दुनिया में अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पूरे विश्व की जनता को हर तरह से बर्बा्द किया। छोटा सा उदाहरण है, जैसे कि शैंपू के चक्कर में हमने बाल गंजे कर लिए 20-30 साल की उम्र में हमें बालों में बच्चों ने 15 -20 साल की उम्र से रंग करना शुरू कर दिया।
हमारे बुजुर्गों के बाल वही सरसों के तेल और काली मिट्टी से धोने पर भी 70 साल की उम्र तक पूरे सफेद नहीं होते थे।
यह समझ में नहीं आ रहा। आप लोगों को।
आप उसकी कीमत पर बात कर रहे हैं ठीक है। मिट्टी मत लगाइए देसी बहुत सारे तरीके हैं। जिनसे हम बाल धो सकते हैं। दही, शिककाई, रीठा आदि।
परंतु इन लोगों ने हर पल 24 घंटे टीवी पर शैंपू, साबुन, गोरे होने की क्रीम, बिस्कुट, चॉकलेट, गोलियां, ठंडे पेय, लिम्का, फ्रूटी आदि खिला पिला कर हमारे हिंदुओं की सहस्त्रों बरसो की आयुर्वेदिक परंपराओं को तोड़कर हमें केवल बीमारियां ही और बीमारियां ही दी हैं। इस पर बहस होनी चाहिए। हमें वापस जैसे खेती में रासायनिक खाद, कीटनाशकों आदि के प्रभाव से स्वादहीन शक्तिहीन बीमारियां देने वाले खाद्य पदार्थों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के कारण हम पुनः जैविक खाद, जैविक कीटनाशकों की तरफ लौट रहे हैं।
वैसे ही हमें पैक्ड फूड ठंडे बोतलबंद पेय पदार्थ बिस्कुट चॉकलेट गोली साबुन जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एक तरफ कोटी कमाई का साधन है। तो दूसरी तरफ उनकी दवा गोलियां और गहन गंभीर कैंसर जैसे खतरनाक रोग 15-20 साल की उम्र में किडनी हार्ट अटैक लीवर आदि की बीमारियां देने के कारण पुनः अपने पारंपरिक भोजन सौंदर्य प्रसाधन और बाल धोने नहाने के तरीकों पर लौटना पड़ेगा। वैसे मैं आपको बता दूं कि हमारे भारत के लोग टेस्ट ऑफ से हमारी युवा होती पीढ़ी, बच्चों जो टीवी के विज्ञापन से ज्यादा उत्तप्रेरित है। भले ही पैक्ड भोजन, शैंपू साबुन ठंडे पेय पदार्थों की तरफ अपनी आधुनिकता दिखाने के लिए भाग रहे हो।परंतु विदेशों में भारत की शास्त्रोक्त सहस्त्रों वर्ष पुरानी जीवन शैली, भोजन पद्धति स्नान ध्यान जीवन शैली को अपनाया जा रहा है।
बेहतर यह होगा कि हम अपने पारंपरिक शास्त्रोंक्त, सहस्त्रों वर्ष पुरानी परंपराओं जीवन शैली को जानें और प्राकृतिक तरीके से स्वास्थ्य सुंदर और दीर्घायु जीवन बिना औषधियों, शल्य चिकित्सा के जी सकें। पर लौटकर आ जाएं अपना धन अपना समय और जीवन की खानपान शैली को बदलकर स्वास्थ्य जीवन जीने की कलाओं को सीखे। जैसे की भारत की योग बनाए निरोग की पद्धति को दुनिया ने अपनाया है। वही हम सब को खाने पीने और स्नान आदि की जीवन शैली अपनाना चाहिए।
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