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कांग्रेस के शासन में मुमं कमलनाथ उर्फ कालिया नाग और उसके 15 साल से भूखे घोर भ्रष्ट मंत्री अच्छी तरह से जानते हैं, कि अपनी सरकार का कोई भरोसा नहीं कि कब तक चलेगी।
इसलिए जितना लूट सके तो लूट अंत काल पछतायेगा मंत्री पद और गद्दी जाएगी छूट।
इसलिए कांग्रेसी सरकार का हर मंत्री अपने-अपने विभागों में उल्टी-सीधी पदस्थापनाएं और अपने भाई भतीजे व मोटा धन देने वालों को चाहे वह कितना भी भ्रष्ट, जाल साज, उस पर कितनी भी जांचे क्यों न लंबित हों, कामचोर और मूर्ख ही क्यों ना हो। खास खास जगह पर जमाने में जुटे हुए हैं।
अब वन विभाग में ही लीजिए। उमंग सिंघार ने हाल ही में इंदौर के गुरुनानक टिंबर मार्केट इंदौर जो प्रदेश का सबसे बड़ा अवैध वृक्षों की काष्ठ कटाई चिराई और बिक्री का बड़ा अड्डा है।
समय माया की लंबी वर्षों की मेहनत के बाद 53 प्रजातियों के पेड़ों की कटाई को उच्च न्यायालय ने रोक दिया। बेशक उच्च न्यायालय में प्रकरण दूसरों ने लगाये थे। और जिनके पास वह 53 पेड़ों की लकड़ी है। उसको जप्त करने का आदेश दिया।
उस आदेश के पालन की अपेक्षा वन मंत्री उमंग सिंघार ने जो दूसरों पर बड़े आरोप लगाते हैं। ने उस बाजार के अध्यक्ष दानवीर सिंह छाबड़ा के साथ मिलकर लगभग पिछले चार-पांच दिनों में, 300 से ज्यादा व्यापारियों से एक करोड़ रुपए की वसूली कर उस लकड़ी को खपाने और रफा-दफा करने के लिए पूर्ण सरंक्षण देने का वादा कर दिया।
दूसरी तरफ अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अपने खास भारतीय वन लूटो खाओ सेवा के अधिकारियों जिसमें मुख्य वन संरक्षक सीएस निनामा को एक साथ 3 पदों के प्रभार सौंप दिए। जिसमें इंदौर उज्जैन और रतलाम वन वृत्त हैं। जिसके अंतर्गत करीबन 10 से ज्यादा वन मंडल हैं सबको रुपए 10-10 लाख हर महीने देने का आदेश दे दिया गया है।
इसी प्रकार वन मंडल अधिकारी एम एल हरित को झाबुआ और इंदौर का प्रभार सौंप दिया गया। जबकि दोनों ही पद वन संरक्षक के हैं।
इसी प्रकार वन मंडल अधिकारी उइके को धार और बड़वानी का प्रभार सौंप दिया गया है।
इंदौर के उप वन मंडल अधिकारी एल्विन बर्मन के पास इंदौर और महू उपवन मंडलों का प्रभार है। जबकि बर्मन पर लोकायुक्त जांच लंबित है। जानबूझकर इन पदों पर अन्य पात्र अधिकारियों की अपेक्षा मोटा धन लेकर पूरे मध्यप्रदेश में अनेकों अपने खास जाति भाई अधिकारियों के पास दो से तीन जगह के प्रभार सौंप रखें हैं। ताकि मोटी वसूली आसानी से बिना हो हल्ले के की जा सके।
यही कारण था कि कांग्रेसी सत्ता में आने के बाद, वन विभाग में वर्षों से हुए घोटालों, 17-18, 18- 19 2 करोड़ व 6 करोड़ वृक्ष लगाने मे किए गए करोड़ोंं के फर्जी भुगतान व फर्जी वृक्षारोपण के फर्जी आंकड़े का खेल करने वाले दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों से मोटा पैसा लेकर जो अरबों में था। जानबूझकर इसी भ्रष्ट ने रफा-दफा कर दिया।
अंदाज लगाया जा सकता है कि जब 1-1 वन मंडल अधिकारी दस2 लाख रुपए महीने अपने वरिष्ठ को देगा तो स्वाभाविक है काफी काला पीला भ्रष्टाचार और जालसाजी करेगा।
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