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भुखेरा जन पार्टी मैं अटल जी की सरकार ने 1999 में दिल्ली की सत्ता संभाली थी। अटल जी निसंदेह स्वच्छ और अच्छे सुलझे राजनेता थे उन्हीं के कारण भाजपा को सत्ता मिली। पर उनकी साख की आड में देश के बड़े-बड़े सभी संस्थानों चाहे वे बैंक हो बीमा कंपनियां हो भारत संचार निगम लिमिटेड हो तेल कंपनियां हो।
सेल अर्थात स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड, भेल अर्थात भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, बाल्को, हाल, एनटीपीसी, एनएचडीसी, ओएनजीसी, गेल, आदि लाखों करोड की सरकारी महारत्न कंपनियों को उनका कारोबार और संपत्तियों को लूटने, विनिवेशीकरण के नाम पर अरुण शौरी और प्रमोद महाजन ने हजारों करोड़ की कमाई कर बड़े पूंजीपतियों को उसके भारी करोड़ो के शेयर बेच दिए।
जिन्हें कांग्रेस ने 50 साल में जन धन से जनता के लिए खड़ा किया था। 1999 में भारत में मोबाइल सेवाएं लांच की गई। जिसका सारा कार्य व पूरी संचार व्यवस्था बड़े-बड़े एक्सचेंज, सारे बीएसएनल के माध्यम से हुए। परंतु इन भुखेरा जन पार्टी ने बीएसएनल को मोबाइल सेवाएं अपनी लांच करने का मौका ही नहीं दिया। आज भी किसी भी कंपनी के करोड़ों मोबाइल नंबर चलने के बाद में भी अपना खुद का कोई एक्सचेंज नहीं है ना ही किसी ने उनके एक्सचेंजो को देखा। केवल सामने दिखते हैं। ग्राहक सेवा केन्द्र के बड़े कार्यालय और काल सेंटर्स जो भी पूरे देश में सभी के 5-7 भर हैं। जो बीएसएनल के एक्सचेंज के माध्यम से काम करते हैं।
और आइडिया रिलायंस व अन्य कंपनियों से मोटा अरबों रुपए का कमीशन खा कर उन्हें पूरे भारत में मोबाइल सेवाएं चलाने और जनता को ₹8/- प्रति मिनिट बात करने की आने पर और ₹16/- प्रति मिनिट काल प्राप्त करने और सुनने के लिये अलग अलग प्रदेशों में बांट दी गई। जिसकी धनराशि का 50% भी इमानदारी से अगर बीएसएनल को मिलता तो आज उसकी स्थिति पूरे देश में वित्तीय रूप से अत्यधिक मजबूत होती पर दोनों मंत्रियों ने बीएसएनल को सौदेबाजी करने का अवसर ही नहीं दिया और उन पर इन्हें सेवा देने के बदले में बहुत थोड़ा सा धन एक्सचेंज को उपयोग करने के लिए दिया जाने लगा़। जिसका भी आज तक कभी पूरा भुगतान नहीं हुआ। पर जब 2004-5 में कांग्रेस सरकार आई। तब उसने बीएसएनल को 2G सेवा चलाने की अनुमति प्रदान की।
उसके कारण आइडिया एयरटेल वाहन कंपनियों का व्यवसाय बैठने लगा।
तो उन्होंने उनका व्यापार को उठाने के लिए 2G-3G घोटाला लाकर सामने खड़ा कर दिया और जबरदस्त तरीके से बदनाम किया। फिर मोदी के आते ही उसने बिना किसी स्पेक्ट्रम नीलामी के फिर अपने बापों अंबानी, बिरला, मित्तल व अन्य विदेशी कंपनियों को उनकी शर्तों पर 4G सेवाएं चालू करने का अवसर देकर हजारों करोड़ का कमीशन लिया। यहां तक की घोर भ्रष्ट मोदी ने प्रधानमंत्री पद की सारी सीमाएं लांघ कर टीवी चैनल पर जियो का विज्ञापन तक दिया और आज तक कई बार घोषणा करने के बाद में भी बीएसएनल को घाटे में पहुंचाने और उनकी सेवाओं का भरपूर लाभ उठाने और उसके बापों को भरपूर लूटपाट के व्यवसाय के लिए 4g बीएसएनल को नहीं दिया गया।
आज बीएसएनल 15000 करोड़ के घाटे में है। और करीबन 2लाख कर्मचारियों की छंटनी करने की तैयारी में है। वहाँ महीनों बाद भी कर्मचारीयों को वेतन नहीं मिल पाता है। जबकि स्टाफ 30-40% ही रह गया है।
यदि 20 साल का किराया और उसके उपयोग का शुल्क भी सारी कंपनियां ईमानदारी से चुका दें। तो वह रु20-25 हजार करोड़ के फायदे में आ जाएगा।.परंतु वह महा धूर्त मक्कार भुखेरों और उसके झुंड के मंत्री उन निजी कंपनियों को जिनसे हजारों करोड़ रुपए चंदे में हजम कर चुके हैं।
वह बीएसएनएल का बकाया देने के लिए बाध्य नहीं करते।
