आखिर क्या कारण है की दैनिक बड़े समाचार पत्र हमारे यहां 48 इंच से ज्यादा वर्षा जल गिर चुका है। फिर भी पहले 05 से 30 अगस़्त तक 30 इंच छापते रहे और 30 तारीख के बाद उसको बढ़ाते बढ़ाते आज 31 अगस़्त को 31" इंच तक आ गए।
यह सच क्यों नहीं बताना चाहते क्योंकि इस झूठ के पीछे रु300 करोड़ से ज्यादा का खेल है।
यदि यह निगम के टुकडखोर भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया, अग्निबाण, प्रभात किरण, जैसे समाचार पत्र जो शहर में ज्यादा चलते हैं। अगर सच छाप देंगे तो दिसंबर से जून तक चलने वाले पानी बांटने वाले टैंकरों का सारा खेल बिगड़ जाएगा।
जिसमें निगम के जल विभाग के चपरासी, बाबुओं, अधिकारियों, नर्मदा आपूर्ति के इंजीनियरों, सहायक व उपायुक्तों, पार्षद से लेकर महापौर निगम आयुक्त सबको लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए बंट जाता है। यह नगर निगम इंदौर का। जो जनता से लूट विभिन्न प्रकार के करों से केन्द्र व राज्य का पैसा जो कुल मिलाकर जनता से ही लूटा गया होता है। हजम कर जाते हैं।
और इंदौर नगर निगम से लगभग रू2से5 करोड महीना इन बड़े समाचार पत्रों के मालिकों किसी का रू50लाख किसी का 25लाख और उनके नगर निगम की बीट देखने वाले पत्रकारों को भी कोई 50हजार25, 10 हजार रू महीना बंटता है।
छोटे दैनिक वालों को जिनके 99% लोगों ने न तो देखा, न सुना है। रू 25-50हजार महीना देते हैं। यही कारण है, कि सारे भांड कभी भी निगम में बैठे वर्षों से कुंडली मारे बैठे डकैतों को ज्यादा छेड़छाड़ नहीं करते। बेशक यह कहानी देश के सभी नगरनिगमों, पालिकाओं, विकास प्राधिकरणों, की है।
ये जालसाज डकैतों का झुंड केवल मुंह बंद रखने या ज्यादा सच न छापने की जनधन से ऐसे लूट कर मिडिया पर लुटाते हैं। इसलिये जनता को सच बताने की अपेक्षा जनता को भ्रमित कर सरकार को भी भ्रमित करने के लिए विवश करते हैं बेशक लूट का खेल नीचे से राज्य की राजधानियां से लेकर केंद्र की राजधानी तक जाता है।
इसलिए समाचार पत्रों में छपे समाचारों को केवल पर्दे का सुनहला सच और झूठ ही मानना चाहिए।
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