भोड़िया झुंड पार्टी के मोदी से लेकर अदने सा नेता भी सत्ता के मद में चूर होकर लूटने के लिए सड़क पर सड़क बनवा रहा है। और बदले में उप जिलाधीश स्तर के अधिकारी से लेकर अन्य अनेकों सरकारी अधिकारियों को परेशान कर रहा है।
जिसकी खबरें भास्कर ने छापी हैं।
सोच सकते हैं आमजन के साथ क्या गुजर रही होगी?
दूसरी तरफ नगर निगम पालिकाओं का सारा काम जो जोनल अधिकारी व क्षेत्र के अधिकारी व कर्मचारी करते थे। अब वह सारे काम पार्षदों के हाथ में है।
कर्मचारी नगर निगम के होते हैं। हर शिकायत अब उसके व्यक्तिगत कार्यालय में ली जाकर हर काम मोटी वसूली करवाने के बाद पार्षद की इच्छा के अनुरूप और अनुसार किए जाते हैं।
यदि उनके वोटर नहीं हैं।
या उनके विरुद्ध चलते हैं। तो उन नगर निगम के कर्मचारी जिन के वेतन का धन जनता से वसूल किया जाता है।
समस्या दूर करने की अपेक्षा परेशान करते रहते हैं।
आखिर जब मप्र में कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार है। और सारे नगर निगम पालिकायें सब शहरी विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत हैं। तो फिर नेताओं और पार्षदों के इशारे पर नाच कर क्यों जन समस्या को बढ़ा रहे हैं। तत्काल ही मुख्यमंत्री व शहरीय विकास मंत्रालय के अधिकारियों को देखना चाहिए। कि अगर ऐसा आदेश जारी कर दिया गया है।
तो उसे तत्काल रद्द करें और नया आदेश देकर पार्षदों नेताओं से काम लेकर पुनः क्षेत्रीय निगम और पालिकाओं के कर्मचारी व अधिकारी समस्याओं को अपने स्तर से दूर करें।।
बेशक यह लंबी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
ताकि उनका वोट बैंक मजबूत होता रहे। जिसे तत्काल रोका जाना चाहिए।
कोई भी निर्माण जो रुपय 5000 से ज्यादा का हो कार्य विपक्ष के हारे हुए पार्षद व अन्य तीन चार लोगों से मिलकर ही और उनकी सहमति से ही करवाया जाना चाहिए।
सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए।
वरना तो यह पार्षद भी सत्ताधारी दल की ईवीएम की जालसाजी से जीतकर निगम और पालिकाओं को अपनी लूट का अड्डा बना कर एक तरफ निगम और पालिकाओं को कर्जदार बना रहे हैं। तो दूसरी तरफ स्वयं करोड़पति से अरबपति हो चुके हैं। और जनता के लिए समस्याएं दूर करने की अपेक्षा बढ़ाने और परेशान करने पर तुले रहते हैं।
इस पर त्वरित और सटीक कार्रवाई कानून रूप से की जानी चाहिए।
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