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बकवास और देश की जनता का समस्याओं से ध्यान हटाने व मूर्ख बनाने का षड्यंत्र चंद्रमा पर यान उतारना ।
पिछले 50 सालों से अमेरिका मूर्ख बना रहा था। अब उसमें भारत भी शामिल हो गया।
यह केवल दुनिया की जनता को अपनी फर्जी उपलब्धियों को गिनाने का षडयंत्र कारी तरीका है।
रूस ने कभी नही कहा-वह चंद्रमा के निकट या उसके करीब पहुँचा।
इस सच्चाई की पोल सन 2002 में मैंने खोल दी थी। जब मैं अपने कार्यालय में बैठकर कार्य कर रहा था ऊपर से क्लब का 2 सीटर जहाज गुजरा। सीधी सी बात थी। दिमाग में खुजली हुई अपने जहाज न उड़ा पाने के कारण। तो अचानक मस्तिष्क में अपने द्वारा पढ़ी हुई हवाई जहाज से संबंधित किताबों को की हवाई जहाज पृथ्वी के वातावरण में हवा पर तैरता है। तो अमेरिका पिछले 33 सालों से दुनिया की जनता को यह कहकर क्यों मूर्ख बना रहा है कि वह चंद्रमा पर उतरा। जबकि वहां पहुंचना संभव नहीं। मैं तत्काल अपने कंप्यूटर पर आर्मस्ट्रांग की चंद्रमा की लैंडिंग की फोटो डाउनलोड करके उनको बड़ा करना शुरू किया। तो देखा सब झूठ और बकवास है। यह सारा वातावरण पृथ्वी का ही था। क्योंकि दूर पीछे झाड़ झंकार और रेगिस्तान दिख रहा था। बस मैंने इस सिद्धांत को सामने रख पूरी कहानी लिखी और दुनिया के अनेकों टीवी चैनल जिसमें डिस्कवरी भी था। सीएनएन बीबीसी को भी भेजी। डिस्कवरी चैनल वाले उनके पीछे पड़ गए और मालूम पड़ा कि अमेरिका ने वह सारा षड्यंत्र मन्च लगाकर धरती पर ही पूरा किया था। सारे फर्जी फोटो जारी कर अपनी उपलब्धियों और वैज्ञानिक प्रगति का दबदबा बनाने के लिए चंद्रमा पर उतरने की झूठी कहानी पढ़ी थी। वह कहीं नहीं गए थे उन्होंने कैलिफोर्निया के मरुस्थल में वे सारा सेट लगाकर सारी कारस्तानी से फोटो खींचे गए थे। जिसकी पोल डिस्कवरी चैनल ने बरसों पहले टीवी पर प्रसारित की थी। अमेरिका ऐसे कांड 1910 से बीमारियों को फैलाने की आड़ में औषधियों की भारी भरकम बिक्री, कृषि, चिकित्सा, अंतरिक्ष, रसायन, भौतिकी, युध्द, विधि, आदि सभी क्षेत्रों में कर अपना दबदबा बना व्यवसाय बढ़ाने में करता रहा है। मैंने भी हवाई आज उड़ाया है।
बहुत सारी किताबें हवाई जहाज उड़ान से संबंधित और हवाई जहाज की तकनीकी पर पढ़ी हैं।
हवाई जहाज पृथ्वी के वातावरण में हवा पर अपनी पक्षियों की भांति बनावट के कारण तैरता है। जिस में लगे पंखे या प्रपोलर, और जेट इंजन में वही प्रोपलर अंदर की तरफ होते हैं। जोकि पेट्रोल के इंजन से घूर्णन गति पैदा कर पंखों को घुमाते हैं अंदर या बाहर। जो पृथ्वी के वातावरण में वायु को बाहर से अंदर खींच कर पीछे की तरफ फेंकते हैं। और वह पक्षी की तरह बना हुआ विमान डैनों के कारण तैरता हुआ रडर से नियंत्रित दिशा में आगे बढ़ता है। जमीन से उड़ान भरने और उतरने के लिए एलरान और दाएं बांये मुडने के लिए रडर काम करता है। जो कि पूंछ में होता है।
बहुत सीधा सा सिद्धांत है कि जब अंतरिक्ष में सब कुछ शून्य है। तो विमान काहे पर तैरेगा।किस ईंधन का उपयोग करेगा क्योंकि पृथ्वी के वातावरण में पेट्रोल ऑक्सीजन के साथ जलकर घूर्णन गति पैदा कर तैरता है।
अंतरिक्ष में सब कुछ शून्य होने के कारण कोई भी ईंधन कार्य नहीँ करेगा। अग्नि उत्पन्न नहीँ होगी। रसायन क्रियाशील नहीँ होते। फिर पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी 32,80,000 किलोमीटर है। पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकलते ही वहां ना तो हवा है। ना किसी पिंड के त्वरण का गुरुत्वाकर्षण। बेशक अंतरिक्ष में रॉकेट लेजाकर वहां पर जो उपग्रह छोड़े जाते हैं वे वहां रॉकेट ले जाकर अंतरिक्ष में छोड़ देता है वे वहीं पर पड़े रहते हैं। और वहीं से अपनी उसी स्थिति में पढ़े रहकर रेडियो तरंगों का एंटीना के माध्यम से उपयोग कर हमारे मोबाइल सिस्टम दूरदर्शन इंटरनेट आदि को चलाने में सहायक रहते हैं पर वे भी पृथ्वी की कक्षा से 1000-2000 किलोमीटर ही ऊपर तक जा पाते हैं।
वैसे अधिकांश मानव निर्मित उपग्रहों की यह दूरी पृथ्वी से लंबवत 500 से 2000 किमी तक ही होती है।
परंतु चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी 32,80हजार किलोमीटर है कितना भी कश लगा लिया जाए कोई भी रॉकेट 10 20000 से ज्यादा अधिकतम 1लाख किलोमीटर से आगे अंतरिक्ष में नहीं बढ़ सकता। यह सारी कहानियां पूरे विश्व के अमेरिका, फ्रांस, चीन, इंग्लैंड, रूस और भारत की केवल जनता के पैसे का दुरुपयोग कर, वहां की निकम्मी, निठल्ली, भ्रष्ट सरकारों का अपने भ्रष्टाचार से ध्यान हटाने उस पर अपनी उपलब्धियों का मानसिक दबाव बनाने की है।
जो केवल झूठ और झूठ का पुलिंदा है।
जनता के पैसे का दुरुपयोग और जनता को मूर्ख बनाने का षड्यंत्र है। जो आज नहीं तो कल इस पाखंड का भी खुलासा होगा ही होगा।
धरती पर देश की जनता और बच्चे भूख से बेहाल हैं। 30 करोड़ बेरोजगार हैं। उन धूर्त राजनीतिज्ञों और वैज्ञानिकों को उसकी चिंता कदापि नहीं उन्हें अपनी मौज मस्ती और प्रयोगशालाओं में उपलब्धि दिखाने में ही उनकी शान है।
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