भारत में राजनीति में, राजनीतिक वही, जो बड़े आपराध‍ि‍क गुंडे, बदमाश, माफिया,

भारत में राजनीति में, राजनीतिक वही आपराध‍ि‍क लोग होते हैं, जो गुंडे, बदमाश, रेत माफिया, खनन माफिया, भूमाफिया, कॉलोनी माफिया, ड्रग माफिया, शराब माफिया, वन माफिया, गरीबों बेसहारोंं के मकान हडपो माफिया, शिक्षा माफिया मिलावटी दूध दही व अन्य खाद्य सामग्री बेचने वाले , नकली दवाएं, सट्टा माफिया, जुआ माफिया, वेश्यावृत्ति करने करवाने वाले भड़वे, जिस्मफरोशी करने वाले दलाल, अपहरणकर्ता चोर डकैत लुटेरे जिनके पास दो नंबर की कमाई है मैं सभी लोग अपने आप को बचाने अपनी बदनामी रोकने सत्ता धीश व अन्य राजनीतिक दलों के साथ जुड़कर वहां अपने दो नंबर का धन खर्च कर, पहले बड़े नेताओं की कृपा पात्र बनते हैं। उनको धन की सहायता मुहैया करवाते हैं। वे पहले बड़े नेताओं से जुड़कर अपने धंधे को सुरक्षित व मजबूत कर अपने संबंधों के चलते निकायों विधानसभा लोकसभा के टिकट ले आते हैं। और अनाप-शनाप धन खर्च कर जनता को बरगला कर उन्हें मोटी रिश्वत, शराब कबाब शबाब से लेकर भंडारे बर्तन साड़ियां कंबल टीवी आधी बांट कर चुनाव जीत लेते हैं यथार्थ में सारे पाखंडी ही पंचायतों पार्षदों से लेकर विधानसभा लोकसभा मैं पहुंच जाते हैं और फिर वही देश की जनता को हांकते हैं। गुमान सिंह डामोर झाबुआ संसद सात हत्याओं का छतर सिंह दरबार दो हत्याओं का अमित शाह तड़ीपार अनेकों हत्याओं का मोदी अनेकों अपराधों हत्याओं सत्ता में रहते भीड़ पर गोली चलवाने का, लालू अखिलेश मुलायम सिंह शिवराज सिंह डिग्गी दानव सभी बड़े अपराधी और वर्तमान संसद में तो पूरे 300 से ज्यादा अपराधी अधिकांश किसी न किसी न्यायालय में किसी ना किसी अपराध में आरोपी हैं। वास्तविकता तो यह है कि सामने से सफेदपोश अपने आप को राजनीति की कहने वाले और धंधा राजनीति बताने वाली उस चकाचक सफेदी के वस्त्र धारण किए हुए दिलो दिमाग से अत्यधिक बड़े शातिर अपराधी राक्षस हैं। यह भारत है। यहां सीधे, ज्ञानी, ध्यानी जनकल्याणकारी लोग, बिना किसी सरकारी विज्ञापन के समाचार पत्र खुद लिख कर प्रकाशित कर जनता की लड़ाई लड़ने वाले, सांसद के लिये खड़े होने पर भी 30लाख लोगों की भीड़ में 693 वोट आईएएस रूपी भारतीय प्रताणना सेवा के चुनाव अधिकारी की कृपा से जालसाजी पूर्ण इवीएम मशीन में पाते हैं। यथार्थ में यह सूकरो की फौज भारतीय प्रताड़ना सेवा के अधिकारियों की जो स्वयं घोर भ्रष्ट और मक्कार और अपराधियों की संरक्षक है। यह नहीं चाहती कि कोई उच्च शिक्षित, समझदार, ज्ञानी, नेता चुनकर सत्ता में जाए और उनकी मनमानी को रोक उनके कुकर्मो पर बंदिश लगा कर इनके कुकर्मो को रोके या इनको सजा दिलवा दे। यथार्थ में यही प्रशासन के अधिकारी, अपराधियों माफियाओं को पालकर उन्हें नेता बनाने में आंख मीच कर सहयोग करते हैं। बाद में यही नेता उनके इशारों पर नाचते और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। अन्यथा इन्होने अपने आप को इतना शक्ति संपन्न बना रखा है। कि कोई भी जनता द्वारा चुना प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री भी इनके सामने चूं चपड़ कर सके। या कोई अपराधी चुनाव में नामांकन जमा कर सके और चुनाव जीतकर सत्ता में पहुंच सके।
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