्रवाहीयों में परेशान करने ट्रैफिक के नियम लागू किए हैं।
उस पर भी तत्काल बात करके इन कानूनों को खत्म कर पूर्व की तरह कानून लागू किए जाएं और कानूनों को लागू करने से पहले सभी सड़कें सुधारी जाए सभी दुर्घटना जन्य सड़कों की बनावटों को परिवर्तन कर सुधारा जाए और कम से कम सभी सड़कें न्यूनतम 4 लाइन की जाएं।
सड़कों पर टोल टैक्स हटाई जाए। क्योंकि वाहन की खरीद पर 28 %जीएसटी और अन्य टैक्स मिलाकर 50% टैक्स ले लिया जाता है उसके बाद वाहन खरीदी पर 10 से 20% रोड टैक्स दिया जाता है। इसके साथ पेट्रोल डीजल की हर बूंद पर भी 35% वेेट भी वसूला जाता है। तो फिर सड़कों पर चलने के लिए टोल टैक्स क्यों? आखिर अपनी मौज मस्ती के खर्चों, समाचार पत्रों में अपनी तारीफ के विज्ञापनोंं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के लिए के लिए केबल सड़कों पर हर प्रकार की डकैती वाहनोंं और उनकेे मालिकों व चालकोंं से ही से क्यों की जाती है?
हड़ताल मैं इन मुद्दों को सरकार के सामने प्रमुखता से उठाया जाए अगर सरकार झुकने को तैयार नहीं। उन चुुुरकटो को हमने बैैठाला है। तो सड़कों पर जाम लगाना ही जनता के पास हथियार बचता है।
इसकी भी मांग इस हडताल में की ही जानी चाहिए।
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