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सभी घोर भ्रष्ट अधिकारी, डाक्टर व इंजीनियर जो नगर निगमो, गृह निर्माण मंडलो, औद्योगिक केंद्र विकास निगम, लोक निर्माण, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ग्रामीण यांत्रिकीय, पंचायतों, आदिम व जनजाति जाति कल्याण, विद्युत कंपनियों, स्वास्थ्य विभाग, वन विभाग, शिक्षा, पशु चिकित्सा विभाग, कृषि, उद्यानिकी, वाणिज्य कर श्रम कार्यालयों, पुलिस, परिवहन आबकारी, जिलाधीश कार्यालयों, तहसीलों, न्यायालयीन जैसे लगभग 98 विभागों में 5-7 वर्षों ज्यादा समय से कुंडली मारे बैठे हैं। या उनके आयुक्तों, संचालकों, प्रमुख अभियंताओं, सचिवों प्रधान सचिवों और विभागीय मंत्रियों ने यदि उन्हें एक स्थान पर पाला पोसा और बिठा के रखा हुआ है। तो उसके पीछे सुरासुंदरी और मोटे काले धन की ही सेवा का प्रबल प्रताप व प्रभाव ही होता है। जिस कारण ऐसे अधिकारी वर्षों तक सुरासुंदरी और मोटी रकम देकर खुद भी खुलकर भ्रष्टाचार से सैकड़ों करोड़ कमाते हैं।
फिर जहां जितना ज्यादा भ्रष्टाचार वहां सुरा सुंदरी और धन का उतना बोलबाला होता है यह प्रदेश ही नहीं देश के साथ पूरे विश्व का कटु सत्य है।
अपने विभागीय मंत्री, प्रमुख सचिव, आयुक्त, प्रमुख अभियंताओं को मोटा धन देकर खुश करने की सेवा का लाभ लेते हैं।
यह केवल प्रदेश में पिछले 40 सालों से वरन पूरे देश में इस संस्कृति का विकास अप्रत्यक्ष रूप से सारी योजनाओं और धन की बंदरबांट जनता से लूटकर की जाती है। सिर्फ यौनाचार के इस ब्रह्मांस्त्र के सामने सारे दिग्गज भारतीय प्रताड़ना सेवा के, भारतीय अपराध संरक्षण सेवा, भारतीय वन हड़पो सेवा, अधिकारी सारे नियम कानून, वैध अवैध, न्याय अन्याय, अस्तित्वहीन हो जाते हैं।
इस ब्रह्मास्त्र के दम पर ही भू माफिया, कॉलोनी माफिया, शराब माफिया, ड्रग माफिया, शिक्षा माफिया, खनन माफिया, दलाल, अपराधी, अधिकारी, अपनी इच्छा अनुसार कार्यों को संपन्न कर लाखों लोगों को परेशान करते रहते हैं। और ऐसी यौनपाश सुंदरियां वैसे तो अब हर विभागों में महिला सशक्तिकरण के नाम पर बैठा दी गई हैं।
50% महिलाओं की भर्ती के बाद में यथार्थ में सभी शासकीय कार्यालय खुले में यौनाचार के अड्डे बन जाएंगे जहां काम कम और यौना4 की खबरें हर दिन नए रूप में परवान चढ़ती रहेगी।
महिला कर्मचारी भी घोर भ्रष्ट जाल साज होने के बाद में भी अपने यौनाचार के दम पर आसानी से बची रहकर सबको इच्छा अनुसार ने नचाती रहती हैं।
वाणिज्य कर विभाग में यही कारण है की 20-20 साल से बैठे पुरूष अधिकारियों को 2009 10 में पदोन्नतियां नहीं दी गई थी।
जबकि घोर भ्रष्ट महामक्कार अय्याश तात्कालिक आयुक्त शैलेंद्र सिंह ने जो पूर्व में इंदौर की जिला पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी था और जितनी भी संविदा पर बैठी हुई महिलाएं थी सब का सेवन करने के बाद ही उनकी सेवा में समय वृद्धि की गई थी।
उसने वाणिज्य कर में आकर भी 2006 में भर्ती हुई महिलाओं को उपयोग कर उनको पदोन्नतियां दे दी गई थी। 2006 में भर्ती की गई महिलाओं का जलवा तो यह था कि वो अपने से वरिष्ठ अधिकारियों को खुले में भ्रष्टाचार करने, काम न करने पर भी निरीक्षक सहायक वाणिज्य कर अधिकारी वाणिज्य कर अधिकारी स्तर की महिलायें जिनके सीधे संबंधों के कारण वाणिज्य कर आयुक्त शैलेंद्र सिंह का नाम लेकर धमकाती देती थी।
ऐसे प्रदेश में 100-200 नहीं लाख 50हजार से ज्यादा नर-मादा शासकीय सेवक हैं।
70 से 90 के दशक में दक्षिण भारतीय अधिकांश महिला पुरुष कर्मचारियों का शासकीय सेवाओं में प्रवेश पिछले दरवाजे से नेताओं मंत्रियों और अधिकारियों ने यौनाचार के दम पर ही दिया था।
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