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मध्य प्रदेश की विधानसभा के दूसरे व बजट सत्र में नकली दूध वा दूध से बने दही घी पनीर मावा मक्खन मिठाइयां मिल्क केक आइसक्रीम के साथ अन्य खाद्य पदार्थों के मामले को उठाकर पटल पर रखने का कोई औचित्य नहीं था।
उल्टे ही यह इनकी मोटी कमाई का साधन बन गया। जबकि यह बात हर मंत्री और मुख्यमंत्री भी जानता है। परंतु कार्यवाही की अपेक्षा यह भय फैलाकर पूरे प्रदेश के व्यापारियों से मोटी वसूली ही की जाएगी। जबकि
कांग्रेस सरकार के आने के बाद मध्य प्रदेश की जनता को यह उम्मीद थी। कि 15 साल से पूरे प्रदेश में हो रहा भ्रष्टाचार का तांडव कुछ कम होगा और जनता को कुछ राहत मिलेगी इसके विपरीत कांग्रेसी जो 15 साल से भूखे बैठे हुए थे। उन्होंने भी आते ही भ्रष्टाचार का तांडव शुरू कर दिया स्वास्थ्य विभाग को हीी ले जिसके अंतर्गत खाद्य सुरक्षा एवं औषध विभाग आता है जहां पर 10 से 15 सालों से खाद्य निरीक्षक एवं औषधि निरीक्षक मोटा महीना बांटकर एक ही जिले में जमा हुए हैं। बदले में जनता को 80% मिलावटी नकली रसायनों से बना हुआ दूध दही घी पनीर मावा मिठाइयां पिछले 15 सालों से मिल रही है। और जिम्मेदार खाद्य निरीक्षक हाथों से वसूली करते हुए रुपए 25 से 50लाख प्रतिवर्ष बांटकर आराम से ही मिलावटी ओं और दूषित खाद्य पदार्थ बेचने वालों को संरक्षण डेकर जनता को प्रदेश में बनेे 5000 से ज्यादा अस्पतालों नर्सिंग होम आदि की मोटी कमाई करवा रहे हैं। इंदौर में ही बैठे स्वामी और खेड़कर जो पिछले 10 -11 सालों से ज्यादा समय से ही इंदौर में ही कुंडली मारे बैठे हैं। लगभग 5000 दुकानों सेे ही मोटी मासिक वसूली कर शहर में 80% नकली दूध दही जी पनीर मावा मिठाइयां, मिल्क केेक आइसक्रीम अन्य खाद्य सामग्री खुले में बिकवा रहे हैं। जिसमें उनका साथ देते हैं संबंधित क्षेत्र का एसडीएम और भोपाल स्थिमत खाद्य प्रयोगशाला जहां विश्लेषक भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र और डिग्री के दम पर नौकरी करते हुए मोटी वसूली कर सारी नकली और मिलावटी खाद्य वस्तुओं के नमूने पास कर ऐसे व्यापारियों दुकान उद्योगपतियों को जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की खुली छूट देते हैं। यह बात समय माया अपनी समाचार पत्र मैं लगातार पिछले कई वर्षों से उठाने के बाद और व्हाट्सएप पर संदेश भेजने के बाद में भी प्रदेश के नए स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट सुनने और ध्यान देने को तैयार नहीं क्योंकि वह केवल खाद्य एवं औषधि विभाग सेे ही करोड़ो की वसूली कर चुका है। और नियमित मासिक बसूली आ रही है।
पूरे प्रदेश के समाचार पत्रों में यह बात तो छापी जा रही है खाद्य सुरक्षा अधिकारी नेे हीं यहां छापेमारी की वहां कर वहां इतने नमूने पकड़े इतना पनीर पकड़ा। वहां छापेमारी कर इतना घी पकड़ा। तो पिछले 11 साल से येे स्वामी, खेड़कर व अन्य खाद्य निरीक्षक , सभी इंदौर केे सभी रास्तों से इसमें इंदौर नेमावर इंदौर महू, खंडवा रोड, उज्जैन रोड, देपालपुर रोड देवास रोड धार रोड व 50 से ज्यादा सीधे गांवो से आता हुआ सुबह शाम 50हजार लीटर से ज्यादा दूध लाने वाले नकली मिलावटी और हजार से ज्यादा डेरिया जो दूध इंदौर के 25लाख से ज्यादा नागरिकों को बेच रही है स्वाभाविक है उनसे नियमित्त लाखों रुपए प्रतिमाह की वसूली की जा रही है। जिसमें इंदौर नगर निगम के अधिकारी भी दोनों हाथ से पूरी करने में व्यस्त हैं। मध्यप्रदेश में 264 कि लगभग खाद्य निरीक्षकों में से डेढ़ सौ से ज्यादा नहीं एक ही जगह 10 साल से ज्यादा पूरी कर ली है पर उनका स्थानांतरण मोटी रिश्वत के मिलते नहीं किया जाता। सूत्रों के अनुसार इंदौर का वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनीष स्वामी प्रतिमाह लगभग लाख रुपए बड़े दैनिक समाचार पत्रों केे पत्रकारों को बांटता है। इसलिए यह कड़वा सच कोई भी समाचार पत्र वाला नहीं छाप रहा। और ना ही यह बात मुख्यमंत्री कमल नाथ और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने कभी मोटी रिश्वत के चलते स्वीकारी। आखिर जनता के स्वास्थ्य से किसे मतलब है? सबको बस मोटा धन चाहिए।
चूंकि इंदौर के दैनिक पत्रों केे पत्रकारो को तो मनीष स्वामी वेतन पर पालता है। इसलिए सभी साप्ताहिक बालों को इस तरीके से खोजबीन कर वृहत पैमाने पर अपनी समाचार पत्रों में उठाना चाहिए।
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