बैंकों का लाखों करोड़ का कर्जा तो उन हरामखोर अंबानी, अडानी, टाटा, बिरला, जेपी व अन्य का मोदी, चीटली और वर्तमान की सीतारमण ने माफ कर ही दिया।
पत्रकार मित्रों का कर्तव्य है कि इस बात को पुरजोर तरीके से चारों तरफ से देखभाल पूछताछ और जानकारी एकत्रित कर प्रकाशित कर जनता के सामने उठाएं।
ताकि हमारे देश का भारत संचार निगम लिमिटेड ना केवल जीवित रहे उसके कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलता रहे।
उसे शीघ्र 4जी सेवाएं देने के लिए सरकार को बाध्य करें।
ताकि वह इमानदारी से जनता को अपनी संचार सेवा देकर अपनी वित्तीय स्थिति सुधार कर एक सक्षम राष्ट्रीय संचार सेवा बनी रह सके। व दूसरी निजी कंपनियों की तरह जनता का डाटा पूरी दुनिया में ना बेचा जा सके।
जैसा कि जियो और रिलायंस, आइडिया एयरटेल आदि जनता के उपभोक्ताओं का डाटा इकट्ठा कर पूरी दुनिया को बेचकर मोटा धन कमा रही हैं। और जनता को नीलाम कर रही हैं को रोका जा सके।
मैं लगातार बरसों से लिख रहा हूं भेड़िया झुंड पार्टी के मोदी ने आखिर पूरा बीएसएनएल को जानबूझकर डुबोकर 15000 कोड घाटे में लाकर जिसके पास पूरे देश भर में अरबों करोड़ों की जमीन, भवन, प्लांट, एक्सचेंज व देश भर में केवल लाइन्स, खंभे व अन्य संपत्तियों से भरा है। आखिर अंबानी को सौंपने का षडयंत्र तैयार कर ही दिया। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वह सरकारी कंपनी सरकार के सभी मंत्रालयों की गोपनीय संचार तंत्र की गोपनीयता को बनाए रखने, जिसमें29 से ज्यादा प्रदेशों 7 से ज्यादा केंद्र शासित राज्यों के गृह मंत्रालय वहां की पुलिस बीएसएफ एसटीएफ सीआरपीएफ व अन्य अनेकों अर्धसैनिक बलों के साथ ही, पूरे देश के प्रशासनिक तंत्र के गोपनीय संचार व्यवस्था और प्रणाली को; तीनों सेनाओ जिसमें जल, थल, वायु सेना कि सभी सैन्य अड्डों आदि की गोपनीय व्यवस्था संभालने वाली भारत संचार निगम को अपने बाप अंबानी को सौंप देने का तात्पर्य यह हुआ कि जब वह अपने जियो व रिलायंस के 40 करोड लोगों के डाटा को पूरी दुनिया में बैच कर खा रही है। तो सरकारी मंत्रालयों का व सैन्य, अर्द्ध सैन्य, पुलिस, सीबीआई, विधि मंत्रालय व अन्य के डाटा का क्या हाल करेंगे वो सुअर के पिल्ले।
अंबानी बंधुओं मुकेश और अनिल ने उनके शेयर का मार्केट ना गिर जाए, अन्य अरबों रुपये की बाप के नाम से जालसाजियों को अंजाम देने जिन्होने 24/6/2003 को मरे हुये बाप धीरू भाई को अस्पताल में ले जाकर शीतगृह में रखवा दिया था। और इलाज की आड में अरबों रु की बाप के नाम से आर्थिक जालसाजियां की जाती रही। क्योंकि मरे हुए आदमी से तो कोई बैंक वित्तीय संस्थान वसूली कर नहीं सकता। जिसकी कहानी पूरी दुनिया को जब 2/7/2003 समय माया ने अपनी साईट से पूरी दुनिया के मिडिया को इमेल भेज कर बता दी। तब दोनों गिद्धों ने पोल खुल जाने के कारण 3 जुलाई को घोषित कर 4 जुलाई03 को उसे श्मशान ले जाकर क्रिया कर्म किया था।
तो फिर उन नीच पूंजी पतियों से उम्मीद कैसे की जाती है? कि वे देश की गोपनीयता बरकरार रखेंगे और अपने व्यवसाय के लिए उसको दुनिया में बेंचने पर वह डाटा पाकिस्तान, चीन खरीदकर दुरूपयोग नहीं करेंगे।
इसकी गारंटी उस गुजराती घोर धूर्त मोदी का बाप दामोदर दास स्वर्ग से आकर देगा, क्या?
जानबूझकर का रिलायंस के जीओ व अन्य कंपनियों जिसमें एयरटेल वोडाफोन आइडिया आदि आते हैं बीएसएनल को उसका किराया ना चुकाना जाना फिर उसको रु 15000 करोड़ के घाटे में लाकर उसे रिलायंस को सौंपना स्पष्ट जालसाजी और पूरे देश की जनता की संपत्ति के साथ षड्यंत्र है। मोदी का इसे तत्काल बड़े विपक्षी नेताओं के साथ बुद्धि जीबीयों व जनता द्वारा एकमुश्त आवाज उठा रोका जाना चाहिए।
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