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मोदी ने रिजर्व बैंक से उसके रुपए 41 लाख करोड की आपातकालीन निधि से लगभग साडे 39 लाख करोड़ निकाल लिया है।
रिजर्व बैंक में रखा 280 टन सोना भी उसने इंग्लैंड को गिरवी कर दिया और वह धन भी हड़प गया।
कॉन्ग्रेस उसके ऊपर आरोप ना लगाएं इसलिए उनके पुरानी छोटे-मोटे पापों को निकाल निकाल कर उन्हें बार-बार अंदर करवाने की धमकी देता है और बात बात में कांग्रेसी नेहरू गांधी को कोसते हैं मूढ भाजपा के मोदी अंध भक्त।
उनका आका किस प्रकार से मौज मस्ती और अय्याशी के लिए देश को तबाह कर रहा है यह कोई नहीं बोलना चाहता उसके नेता किस तरह से यौनाचार के दम पर कांड करते रहे हैं उसके बारे में भी कोई मुंह नहीं खुलता।
इस धन को हड़पने के चक्कर में ही रघुराम राजन ने इस्तीफा दिया और बाद में उर्जित पटेल ने।
राष्ट्र की संपत्ति और देश की बैंकरों की बैंक रिजर्व बैंक में अपनी लूटपाट और डाका डालने के लिए शशीकांत दास को जो घोर भ्रष्ट अनेकों भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा हुआ होने के बाद बैंक का गवर्नर बना दिया गया। इसका वित्तीय प्रबंधन अर्थशास्त्र और बैंकिंग से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था। इसने अपनी केवल मौज-मस्ती और बहाने ढूंढ कर विदेश यात्राओं अय्याशी करने के लिए ना केवल रिजर्व बैंक को खाली किया वरन जनता का पैसा लूटने देश की सरकारी 29 बैंकों को 12 बैंकों में बदलकर धन हड़पने का षडयंत्र भी रच डाला हरामखोर ने।
जिस रिजर्व बैंक के रिजर्व को स्व. इंदिरा गांधी ने भी 1971 के पाकिस्तान से युद्ध में छुआ भी नहीं था।
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